संयोगवश: विनय कुमार
‘संयोगवश’ आशुतोष दुबे का छठा कविता संग्रह है जिसे राजकमल ने प्रकाशित किया है. उनकी कुछ कविताओं के भारतीय और ...
‘संयोगवश’ आशुतोष दुबे का छठा कविता संग्रह है जिसे राजकमल ने प्रकाशित किया है. उनकी कुछ कविताओं के भारतीय और ...
विनय कुमार की ‘सूर्योदय’ और ‘सूर्यास्त’ केन्द्रित कविताएँ आपने यहीं पढ़ीं हैं, प्रस्तुत दस कविताएँ ‘कश्मीर’ पर लिखी गयीं हैं, ...
विनय कुमार की सूर्योदय श्रृंखला की कुछ कविताएँ आपने समालोचन पर नवम्बर २०२० में पढ़ी थीं, आज सूर्यास्त श्रृंखला की ...
‘चमकते प्रकाश में घुल-मिल गईं उषाएं’ऋग्वेद (मण्डल:१,सूक्ति:९२.२, अनुवाद-गोविन्द चंद्र पाण्डेय) सूर्य और जल भारतीय संस्कृति के केंद्र में हैं. ...
जिन्हें हम विकसित सभ्यताएं कहते हैं, वहाँ चमक, दमक, तेज़ी और तुर्शी के बावजूद बहुत कुछ फीका, उदास, थका और ...
भारतेंदु हरिश्चन्द्र को हिंदी उसी तरह प्यार करती है जिस तरह बांग्ला रबीन्द्रनाथ टैगोर से. असहमतियां रबीन्द्र से भी हैं ...
(पटना के बिहार म्यूजियम से)विनय कुमार मनोचिकित्सक हैं और हिंदी के लेखक भी. \'एक मनोचिकित्सक के नोट्स\', मनोचिकित्सा संवाद, \'मॉल ...
समालोचन साहित्य, विचार और कलाओं की हिंदी की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है. डिजिटल माध्यम में स्तरीय, विश्वसनीय, सुरुचिपूर्ण और नवोन्मेषी साहित्यिक पत्रिका की जरूरत को ध्यान में रखते हुए 'समालोचन' का प्रकाशन २०१० से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है. विषयों की विविधता और दृष्टियों की बहुलता ने इसे हमारे समय की सांस्कृतिक परिघटना में बदल दिया है.
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