बीहू आनंद अभी सोलह साल की हैं, दसवीं में पढ़ती हैं, कविताएँ लिखती हैं, चित्र बनाती हैं, नाटकों में भाग लेती हैं. जीवन से भरी हुई हैं. पर कुछ ऐसा भी है जिसे नहीं होना चाहिए था- स्वास्थ्य की जटिलताओं से बाहर निकलकर अब वह स्वस्थ हैं.
ऐसी सुंदर कविताएँ, भावप्रवण चित्र बनाने वाली इस प्रतिभा के लिए शुभकामनाएं. ये कविताएँ और चित्र हिंदी के कवि और रंगमंच से जुड़े हेमंत देवलेकर की मदद से प्रस्तुत की जा रहीं हैं.
बीहू आनंद की कविताएं
1.
आजादी की खुशबू
रात में कभी मोगरे को सूंघा है?
जब ठंडी हवाएं चल रहीं हों,
जब पेड़ों के सरसराहट की आवाजें आ रहीं हों,
जब चाँद भी आसमान में हो.
मोगरे की खुशबू तब कुछ अलग ही होती है,
जैसे खुले आसमान में उड़ना,
जैसे सुनसान सड़क पर रात में चलना.
अगर आज़ादी की खुशबू होती
तो वो बिलकुल मोगरे की तरह ही होती.
2.
तू और मैं
तू नीली झील,
मैं उस पर तिरती पीली नाव.
मैं नारंगी अंतहीन आसमां,
तू उस पर उड़ती छोटी भूरी चिड़िया.
तू बारिश में भीगा हुआ हरा जंगल,
मैं बरसात में नाचती मोर.
3.
आ जाना तुम फिर
जब से तुम गई हो,
बंद है तुम्हारा कमरा वैसा ही,
आ जाना तुम फिर,
दरवाजा खोलकर देखना तुम अपने कमरे को,
फिर भीतर आकर खिड़की खोलना,
तरस गई है धूप उस खिड़की से अंदर आने को,
एक-एक किरण उछल कर अंदर आएगी,
और उसके पीछे लग कर गुलाबी ठंड भी आएगी,
देखना, वो अमलतास के गुच्छों वाली टहनी खिड़की से अंदर आएगी,
और साथ ही उस टहनी पर बैठी छोटी गोरैया भी.
अपना हारमोनियम जरूर उठाना,
थक गया है वह भी एक ही जगह बैठे-बैठे,
एक-एक खटका छूना,
फिर कोई राग भी सुनाना,
और गाना भी.
गाना सुनाना वो वाला,
जो अक्सर तुम गाती हो,
‘रहें ना रहें हम’…
4.
जीवन का इंतजार
जीवन भर वो बस साल के चंद महीनों का इंतजार करता है,
वो बूढ़ा, पलाश अब भी मार्च का इंतज़ार करता है,
अपने आपको पूरा नारंगी रंग लेने को,
अपने आपको फिर जीवंत कर उठने को.
इंतजार करता है जीवन में जीवन का,
वो इंतजार करता है धूप में खुद को ठंडक पहुंचाने का,
वो इंतजार करता है जीवंत होने का
वो जीवन का इंतजार करता है .
5.
देखा देखी
उस रात तुमने मुझे
सड़क पर देखा था न,
मैंने भी बालकनी में तुम्हें
मुझे देखते हुए
तुम्हें देखा था.
उस दिन तुमने मुझे
गाड़ी पर देखा था न,
मैंने भी तुम्हें झील किनारे
मुझे देखते हुए तुम्हें देखा था.
उस दोपहर तुमने मुझे
छत पर देखा था न,
मैंने भी तुम्हें छत पर
मुझे देखते हुए
अखबार के पीछे
तुम्हें देखा था.
क्या मैं तुम्हें
और तुम मुझे ही देखते हो
या मुझे तुम्हें और
तुम्हें मुझे देखते हुए
कोई और भी देखता है.?
6.
हम मिलेंगे
हम जरूर मिलेंगे,
आज नहीं तो कल,
पर हम जरूर मिलेंगे .
जब मिलेंगे तब,
केवल हम होंगे,
जब मिलेंगे
तब न रात होगी न दिन,
न शाम होगी न बारिश .
हम मिलेंगे ,
हम जरूर मिलेंगे ,
हमारा मिलना अलग होगा ,
उतना ही अलग,
जितना होता है सूरज और समंदर का मिलना .
हम मिलेंगे,
हम जरूर मिलेंगे .
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