बेढब जी बेढब नहीं थे : मैनेजर पाण्डेय
बेढब बनारसी पर वरिष्ठ आलोचक प्रो. मैनजर पाण्डेय का यह लेख इसलिए महत्वपूर्ण है कि इसमें जहाँ बेढब के व्यक्तित्व ...
बेढब बनारसी पर वरिष्ठ आलोचक प्रो. मैनजर पाण्डेय का यह लेख इसलिए महत्वपूर्ण है कि इसमें जहाँ बेढब के व्यक्तित्व ...
आज यह भुला दिया गया है कि आलोचना के लिए पहले एक साहित्य-सिद्धांत की जरूरत होती है. कई बार बड़े ...
भारत और इंग्लैण्ड के तथाकथित ‘साझे रिश्ते’ (जिसे अक्सर राजनेता ब्रिटेन के सरकारी दौरों पर दुहराते रहते हैं) बराबरी और ...
महान संपादक आचार्य महावीरप्रसाद द्विवेदी को १९३३ में काशी नागरी प्रचारिणी सभा की ओर से एक अभिनंदन ग्रन्थ भेंट किया ...
रामविलास शर्मा की हिंदी नवजागरण की विचारधारा पिछले कई दशकों से अकादमिक दुनिया में व्याख्या और आलोचना के केन्द्र में ...
नामवर सिंह, मैनेजर पाण्डेय को ‘आलोचकों का आलोचक’ कहते हैं. पर इसके साथ ही मैनेजर पाण्डेय के यहाँ समकालीन रचनाशीलता ...
आरम्भ: यह समालोचन का पहला अंक है जो 'Nov 12, 2010' को प्रकाशित हुआ था.
समालोचन साहित्य, विचार और कलाओं की हिंदी की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है. डिजिटल माध्यम में स्तरीय, विश्वसनीय, सुरुचिपूर्ण और नवोन्मेषी साहित्यिक पत्रिका की जरूरत को ध्यान में रखते हुए 'समालोचन' का प्रकाशन २०१० से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है. विषयों की विविधता और दृष्टियों की बहुलता ने इसे हमारे समय की सांस्कृतिक परिघटना में बदल दिया है.
सर्वाधिकार सुरक्षित © 2010-2023 समालोचन | powered by zwantum