हम सुल्तान क्यों देखें : संदीप सिंह
अभिनेता सलमान खान की फिल्म ‘सुल्तान’ के बहाने लेखक–विश्लेषक संदीप सिंह ने उस पब्लिक स्फ़ीयर (लोक-वृत्त) को समझने का प्रयास किया है, जो ‘भाई’ की फिल्मों पर दीवाना हो जाता...
अभिनेता सलमान खान की फिल्म ‘सुल्तान’ के बहाने लेखक–विश्लेषक संदीप सिंह ने उस पब्लिक स्फ़ीयर (लोक-वृत्त) को समझने का प्रयास किया है, जो ‘भाई’ की फिल्मों पर दीवाना हो जाता...
(*रामन राघव बने नवाजुद्दीन सिद्दीकी) प्रत्येक दूसरे रविवार के अपने इस चर्चित स्तम्भ में विष्णु खरे फिर हाज़िर हैं. यह आलेख ‘रमन राघव 2.0’ नामक हिंदी फ़िल्म से अधिक रामन राघव...
सैराट फ़िल्म का एक दृश्यमराठी फ़िल्म सैराट की विष्णु खरे की विवेचना से आरम्भ इस वाद-विवाद- संवाद में अब तक आपने आर. बी. तायडे (इंग्लिश), कैलाश वानखेड़े, जयंत पवार (मराठी),भारत...
समालोचन में मराठी फ़िल्म सैराट पर जारी बहस लगातार और धारदार होती जा रही है. संदीप सिंह ने फ़िल्म, उसके प्रभाव और उसकी सामाजिक सार्थकता पर विचार किया है. पूर्व...
फ़िल्म ‘उड़ता पंजाब’ सत्ता-सेंसर से आज़ाद होकर लोक-वृत्त में है. नशा, कला, नियंत्रण, अस्मिता, न्याय, प्रचार और व्यवसायकी सीढियों से चढ़ता हुआ यह सफलता के कौन से आसमान पर पहुचेगा?...
कैन लोच की फिल्म "आइ,डेनिअल ब्लेक" को इस वर्ष के कान फिल्म महोत्सव का सर्वोच्च पुरस्कार ‘’पाल्म द्’ओर’’दिया गया है. उन्होंने साफ कहा है कि वह नहीं...
मराठी फ़िल्म ‘सैराट’ की व्यावसायिक सफलता के कई अर्थ निकाले जा रहे हैं. नागराज मंजुले के निर्देशन में बनी इस फ़िल्म की अभिनेत्री रिंकू राजगुरु और अभिनेता आकाश ठोसर की...
विष्णु खरे ने अपने इसी स्तम्भ में राजनेताओं और सिने-जगत के सम्बन्धों पर पहले भी लिखा है. सलमान खान के रियो ओलंपिक 2016 में भारत की ओर से गुडविल एंबेसडर बनाए...
प्रत्यूषा बनर्जी की ‘आत्महत्या/हत्या’ ने चमक दमक से भरे सिने संसार के अँधेरे को फिर से बेपर्दा कर दिया है. इस अँधेरे में तमाम तरह की सामाजिक – आर्थिक संस्थाएं...
हिंदी सिनेमा में अभिनेता भारत भूषण की अदाकारी की बारीकियों पर यह आलेख सहेज लेने लायक है खासकर ऐसे में जब हम गुजरे जमाने में दिलीप कुमार तक ठिठक कर...
समालोचन साहित्य, विचार और कलाओं की हिंदी की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है. डिजिटल माध्यम में स्तरीय, विश्वसनीय, सुरुचिपूर्ण और नवोन्मेषी साहित्यिक पत्रिका की जरूरत को ध्यान में रखते हुए 'समालोचन' का प्रकाशन २०१० से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है. विषयों की विविधता और दृष्टियों की बहुलता ने इसे हमारे समय की सांस्कृतिक परिघटना में बदल दिया है.
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