आलेख

अदम गोण्डवी : मुक्तिकामी चेतना का कवि : आनन्द पाण्डेय

(फोटो आभार : वीरेन्द्र गुसाईं) ‘भूख के अहसास को शेरो सुखन तक ले चलो.या अदब को मुफ़लिसों की अंजुमन तक ले चलो.’(अदम गोंडवी)  वरिष्ठ और महत्वपूर्ण आलोचक मैनेजर पाण्डेय ने अदम...

मैनेजर पाण्डेय : आलोचना की विवेकपूर्ण यात्रा : कमलानंद झा

 आलोचना भी रचना है, वह जिस कृति से सम्बोधित होती है उससे पार जाती है और बड़े सामाजिक–सांस्कृतिक संदर्भों में उसे देखती-परखती है. इस प्रक्रिया में उस रचना से अलग...

मैनेजर पाण्डेय का आलोचना-संसार : रवि रंजन

मैनेजर पाण्डेय का आलोचना-संसार : रवि रंजन

साहित्य ही नहीं समाज को भी निर्भय आलोचकों की जरूरत होती है. मैनेजर पाण्डेय अपनी आलोचना से ये दोनों कार्य करते हैं. उनके लिए साहित्य मनुष्यता में मनुष्य की रुचि...

राष्ट्र, हिंदी और बहुभाषिकता : रमाशंकर सिंह

राष्ट्र, हिंदी और बहुभाषिकता : रमाशंकर सिंह

किसी भी सम्प्रभु राष्ट्र की अपनी राष्ट्र भाषा होती है/होनी चाहिए. यह पश्चिम में विकसित राष्ट्र-राज्य की मूल अवधारणाओं में से एक थी. हिंदी (हिन्दुस्तानी) अपने को अपनी व्यापकता के...

भाष्य : शमशेर की “टूटी हुई, बिखरी हुई” : सदाशिव श्रोत्रिय

By Matteo Baroni‘हो चुकी जब ख़त्‍म अपनी जिंदगी की दास्ताँउनकी फ़रमाइश हुई है, इसको दोबारा कहें.’ (शमशेर)प्रेम की तीव्रता, सघनता और गहन एन्द्रियता के मार्क्सवादी कवि शमशेर बहादुर सिंह की...

ईरान में किताबों पर सेंसरशिप : यादवेन्द्र

वैज्ञानिक और हिंदी के लेखक,अनुवादक यादवेन्द्र इधर ईरान के सांस्कृतिक परिदृश्य पर कार्य कर रहें हैं. प्रस्तुत आलेख  ईरानी क्रांति के बाद उभरे कट्टर धार्मिक राजनीतिक सत्ता द्वारा साहित्य पर...

पुरुषार्थवती देवी एवं रामेश्वरी देवी गोयल: सुजीत कुमार सिंह

पुरुषार्थवती देवी एवं रामेश्वरी देवी गोयल: सुजीत कुमार सिंह

इतिहास कुछ लोगों के लिए बेरहम होता है, चाहे वह साहित्य का ही क्यों न हो. पुरुषार्थवती देवी एवं रामेश्वरी देवी गोयल दोनों छायावाद की कवयित्रियाँ हैं. दोनों का जन्म...

कविता क्यों और कैसे पढ़ें? : रामेश्वर राय

कविता क्या है के साथ-साथ कविता क्यों और कैसे पढ़े भी साहित्य के बड़े सवाल हैं. ख़ासकर विमर्शों द्वारा उनके अनुकूलन और व्याख्या/दुर्व्याख्या के इस दौर में यह और प्रासंगिक बनते...

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