विमलेश त्रिपाठी की कुछ प्रेम कविताएं
दरअसल
हम गये अगर दूर
और फिर कभी लौटकर नहीं आय़े
तो यह कारण नहीं
कि अपने किसी सच से घबराकर हम गये कि अपने सच को पराजित
नहीं देखना था हमें
कि हमारा जाना उस सच को
जिंदा रखने के लिए था बेहद जरूरी दरअसल हम सच और सच के दो पाट थे
हमारे बीच झूठ की
एक गहरी खाई थी और आखिर आखिर में
हमारे सच के सीने में लगा
जहर भरा एक ही तीर दरअसल वह एक ऐसा समय था
जिसमें बाजार की सांस चलती थी हम एक ऐसे समय में
यकीन की एक चिडिया सीने में लिए घर से निकले थे
जब यकीन शब्द बेमानी हो चुका था यकीनन वह प्यार का नहीं
बाजार का समय था दरअसल उस एक समय में ही
हमने एक दूसरे को चूमा था और पूरी उम्र
अंधेर में छुप-छुप कर रोते रहे थे।
और फिर कभी लौटकर नहीं आय़े
तो यह कारण नहीं
कि अपने किसी सच से घबराकर हम गये कि अपने सच को पराजित
नहीं देखना था हमें
कि हमारा जाना उस सच को
जिंदा रखने के लिए था बेहद जरूरी दरअसल हम सच और सच के दो पाट थे
हमारे बीच झूठ की
एक गहरी खाई थी और आखिर आखिर में
हमारे सच के सीने में लगा
जहर भरा एक ही तीर दरअसल वह एक ऐसा समय था
जिसमें बाजार की सांस चलती थी हम एक ऐसे समय में
यकीन की एक चिडिया सीने में लिए घर से निकले थे
जब यकीन शब्द बेमानी हो चुका था यकीनन वह प्यार का नहीं
बाजार का समय था दरअसल उस एक समय में ही
हमने एक दूसरे को चूमा था और पूरी उम्र
अंधेर में छुप-छुप कर रोते रहे थे।
कभी जब
कभी जब खूब तनहाई में तुम्हें आवाज दूं
तो सुनना जब हारने लगूं लड़ते-लड़ते
तो खड़ा होना मेरे पीछे
दुआओं की तरह प्यार मत करना कभी मुझे
अगर उसके लायक नहीं मैं पर जब नफरत करने लगूं इस दुनिया से
तुम सिखाना
कि यह दुनिया नफरत से नहीं
प्यार से ही बची रह सकती है.
तो सुनना जब हारने लगूं लड़ते-लड़ते
तो खड़ा होना मेरे पीछे
दुआओं की तरह प्यार मत करना कभी मुझे
अगर उसके लायक नहीं मैं पर जब नफरत करने लगूं इस दुनिया से
तुम सिखाना
कि यह दुनिया नफरत से नहीं
प्यार से ही बची रह सकती है.
तुम्हारे प्यार में
तुम्हारे प्यार में बुखार का दर्द मीठा है
पसलियों की पीड़ा अच्छी है प्यार में होना जमीन से हमेशा
दो इंच उपर होना है
जब कोई कविता जन्म लेती है तुम्हारे प्यार में मृत्यु भी
कितनी-कितनी सम्मोहक है मृत्यु भी एक कविता है
यह सच आज समझ रहा हूं.
पसलियों की पीड़ा अच्छी है प्यार में होना जमीन से हमेशा
दो इंच उपर होना है
जब कोई कविता जन्म लेती है तुम्हारे प्यार में मृत्यु भी
कितनी-कितनी सम्मोहक है मृत्यु भी एक कविता है
यह सच आज समझ रहा हूं.
चुप हो जाओगे एक दिन जब
चुप हो जाओगे एक दिन
जब बोलते-बोलते तुम
तब यह पृथ्वी अपने चाक पर रूक जाएगी
हवा में जरूरी ऑक्सिजन लुप्त
और दुनिया से हरियाली अलोपित हो जाएगी
फूलों का खिलना बंद होगा
चिडियों के गीत जज्ब हो जाएंगे
तब यह पृथ्वी अपने चाक पर रूक जाएगी
हवा में जरूरी ऑक्सिजन लुप्त
और दुनिया से हरियाली अलोपित हो जाएगी
फूलों का खिलना बंद होगा
चिडियों के गीत जज्ब हो जाएंगे
समय के पंजे में
एक बहुत पुराना गीत होंठो पर आकर बार-बार फिसल जाएगा
और सदियों से लिखी जा रही
एक जरूरी कविता अधूरी छूट जाएगी.
एक बहुत पुराना गीत होंठो पर आकर बार-बार फिसल जाएगा
और सदियों से लिखी जा रही
एक जरूरी कविता अधूरी छूट जाएगी.
झूठमूठ की तरह सच
एक दिया जलाता हूं झूठमूठ
एक मुरझाया फूल रखता हूं देहरी पर
थके शब्दों को सजाकर
बुनता हूं एक बहुत उदास गीत
सचमुच की तरह
झूठमूठ जाता हूं बार-बार समंदर के किनारे
झूठमूठ के हाथों को पकड़कर
सचमुच के रास्ते पर
चलता हूं कुछ देर तुम्हारे साथ
झूठमूठ उदास और खुश कदम
इस तरह आजकल
एक मुरझाया फूल रखता हूं देहरी पर
थके शब्दों को सजाकर
बुनता हूं एक बहुत उदास गीत
सचमुच की तरह
झूठमूठ जाता हूं बार-बार समंदर के किनारे
झूठमूठ के हाथों को पकड़कर
सचमुच के रास्ते पर
चलता हूं कुछ देर तुम्हारे साथ
झूठमूठ उदास और खुश कदम
इस तरह आजकल
तुम्हें सचमुच प्यार करता हूं
झूठमूठ की तरह.
झूठमूठ की तरह.
तुम्हें याद कर रहा हूं
तुम्हें अपने बचपन के दिनों की तरह याद कर रहा हूं
स्कूल के पहले दिन की तरह रूआँसा
जब पहली बार एक अक्षर को पहचान कर
खिलखिलाया था तालियां पिटता
तुम्हें याद कर रहा हूं इस समय अपने छूट गए घरौंदे की तरह
शहर के एक फ्लैट में अपनी किताबों के बीच बैठा
पढ़ रहा बेघर हो गए विस्थापितों की पीड़ा की खबरें
सूखे और बाढ़ के कहर में घिरे अपने लोगों की तरह
याद कर रहा हूं तुम्हें
तुम्हें याद कर रहा हूं अपनी अधूरी कविताओं की तरह
जो पूरी होने की राह तक रहीं
जिंदा शब्दों की तरह जो फिसलते जा रहे हाथों से
दुनिया की तमाम अच्छी कविताओं की तरह
जिसमें दुनिया के सुंदर होने के स्वप्न हैं
तुम्हें याद कर रहा हूं
और तुम्हें इल्म भी नहीं मेरे अपने
कि तुम्हें याद कर रहा हूं मैं इस अंधेरे समय में
भविष्य के उजले दिनों की तरह
जिसकी प्रतीक्षा लिए सदियों से संघर्षरत हूं
एक कवि इस पृथ्वी पर मैं अथक.
फूल-सी धरती जैसा
समंदर की छाती-सी
चौड़ी है दूरी
आकाश के सिर-सा अनंत
समंदर में सिपियों-सा
पलता है प्यार
आकाश में जोन्हियों-सा चमकता
यह जीवन।
और फूल-सी धरती जैसा बचा हुआ
हमारा संबंध
चौड़ी है दूरी
आकाश के सिर-सा अनंत
समंदर में सिपियों-सा
पलता है प्यार
आकाश में जोन्हियों-सा चमकता
यह जीवन।
और फूल-सी धरती जैसा बचा हुआ
हमारा संबंध
मिले हो तो
एक हर्फ हो तुम जिसे खोजता फिरता रहा
और मिले तुम
जैसे मिला हो बच्चा दिन उलटकर
इस पैंतीस की उम्र में मिले हो तो धूप में गुड़-सा मिठास
हवा में दादी के हाथों के स्पर्श-सी सिहरन
नदी में सावन-भादो का पानी तुम मिले हो तो जन रहे हैं शब्द
हो रही है एक कविता मुकम्मल .
और मिले तुम
जैसे मिला हो बच्चा दिन उलटकर
इस पैंतीस की उम्र में मिले हो तो धूप में गुड़-सा मिठास
हवा में दादी के हाथों के स्पर्श-सी सिहरन
नदी में सावन-भादो का पानी तुम मिले हो तो जन रहे हैं शब्द
हो रही है एक कविता मुकम्मल .
इसी तरह बनी मेरी कविताएं
–
सेल्फों में पड़ी पुरानी किताबों के बीच खोजता रहा
खोजता रहा सीलन भरे कमरे के कोने-कतरे में
रसोई घर के खाली कनस्तरों में
आलमारियों में बंद कपड़ों के बीच खोजता रहा
जब नहीं मिला वह कहीं भी
तो चला गया तुम्हारे पास जहां तुम हो मुझसे इतनी दूर
वहां भी नहीं मिला वह
और आखिर-आखिर में थक–हार कर बैठ गया
–
सेल्फों में पड़ी पुरानी किताबों के बीच खोजता रहा
खोजता रहा सीलन भरे कमरे के कोने-कतरे में
रसोई घर के खाली कनस्तरों में
आलमारियों में बंद कपड़ों के बीच खोजता रहा
जब नहीं मिला वह कहीं भी
तो चला गया तुम्हारे पास जहां तुम हो मुझसे इतनी दूर
वहां भी नहीं मिला वह
और आखिर-आखिर में थक–हार कर बैठ गया
एक बहुत पुराने पेड़ के नीचे
कलम थामी और शब्दों की अभ्यर्थना करने लगा
कलम थामी और शब्दों की अभ्यर्थना करने लगा
इसी तरह बनी मेरी तमाम कविताएं
जो सिर्फ तुम्हारे लिए थीं .
जो सिर्फ तुम्हारे लिए थीं .
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