पल्लवी ने जर्मन भाषा और साहित्य में शोध कार्य किया है. यह कहानी भी जर्मनी के एक शहर की पृष्ठभूमि में घटित होती है. आकार में छोटी है और असर करती है.
जर्मन परफ्यूम
पल्लवी
अंग्रेजी भाषा की क्रिया \”to heal \” (टू हील) की उत्पत्ति जर्मेनिक (Germanic) है. जर्मन भाषा की क्रिया \”heilen\” (हायलन) में ही \”heal\” शब्द का श्रोत है, जिसका अर्थ होता है \”स्वस्थ होना, ठीक होना, पूरा होना अथवा पूर्ण बनना“। क्रिया \”heilen\” (हायलन) में अगर प्रत्यय \”en\” को हटा दिया जाए तो विशेषण \”heil\” (हायल) बनता है, जिसका अर्थ होता है \”पवित्र\”. इस शब्द के मायने कई विषयों में देखे जा सकते हैं; चिकित्सा विज्ञान और मनोविज्ञान से लेकर धर्म शास्त्र और दर्शनशास्त्र तक. खैर वो रिसर्च का विषय होगा, जिसे शोधकर्ताओं पर छोड़ा जा सकता है. आम जीवन में आम जन को किन वजहों से घाव लगते हैं और वो किस प्रक्रिया के तहत \”heilen\” करते हैं, वो आम जीवन के प्रसंगों में ही ढूंढा जा सकता है. अमूमन लोग मानसिक और शारीरिक तौर पर घाव होने, चोट लगने अथवा आहत होने की बात करते हैं. अब ऐसी चोट का या घाव का इलाज करना और दिलो दिमाग को फिर से इंसानी, मानवीय और \”heil\” अथवा पवित्र करना हम सब की जिम्मेदारी है.
\”अगर बड़े फोड़े पितृसत्ता को जड़ से उखाड़ना हो तो शरीर, मानस-पटल और समाज को टीस मारते \”लिंगवाद\” (सेक्सिस्म) और \”misogyny\” (मिसोजनी) जैसे उसके भाइयों के ऊपर नमक-बुकनी तो छीड़कना ही होगा ना! \” –
ऐसा कहना है बिहारी मूल की जर्मनवासी वसंतसेना का. अपनी कम पढ़ी लिखी माँ और संस्कृत साहित्य की घोर व्यसक और शूद्रक के \”मृच्छकटिकम्\” की उपासक कामिनी देवी द्वारा दिया उसका यह नाम देश विदेश में वसंतसेना को भारतीयता का प्रमाण और सम्मान दिलाता है. चार सालों से जर्मनी के डुस्सलडोर्फ़ में एक मल्टीनेशनल कंपनी में नौकरी कर रही वसंतसेना को आजकल कामिनी देवी ने थोड़ा परेशान कर रखा है.
\”अब तो शादी कर ले.\”, \”हमने तुम्हे किसी बात के लिए कभी रोका, अब हमारी भी एक बात मान ले\” – कामिनी देवी की इमोशनल ब्लैकमेलिंग में एक सामान्य भारतीय माँ का डर छुपा है कि जीवन की नदी में कहीं मेरी बेटी अकेली ना रह जाए. आबिदा परवीन की फैन माँ, \”वो हमसफ़र था मगर उससे हमनवाई ना थी\” सुन सुन कर कामिनी से बहु, पत्नी, भौजी, माँ और वेर्जिनिया वूल्फ की मिसेज डालोवे तक का रास्ता तय कर चुकी है. वसंतसेना को फिर से यही रास्ता क्यूँ तय करना था, ये उसकी समझ से बाहर था. पितृसत्ता के तिलिस्म के रेशे रेशे से वाकिफ वसंसेना को एलफ्रीडे येलेनिक की “डी लीबहबेरिन्न” (वीमेन एज लवर्स) की ब्रिगिटे थोड़े ना बनना था. पर उसे क्या बनना था, उसकी भी कोई सही रूप रेखा उसके दिमाग में नहीं थी. लेकिन कामिनी देवी की बात मानने में भी कोई बुराई नहीं थी, क्यूंकि उम्र के साथ आई चेहरे पर की लकीरें अगर तजुर्बा बयां ना करे तो वो झुर्रियां सी नज़र आती है. कुछ ऐसा ही सोचकर वसंतसेना माँ द्वारा किसी ऑनलाइन मेट्रीमोनियल पर ‘शोर्टलिस्टेड’ किसी ‘सूटेबल लड़के’ से मिलने के लिए ख़ुशी ख़ुशी राज़ी हो जाती है.
डुस्सलडोर्फ़ से कोलोन शहर तक के आधे घंटे के सफ़र में वसंतसेना ने खुद को कई बार रीजनल ट्रेन की पारदर्शी कांच में निहारा. कोलोन के खूबसूरत ग्लोकनगासे स्ट्रीट की कॉफ़ी शॉप पर मिलना तय हुआ था. जर्मनी की मशहूर परफ्यूम “4711 Eau De Cologne” के इतिहास की भीनी भीनी खुशबू में लिपटा ग्लोकनगासे वसंतसेना और राहुल की बातों का गवाह बनने जा रहा था. एस्प्रेसो का पहला सिप लेते हुए वसंतसेना बातों का सिलसिला शुरू तो करती है लेकिन बात-चीत का शौक़ीन राहुल बातों को लपक लपक कर उनकी पतंग बनाने लगता है:
“बड़ा यूनिक नाम है आपका. वैसे आप अपने जॉब के बारे में बताइए.” वसंतसेना को लगा कि वो नाम का मतलब या मायने पूछेगा और वो बड़े गर्व और गंभीरता से अपनी माँ द्वारा इस नाम को अतीत और वर्तमान के संदर्भ में डीकांस्त्रक्ट करेगी. लेकिन राहुल ठहरा राहुल, उसे अपने सामने बैठी इस लड़की में इतना आत्मविश्वास देखकर ही इस लड़की के अभारतीय होने के लक्षण समझ में आने लगे थे. बांकी कसर लड़की के कपड़ों और मेकअप ने पूरी कर दी थी. मन ही मन उसने सोचा: “चलो कोई नहीं, बेचारी को शादी के बाद अकल आ जाएगी.”
“भारतीय मर्द” (भारत के उत्तर पूर्वोत्तर राज्यों के ज्यादातर पुरुषों को छोड़कर) के सारे गुण कॉफ़ी टेबल पर मख्खों की तरह भिनभिनाने लगे. अचानक कॉफ़ी टेबल पर भिनभिनाने मख्खों को देखकर वसंतसेना को अब कोफ़्त होने लगी. तभी एक मख्खा राहुल की जिह्वा पर सवार हो गया और बातों का सिलसिला जारी रखते हुए बोल पड़ा: “मैंने देखा है यहाँ अपनी ऑफिस की लड़कियों को. पुरुषों के मुकाबले कम योग्यता वाली इन लड़कियों की मैं मदद करता रहता हूँ ”.
दूसरा मख्खा कहाँ पीछे रहने वाला था, सो स्ट्रीट पर जाती लड़कियों के एक झुण्ड को देखते हुए वो भी भिनभिना उठा: “ये जर्मन लड़कियां बड़ी तेज़ और चालू होती हैं. एक के बाद दूसरा और दूसरे के बाद तीसरा…..हुउह ये भी कोई बात हुई. मुझे तो बिलकुल पसंद नहीं ये सब.” वसंतसेना को चोट सी लगने लगी थी कि तीसरे मख्खे ने पहले दो मख्खों द्वारा दिए घाव पर बैठते हुए तीर ही चला दिया: “वैसे, तुम्हे कैसा पार्टनर चाहिए? मुझे अच्छा लगेगा, अगर हम तुम जॉइंट अकाउंट खोल लें.” – कहकर राहुल ने जाहिर कर दिया कि वो उसे पसंद है.
इन मख्खों से आहत, चोटिल, घावित वसंतसेना का मन और शरीर दोनों “heal”, “heilen” और “heil” होने के लिए तड़प उठा. अगर उसने अभी के अभी इसके विरुद्ध में कोई कार्यवाही नहीं की तो घाव और भी गहरा और बदबूदार हो सकता है, आघात में बदल सकता है और क्या पता इससे कैंसर हो जाए और वसंतसेना जिन्दा मर जाए. ये सोच सोचकर वो डर जाती है और मन ही मन काली, दुर्गा, गहिली माई और जीण माता की कसम के साथ साथ इसी राइनलैंड, जहाँ कोलोन है, की हिल्डेगार्ड वोन बिंगन की कसम खाते हुए तीनो मख्खों को कोफ़ी की कप की मुंडेर से अँधेरे कॉफ़ी के कुएं में धकेल देती है. जब मख्खे और भिनभिनाते हैं तो कप के ऊपर विक्टोरियन डिजाईन का टी कोस्टर रख देती है, जिसके ऊपर जर्मन भाषा में बड़े अक्षरों में लिखा होता है “Willkommen” (विल्कोमन) और छोटे अक्षरों में “Abschied” (अब्शीड). “Willkommen” का मतलब “स्वागत” और “Abschied” का मतलब “विदा” होता है.
जर्मनी के विश्वप्रसिद्ध साहित्यकार जोहान् वोल्फ़गांग वोन ग्योटअ की एक कविता का शीर्षक भी यही है “Willkommen und Abschied” (स्वागत और विदा) और कविता यही कहना चाहती है कि स्वागत के साथ विदाई की तैयारी शुरू हो जाती है, लेकिन इन दोनों के बीच के पल में जो प्रेम मिला वो अद्वितीय है. वसंतसेना ख्यालों से बाहर आती है और “कितने गलत समय पर ये कविता उसके दिमाग में आई” सोचकर उठकर खडी हो जाती है. पहले मख्खे से प्यार से कहती है: “कम योग्यता वाली लड़कियों को जब तक समान काम के लिए बराबरी की तनख्वाह ना मिल जाए, तब तक क्या तुम उनके खर्च में उनका हाथ बंटा सकते हो ? वैसे इस काम की शुरुवात हमारी कॉफ़ी के पैसे देकर कर सकते हो.” सुनकर मरते हुए मख्खे के अंदर का मर्द खुश हो जाता है, उसे मजलूम लड़की की मदद करने का मौका जो मिलता है और वो भी दो कॉफ़ी के दाम के बदले.
दूसरे मख्खे की नफरत के आगे वसंतसेना लगभग घुटने टेकते हुए अदब से कहती है:
“हम zero-tolerance में विश्वास करने वाली लड़कियों को अपने बॉयफ्रेंडस यूँ ही छोटी छोटी बातों पर नहीं छोड़ना चाहिए. हमें उन्हें कुछ सिखाना चाहिए, क्यूंकि बदलाव तो हमें ही चाहिए ना. पर क्या करूँ वक़्त जाया करने का दिल नहीं करता कभी कभी मेरा, सो उनका जीवन अगर कॉफ़ी में डूबे इन मख्खों जैसा हो या उन भिनभिनाते मख्खों जैसा- क्या फर्क पड़ता है.”
अब राहुल डर जाता है. वसंतसेना का घाव, चोट सब उछल कर पारी बदल लेते हैं और राहुल के अंदर के लिंगवाद और मीसोजनी पर बैठ जाते हैं.
तीसरा मख्खा अब तक जान छुड़ाकर बाहर निकल चूका था. ग्लोकनगासे पर “Eau De Cologne” का इतिहास बताते हुए तीनों एक परफ्यूम की दूकान पहुँचते हैं. 275 यूरो वाले महंगे परफ्यूम को उठाते हुए वसंतसेना पूछती है: “आपके साथ जॉइंट अकाउंट बनाने से पहले क्या एक परफ्यूम खरीद लूँ? अपनी आज़ादी की सुगंध को एक यादगार निशानी के तौर पर ? डरे हुए राहुल का खोया हुआ मर्दानी आत्मविश्वास वापस आ जाता है और काउंटर पर जाकर जिद करता है कि पैसे तो वही देगा. आज़ादी की कीमत वही चुकाएगा.
खैर उसके बाद दोनों विदा लेते है. राहुल अंदर से थोडा विचलित है, पर उसे समझ में नहीं आ रहा कि क्यूँ विचलित है. ट्राम में बैठी खूबसूरत, तहजीबों अदब वाली, मधुरभाषी वसंतसेना को वो धीरे धीरे आँखों से ओझल होते देखता है. अपने मोबाइल में गड़ी उसकी आँखें राहुल को बेहद खुबसूरत लगती है. ठीक इसी पल वसंतसेना उसे एक मेसेज टाइप कर रही होती है: “इतना वक़्त देने के लिए धन्यवाद. वक़्त बहुत कीमती होता है.” इतना लिखकर वो उसका नंबर ब्लॉक कर देती है. स्टेशन पर खड़े राहुल को समझ में नहीं आता कि उसका मेसेज उनडिलीवर क्यूँ बता रहा. जिसमे उसने लिखा था: “आशा है आपको आज़ादी वाली परफ्यूम पसंद आएगी”.
अब तक पूरी तरह “heal” कर चुकी वसंतसेना पोस्ट ऑफिस जाकर मेरे यानी कामिनी देवी के पते पर परफ्यूम की वही बोतल पोस्ट कर देती है. कुछ दिनों बाद मुझे वह परफ्यूम मिलती है, साथ ही एक पर्ची पर एक फ़िल्मी डायलॉग लिखा है: “इस छोटी परफ्यूम की बोतल की कीमत तुम क्या जानो कामिनी”.
मेरी तो समझ में नहीं आई इस लड़की की बात. आपकी समझ में आई हो तो बताना.
और वो जर्मन परफ्यूम है बहुत शानदार, बोतल की तली में मरे परे तीन मख्खे उसकी सुगंध को दिन दुनी रात चौगुनी फैला रहे हैं.
और हाँ, इस पूरे वर्णन में उस लड़के का नाम बदल कर राहुल कर दिया गया है. हम नहीं चाहते हैं कि इस तरह कि गढ़नियों से किसी राहुल को चोट लगे.
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