विष्णु खरे : उड़ता पंजाब
फ़िल्म ‘उड़ता पंजाब’ सत्ता-सेंसर से आज़ाद होकर लोक-वृत्त में है. नशा, कला, नियंत्रण, अस्मिता, न्याय, प्रचार और व्यवसायकी सीढियों से चढ़ता हुआ यह सफलता के कौन से आसमान पर पहुचेगा?...
फ़िल्म ‘उड़ता पंजाब’ सत्ता-सेंसर से आज़ाद होकर लोक-वृत्त में है. नशा, कला, नियंत्रण, अस्मिता, न्याय, प्रचार और व्यवसायकी सीढियों से चढ़ता हुआ यह सफलता के कौन से आसमान पर पहुचेगा?...
कैन लोच की फिल्म "आइ,डेनिअल ब्लेक" को इस वर्ष के कान फिल्म महोत्सव का सर्वोच्च पुरस्कार ‘’पाल्म द्’ओर’’दिया गया है. उन्होंने साफ कहा है कि वह नहीं...
मराठी फ़िल्म ‘सैराट’ की व्यावसायिक सफलता के कई अर्थ निकाले जा रहे हैं. नागराज मंजुले के निर्देशन में बनी इस फ़िल्म की अभिनेत्री रिंकू राजगुरु और अभिनेता आकाश ठोसर की...
विष्णु खरे ने अपने इसी स्तम्भ में राजनेताओं और सिने-जगत के सम्बन्धों पर पहले भी लिखा है. सलमान खान के रियो ओलंपिक 2016 में भारत की ओर से गुडविल एंबेसडर बनाए...
प्रत्यूषा बनर्जी की ‘आत्महत्या/हत्या’ ने चमक दमक से भरे सिने संसार के अँधेरे को फिर से बेपर्दा कर दिया है. इस अँधेरे में तमाम तरह की सामाजिक – आर्थिक संस्थाएं...
हिंदी सिनेमा में अभिनेता भारत भूषण की अदाकारी की बारीकियों पर यह आलेख सहेज लेने लायक है खासकर ऐसे में जब हम गुजरे जमाने में दिलीप कुमार तक ठिठक कर...
मार्च का महीना आते ही उच्च शिक्षण संस्थाओं में गोष्ठियों की भरमार हो जाती है. जैसे यह भी कोई काम हो जिसे वित्तीय सत्र के अंत तक निपटा लेना चाहिए....
इस वर्ष का दादा साहब फालके पुरस्कार अभिनेता और निर्माता-निर्देशक मनोज कुमार को दिया गया है. क्या उन्हें अभिनय के लिए यह सम्मान मिला है या फिर निर्देशन के लिए...
अभिनेता संजय दत्त मार्च 1993 के मुंबई सिलसिलेवार बम धमाकों के मामले में 42 महीने कैद की सजा काट कर रिहा हुए हैं. (अंध/छद्म) राष्ट्रवाद के इस उन्मादी दौर में...
हिंदी सिनेमा का उर्दू शायरी से गहरा, लम्बा, मानीखेज़ रिश्ता रहा है. मरहूम निदा फ़ाज़ली इस सिलसिले की अहम कड़ी थे. शायरी में उनके फकीराना अंदाज़ से हम सब वाकिफ...
समालोचन साहित्य, विचार और कलाओं की हिंदी की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है. डिजिटल माध्यम में स्तरीय, विश्वसनीय, सुरुचिपूर्ण और नवोन्मेषी साहित्यिक पत्रिका की जरूरत को ध्यान में रखते हुए 'समालोचन' का प्रकाशन २०१० से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है. विषयों की विविधता और दृष्टियों की बहुलता ने इसे हमारे समय की सांस्कृतिक परिघटना में बदल दिया है.
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