३१ जुलाई १९८० को महान पार्श्व गायक मोहम्मद रफ़ी हमसे हमेशा के लिए अलग हो गये, पर इस महाद्वीप में...
Read moreअनुभव सिन्हा के निर्देशन में अभी हाल ही भी प्रदर्शित हिंदी फ़िल्म \'आर्टिकल 15\' सभी तरह के दर्शकों में खूब...
Read moreशब्दों की अपनी स्वायत्त सत्ता है, ये दीगर सत्ता केन्द्रों के समक्ष अक्सर प्रतिपक्ष में रहते हैं. शब्दों ने बद्धमूल...
Read moreसाहित्य, कला और संस्कृति के क्षेत्र में बहुत से प्रतिबद्ध लोग और समूह वर्षो से सतत क्रियाशील हैं. जोड़, जुगत...
Read moreजिस नगर में कुछ अच्छे कवि-शायर, थोड़े से कथाकार कुछ सुनने लायक बौद्धिक जनवादी विचारक, विवेकवान पत्रकार तथा एकाध नाट्य...
Read moreजागरण फिल्मोत्सव-2018 (मुम्बई) में सत्यदेव त्रिपाठी ने तीन दिनों में अठारह फिल्में देख डालीं. जिनमें से ‘डेविल’, ‘साधो’, ‘करीम मोहम्मद’,‘अश्वथामा’,...
Read moreनंदिता दास की फ़िल्म मंटों पर आपने यादवेन्द्र का विचारोत्तेजक आलेख पढ़ा, आज प्रस्तुत है सत्यदेव त्रिपाठी की यह विवेचना...
Read moreबहुत दिनों बाद ऐसी फ़िल्म प्रदर्शित हुई है जिसके प्रशंसकों में बुद्धिजीवी भी शामिल हैं. युद्ध, और त्याग-बलिदान पर आधारित...
Read more(Photo Credit S. Subramanium)“मेरे अन्दर एक तरह का नैरन्तर्य (रहता) है”(मरहूम चित्रकार ‘रामकुमार के साथ पीयूष दईया का संवाद’ से) ...
Read moreमलिक मोहम्मद जायसी (१३९८-१४९४ ई.) की कृति पदमावत पर आलोचक रवि रंजन का आलेख– ‘साहित्य और पदमावत’ आपने समालोचन पर पढ़ा. अब फ़िल्म...
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