Picasso\’s Guernica |
कविता अपने समय के सवालों से जूझती है. वह विकट, जटिल, बदलते और निहित प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष खतरों को भी देखती है. मनुष्य विरोधी मानसिकता का प्रतिपक्ष सदैव उसके पास रहता है. उसे मनुष्यता की मातृभाषा ठीक ही कहा गया है. जब-जब चोट पडती है उसका सुर तेज़ और धारदार हो उठता है. ब्रेख्त ने कभी अपनी कविता को सम्बोधित करते हुए कहा था कि बुरे आदमी तुम्हारे पंजे देखकर डरते हैं और तुम्हारा सौष्ठव देखकर खुश होते हैं अच्छे आदमी.
पंकज चतुर्वेदी की कविताएँ
आज़ादी का मतलब
जहाँ तुम्हारे आँसू हैं
उजागर
कि उसका एजेंडा विकास है
तो उसमें एक नक़ली उत्साह दिखता था
जो शासन करने की इच्छा
और दृष्टि के अभाव के
संयोग से जनमता था
और वे कहते हैं विकास
तो उसमें एक कराह सुन पड़ती है
गोया वह इस एहसास से उपजी हो
कि लोग विश्वास तो ख़ैर क्या
शिकायत के योग्य भी
उन्हें नहीं मानते.
अपराधियो
दलित शोध-छात्र रोहित वेमुला
अपने अंतिम पत्र के ज़रिए
तुम्हें मुक्त करता है
अपनी हत्या के अपराध से
अपराधियो !
दावा
व्यूह-रचना
अपनी बात कहने से डरता हूँ
क्योंकि लोग हमलावर हैं
और हालात ऐसे हैं
कि उनकी जाति जान लो
तो विचार जानने की
ज़रूरत नहीं रहती
प्यार की आशा नहीं रहती
धर्म सत्ता का उपकरण
आज भी है
शासन उनके लिए
सिर्फ़ ग़ुलामी को
सुनिश्चित रखने की
प्रणाली है
साम्राज्य की मुख़ालफ़त में
अब अपनी ही जनता के विरुद्ध
एक व्यूह-रचना है.
तुम भी
महज़ एक ख़याल है
उसकी माँग
व्यावहारिक नहीं
मिलावट है
ज्ञान में अज्ञान की
मनुष्य में अ-मनुष्य की
अगर वह ज़्यादा है
तो वही सच है
हिचको नहीं
ढाल बनाते हो
तो इसमें क्या शक
कि तुम भी मिले हुए हो
आततायियों से.
अब हर चीज़
साबित करनी होगी
इस देश के नागरिक हो
बल्कि यह भी
कि तुम इसके
योग्य हो
सिद्ध किया जायेगा
और फिर गर्व करने को
कहा जायेगा
सत्ता से सहमति
इसलिए जब तुम
अपने देश से
प्यार करने चलोगे
तब तुम्हें मालूम होगा
कि तुम आज़ाद नहीं हो.
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