अंचित की सात कविताएं
‘वही जो अदाकारा थी, जो नर्तकी थी, और कवि भी वही तुम्हारी मृत्यु थी.’ अंचित की ये कविताएँ उनकी पूर्व की ...
‘वही जो अदाकारा थी, जो नर्तकी थी, और कवि भी वही तुम्हारी मृत्यु थी.’ अंचित की ये कविताएँ उनकी पूर्व की ...
जिसे आज हम प्रेम दिवस कहते हैं, कभी वह वसंतोत्सव/मदनोत्सव के रूप में इस देश में मनाया जाता था. स्त्री-पुरुष ...
विनय कुमार का कविता संग्रह ‘यक्षिणी’ इसी साल राजकमल से छप कर आया है. यक्षिणी की खंडित मूर्ति को केंद्र ...
(Photo Credit: Sagar Lahiri)समालोचन पर आप अंचित को पढ़ चुके हैं, कोलकाता पर केन्द्रित इन सात कविताओं के साथ वह ...
(photo courtesy DEBMALYA RAY CHOUDHUR)“ओ मेरी भाषामैं लौटता हूं तुम मेंजब चुप रहते-रहतेअकड़ जाती है मेरी जीभदुखने लगती हैमेरी आत्मा” ...
कालजयी रचनाकार काल को इसीलिए जीत लेते हैं कि उनसे हमेशा अंकुर फूटते रहते हैं, उनमें यह संभावना रहती है. ...
समालोचन साहित्य, विचार और कलाओं की हिंदी की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है. डिजिटल माध्यम में स्तरीय, विश्वसनीय, सुरुचिपूर्ण और नवोन्मेषी साहित्यिक पत्रिका की जरूरत को ध्यान में रखते हुए 'समालोचन' का प्रकाशन २०१० से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है. विषयों की विविधता और दृष्टियों की बहुलता ने इसे हमारे समय की सांस्कृतिक परिघटना में बदल दिया है.
सर्वाधिकार सुरक्षित © 2010-2022 समालोचन | powered by zwantum