भूलन कांदा : मुद्रित से सेल्युलाइड तक की यात्रा: रमेश अनुपम
'भूलन कांदा’ वनौषधि है, माना जाता है कि इसका स्पर्श मनुष्य को उसके रास्ते से भटका देती है. संजीव बख्शी ...
'भूलन कांदा’ वनौषधि है, माना जाता है कि इसका स्पर्श मनुष्य को उसके रास्ते से भटका देती है. संजीव बख्शी ...
सुपरिचित कथाकार तरुण भटनागर के कहानी संग्रह ‘प्रलय में नांव’ की समीक्षा कर रहें हैं- रमेश अनुपम. शीर्षक कहानी के ...
कवि, उपन्यासकार विनोद कुमार शुक्ल को इस वर्ष साहित्य अकादमी की ‘महत्तर सदस्यता’ प्रदान की गयी है, यह अकादमी का ...
‘स्मृति एक दूसरा समय है’ मंगलेश डबराल का अंतिम कविता संग्रह है, सत्ता (ओं) से लड़ते हुए उनकी कविताएँ यहाँ ...
महान पिता के पुत्र के समक्ष कुछ अतिरिक्त चुनौतियाँ रहती हैं, उसे हर समय पिता से मापा जाता है. अमृत ...
समालोचन साहित्य, विचार और कलाओं की हिंदी की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है. डिजिटल माध्यम में स्तरीय, विश्वसनीय, सुरुचिपूर्ण और नवोन्मेषी साहित्यिक पत्रिका की जरूरत को ध्यान में रखते हुए 'समालोचन' का प्रकाशन २०१० से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है. विषयों की विविधता और दृष्टियों की बहुलता ने इसे हमारे समय की सांस्कृतिक परिघटना में बदल दिया है.
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