आलेख

शम्सुर्रहमान फ़ारुक़ी: वक़्त के चेहरे को आईना-ए-हुस्न में देखना: विनोद तिवारी

  लेखक, आलोचक, शोधकर्ता और संपादक शम्सुर्रहमान फ़ारुक़ी (३० सितम्बर, १९३५ - २५ दिसम्बर २०२०) उर्दू और अंग्रेजी में लिखते थे. उनकी महत्वपूर्ण कृतियों के अनुवाद हिंदी में भी हुए हैं....

मंगलेश डबराल : मैं शब्दों में नहीं, कहीं अलग से आती ध्वनियों में हूँ : ओम निश्‍चल

  मंगलेश डबराल के छह कविता संग्रह प्रकाशित हुए हैं- ‘पहाड़ पर लालटेन’, ‘घर का रास्ता’, ‘हम जो देखते हैं’, ‘आवाज़ भी एक जगह है’, ‘नये युग का शत्रु’ और...

विष्णुचंद्र शर्मा : वह एक अकेला कर्मशील : प्रमोद कुमार तिवारी

 हिंदी साहित्य का अधिकांश ऐसे लेखकों द्वारा सृजित है जो स्वभाव से दरवेश थे/हैं- सांसारिक अर्थों में निपट अव्यावहारिक पर साहित्य और विचार को लेकर सतर्क और सन्नद्ध. भारतेंदु से...

मंगलेश डबराल : दिस नंबर दज़ नॉट एग्ज़िस्ट : धीरेन्द्र कुमार

इधर की कविता में सक्रिय युवा पीढ़ी को मंगलेश डबराल ने बहुत प्रभावित किया है. देखने में शांत, संयमित, बोलने में संकोच के साथ हिचक का सादापन लिए मंगलेश खुलने...

बेढब जी बेढब नहीं थे : मैनेजर पाण्डेय

बेढब जी बेढब नहीं थे : मैनेजर पाण्डेय

बेढब बनारसी पर वरिष्ठ आलोचक प्रो. मैनजर पाण्डेय का यह लेख इसलिए महत्वपूर्ण है कि इसमें जहाँ बेढब के व्यक्तित्व की आत्मीय ऊष्मा है वहीं उनकी व्यंग्य रचनाओं का सम्यक...

नागार्जुन के साहित्य में स्त्री : रेखा पाण्डेय

आज जनकवि नागार्जुन की बाईसवीं पुण्यतिथि है. इस अवसर पर ‘जनकवि नागार्जुन स्मारक निधि’ द्वारा समारोह का आयोजन होता है और जनकवि नागार्जुन स्मारक निधि सम्मान की घोषणा होती है....

निराला : इलाहाबाद के पथ पर दलित स्त्री : रजनी दिसोदिया

 निराला की प्रसिद्ध कविता ‘तोड़ती पत्थर’ के कई पाठ हैं.  इस कविता का एक दलित पाठ प्रसिद्ध लेखक कंवल भारती ने किया था. समालोचन पर ही शिव किशोर तिवारी की...

दिनकर : एक आत्मकथा जो लिखी नहीं गई : प्रवीण प्रणव

प्रवीण प्रणव माइक्रोसॉफ्ट कम्पनी में आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस के क्षेत्र में कार्य कर रहें हैं और साहित्य में भी उनकी रुचि है. उनके दो कविता संग्रह और कुछ लेख आदि  प्रकाशित...

मैनेजर पाण्डेय : दृष्टि और मीमांसा : राजाराम भादू

मैनेजर पाण्डेय : दृष्टि और मीमांसा : राजाराम भादू

प्रख्यात आलोचक  मैनेजर पाण्डेय के अस्सीवें वर्ष में समालोचन उनकी कृतियों को केंद्र में रखकर ‘आलोचना का आलोक’ आयोजन में आलेख प्रकाशित कर रहा है.  इस क्रम में चिंतक-लेखक राजाराम...

जन्मशताब्दी वर्ष : चंद्रकिरण सौनरेक्सा

लेखिकाओं के जन्मशताब्दी वर्ष आयोजन को लेकर हिंदी समाज अनुदार दिखता है. कथाकार चन्द्रकिरण सोनरेक्सा का जन्म आज ही के दिन सौ वर्ष पूर्व हुआ था. उनके लेखन पर चर्चाएँ...

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