रज़ा : जैसा मैंने देखा (८) : अखिलेश
कलाओं के आपसी रिश्ते घनिष्ठ रहें हैं. संगीत से कविता का नाता आदि से अबतक अनवरत है. चित्र से कविता की यारी भी पुरानी है, भारतीय चित्रकला में इसकी पुष्ट...
कलाओं के आपसी रिश्ते घनिष्ठ रहें हैं. संगीत से कविता का नाता आदि से अबतक अनवरत है. चित्र से कविता की यारी भी पुरानी है, भारतीय चित्रकला में इसकी पुष्ट...
मूर्धन्य चित्रकार सैयद हैदर रज़ा पर अखिलेश द्वारा लिखे जा रहे ‘रज़ा : जैसा मैंने देखा’ का नवीनतम अंश प्रस्तुत है. अपनी पहली पत्नी से तलाक़ के बाद रज़ा ने...
प्रख्यात चित्रकार सैयद हैदर रज़ा पर आधारित श्रृंखला ‘रज़ा: जैसा मैंने देखा’ की इस कड़ी में अखिलेश ने उनके चित्रों की मूल विशेषता ‘दृश्य चित्रण’ को बताते हुए, फ़्रांस के...
आप चित्रकार और लेखक अखिलेश के सैयद हैदर रज़ा पर आधारित स्तम्भ ‘रज़ा जैसा मैंने देखा’नियमित रूप से समालोचन पर पढ़ रहें हैं. इस चौथे हिस्से में रज़ा के साथ...
सुप्रसिद्ध चित्रकार सैयद हैदर रज़ा (२२ फरवरी,१९२२–२३ जुलाई, २०१६)के चित्रों में बिंदु और वृत्त की उपस्थिति से सम्मोहक आकर्षण पैदा होता है. उनके चित्रों और रंग-संयोजन पर चर्चा कर रहें...
सुप्रसिद्ध चित्रकार सैयद हैदर रज़ा (२२ फरवरी,१९२२–२३ जुलाई, २०१६) के व्यक्तित्व, कृतित्व और स्मृतियों पर आधारित श्रृंखला ‘रज़ा : जैसा मैंने देखा’ के इस दूसरे भाग में चित्रकार अखिलेश ने रज़ा...
समालोचन प्रसिद्ध चित्रकार सैयद हैदर रज़ा (२२ फरवरी,१९२२–२३ जुलाई, २०१६) पर आधारित श्रृंखला ‘रज़ा : जैसा मैंने देखा’ शुरू कर रहा है. चित्रकार और लेखक अखिलेश का यह स्तम्भ रज़ा...
प्रसिद्ध चित्रकार अखिलेश (जन्म : २८ अगस्त, १९५६) हिंदी के समर्थ लेखक और अनुवादक भी हैं. मक़बूल फ़िदा हुसैन की जीवनी, मार्क शगाल की आत्मकथा का अनुवाद, तथा ‘अचम्भे का...
सैयद हैदर रज़ा (२२ फरवरी १९२२ – २३ जुलाई २०१६) की आज पुण्यतिथि है. एक महान चित्रकार और साहित्य का अनुरागी, हिंदी कविता से उनका रिश्ता प्रगाढ़ था. अब जब...
चित्रकार, कलाकार, विचारक और कवि जगदीश स्वामीनाथन (जून २१, १९२८ – १९९४) के शिष्य विवेक टेंबे ने अपने उस्ताद के संग-साथ को इधर लिखना शुरू किया है. यह संस्मरण अप्रतिम...
समालोचन साहित्य, विचार और कलाओं की हिंदी की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है. डिजिटल माध्यम में स्तरीय, विश्वसनीय, सुरुचिपूर्ण और नवोन्मेषी साहित्यिक पत्रिका की जरूरत को ध्यान में रखते हुए 'समालोचन' का प्रकाशन २०१० से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है. विषयों की विविधता और दृष्टियों की बहुलता ने इसे हमारे समय की सांस्कृतिक परिघटना में बदल दिया है.
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