प्रचण्ड प्रवीर का कथा लेखन : वागीश शुक्ल
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान दिल्ली से रासायनिक अभियांत्रिकी में प्रौद्योगिकी स्नातक प्रचण्ड प्रवीर हिंदी के कथाकार हैं. २०१० में प्रकाशित उनका पहला उपन्यास 'अल्पाहारी गृहत्यागी: आई आई टी से पहले' चर्चित...
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान दिल्ली से रासायनिक अभियांत्रिकी में प्रौद्योगिकी स्नातक प्रचण्ड प्रवीर हिंदी के कथाकार हैं. २०१० में प्रकाशित उनका पहला उपन्यास 'अल्पाहारी गृहत्यागी: आई आई टी से पहले' चर्चित...
भूमंडलोत्तर कहानी विवेचना क्रम में आपने अब तक निम्न कहानियों पर युवा आलोचक राकेश बिहारी की विवेचना पढ़ी - लापता नत्थू उर्फ दुनिया न माने (रवि बुले), शिफ्ट+ कंट्रोल+आल्ट = डिलीट...
ऐसा लगता है कि हम नेहरुयुगीन उदारता और आधुनिकता के ख़ात्मे की ओर अग्रसर हैं.सच का कोई और भी पक्ष हो सकता है और उसे सुना जाना चाहिए यह गांधी...
जयश्री रॉय का उपन्यास ‘दर्दजा’ ‘फ़ीमेल जेनिटल म्यूटिलेशन’ की (कु) प्रथा और उसकी यातना को आधार बनाकर लिखा गया उपन्यास है जो इधर खूब चर्चित हुआ है और उसे स्पंदन...
तिरुमलै नम्बाकम वीर राघवाचार्य उर्फ रांगेय राघव (१७ जनवरी, १९२३ - १२ सितंबर, १९६२) का रचनासंसार इतना विस्तृत और बहुविषयक है कि भारतेंदु की रचनाशीलता की याद आती है, उनकी...
अमरीकी गीतकार और गायक बॉब डिलन (May 24, 1941) पिछले पांच दशकों से अपने लिखे गीतों से पूरी दुनिया को प्रभावित करते आ रहे हैं. गीतों को नया आयाम देने के...
महात्मा गांधी का निर्माण साम्राज्यवाद विरोधी चेतना, आंतरिक जातिवाद और सम्प्रदायवाद विरोधी चिंता और दो विश्व युद्धों के बीच मानवता की दुर्दशा पर चिंतन के बीच हुआ है. ये सभी स्थितियाँ...
हिंदी की प्रतिष्ठा प्राप्त कथा-पत्रिका हंस के अप्रैल २०१६ में प्रकाशित पंकज सुबीर की कहानी \"चौपड़े की चुड़ैलें\" को २०१६ का \"राजेंद्र यादव हंस कथा सम्मान\" (योगिता यादव के साथ...
महाकवि निराला की प्रसिद्ध कविता ‘तोड़ती पत्थर’ के कई पाठ हुए (reading) हैं. दलित साहित्यकार कंवल भारती ने ‘श्याम तन,भर बंधा यौवन’ को लेकर सवाल उठाये और इसे पुरुष की लोलुप...
जयशंकर प्रसाद : (३० जनवरी, १८९० – १४ जनवरी, १९३७)/बीसवीं शताब्दी के महानतम साहित्यकार जयशंकर प्रसाद जितने बड़े कवि हैं उतने ही बड़े नाटककार और कथाकार भी. अभी इतिहास की उनकी समझ...
समालोचन साहित्य, विचार और कलाओं की हिंदी की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है. डिजिटल माध्यम में स्तरीय, विश्वसनीय, सुरुचिपूर्ण और नवोन्मेषी साहित्यिक पत्रिका की जरूरत को ध्यान में रखते हुए 'समालोचन' का प्रकाशन २०१० से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है. विषयों की विविधता और दृष्टियों की बहुलता ने इसे हमारे समय की सांस्कृतिक परिघटना में बदल दिया है.
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