भुवनेश्वर की कहानी ‘भेड़िये’ : शिव किशोर तिवारी
साहित्य के गहरे और सतर्क अध्येता-आलोचक शिवकिशोर तिवारी ने इस महत्वपूर्ण कहानी का परीक्षण किया है. इसके स्रोतों तक उनका पहुंचना न केवल मौलिक है बल्कि पहली बार हो रहा...
साहित्य के गहरे और सतर्क अध्येता-आलोचक शिवकिशोर तिवारी ने इस महत्वपूर्ण कहानी का परीक्षण किया है. इसके स्रोतों तक उनका पहुंचना न केवल मौलिक है बल्कि पहली बार हो रहा...
किताब पहले भी लिखी जाती थी पर प्रिंटिंग प्रेस से निकलकर किताब किताबें हुईं, बहुत दिनों तक उन्हें पवित्र और प्रामाणिक माना जाता रहा. नगर में पुस्तकों का आलय होना...
२०१२ के साहित्य के नोबेल पुरस्कार से सम्मानित चीन के लेखक मो यान का उपन्यास ‘फ़्रॉग’ और कहानी ‘एबॉंडेड चाइल्ड’ चीन की जनसंख्या नियंत्रण नीति से संदर्भित है और उसकी...
(by Peju Alatise)विश्वयुद्धों ने अस्तित्ववाद का दर्शन दिया जिसने कला और साहित्य में ऊब, संत्रास, अनिर्णय और अनास्था को मूल्य में बदल दिया. बाद में तानाशाहों, धार्मिक कट्टरता, भ्रष्ट नौकरशाही...
‘रेत-समाधि’ गीतांजलि श्री का नया उपन्यास है जिसे राजकमल ने छापा है. इस उपन्यास पर रवीन्द्र त्रिपाठी का यह आलेख इस उपन्यास की यात्रा करता है और उपन्यासों में कवित्व...
तीसरे सप्तक और ‘मछलीघर’, ‘साखी’, ‘संवाद तुमसे’, ‘आवाज़ हमारी जाएगी’ कविता संग्रहों के कवि विजयदेव नारायण साही हिंदी के बड़े आलोचक के रूप में समादृत हैं. उनके कवि की उपस्थिति...
‘ख़ुदा तो खैर मुसलमाँ था उससे शिकवा क्यामेरे लिए, मेरे परमात्मा ने कुछ न किया.’भारतीय मनीषा के लिये ईश्वर किसी खौफ़ का पर्याय कभी नहीं रहा. उसके होने को संशय...
आज इंदिरा गोस्वामी का जन्म दिन है. उनसे यह बातचीत अर्पण कुमार ने कभी की थी. उन्हें याद करते हुए इस बातचीत का एक हिस्सा आपके लिये.इंदिरा गोस्वामी का जन्म...
२०१९ के साहित्य के नोबेल पुरस्कार के लिए जब ओल्गा टोकार्चूक (Olga Tokarczuk) के नाम की घोषणा हुई तो पहली प्रतिक्रिया यही थी कि अरे इन्हें तो २०१८ का बुकर (इंटरनेशनल) पुरस्कार मिला...
समालोचन साहित्य, विचार और कलाओं की हिंदी की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है. डिजिटल माध्यम में स्तरीय, विश्वसनीय, सुरुचिपूर्ण और नवोन्मेषी साहित्यिक पत्रिका की जरूरत को ध्यान में रखते हुए 'समालोचन' का प्रकाशन २०१० से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है. विषयों की विविधता और दृष्टियों की बहुलता ने इसे हमारे समय की सांस्कृतिक परिघटना में बदल दिया है.
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