निर्मल वर्मा: एक लेखक की बरसाती: अशोक अग्रवाल
वरिष्ठ कथाकार अशोक अग्रवाल लम्बी बीमारी के बाद स्वस्थ हुए हैं, इसका प्रमाण यह आत्मीय, दिलचस्प संस्मरण है. निर्मल वर्मा की स्मृतियाँ उनकी कथाओं की तरह ही गहरी होती हैं....
वरिष्ठ कथाकार अशोक अग्रवाल लम्बी बीमारी के बाद स्वस्थ हुए हैं, इसका प्रमाण यह आत्मीय, दिलचस्प संस्मरण है. निर्मल वर्मा की स्मृतियाँ उनकी कथाओं की तरह ही गहरी होती हैं....
राजेश सक्सेना के पास संवाद और स्वाद के रसिक चन्द्रकान्त देवताले (7 नवम्बर,1936-14 अगस्त, 2013) की विनोदप्रियता और प्रगल्भता के कुछ रोचक संस्मरण हैं जिनमें से कुछ यहाँ अंकित हुए...
पंकज मोहन ऑस्ट्रेलिया नेशनल यूनिवर्सिटी, कैनबरा में एमेरिटस फैकल्टी हैं और भारत से सम्बन्धित दुर्लभ सामग्री के शोध ओर संचयन में व्यस्त हैं. कुछ दिनों पहले आपने समालोचन पर ही...
वरिष्ठ कथाकार ममता कालिया पर केन्द्रित अखिलेश का यह संस्मरण उनके कथा साहित्य का आकलन भी साथ-साथ करता चलता है. ममता और रवीन्द्र कालिया को वह जिस गहराई से याद...
वर्ष के अंत में अपने प्रिय कवियों में से एक पंकज सिंह पर आलोचक रविभूषण का यह आलेख: संस्मरण, आत्मवृत्तांत और कवि के मूल्यांकन का समिश्रण है, इसमें परिवेश भी...
ग्रामीण जीवन के राग-विराग को सुनना हो तो संस्मरणों को पढ़ना चाहिए. वरिष्ठ लेखक सत्यदेव त्रिपाठी की पुस्तक ‘मूक मुखर प्रिय सहचर मोरे’ जिसके अधिकतर संस्मरण समालोचन पर ही छपे...
अघटित के घटित होने का समय कुसमय ही होता है, उसे अभी इस समय में नहीं घटित होना था. राकेश श्रीमाल (5 दिसम्बर,1963- 23 दिसम्बर, 2022) ने अपने होने से...
सुरेंद्र मनन लेखक के साथ-साथ अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित फ़िल्मकार हैं. गांधी पर उनकी फ़िल्म ‘गाँधी अलाइव इन साउथ अफ्रीका’ बहुत सराही गयी है. वर्धा के सेवाग्राम में गांधीजी पर...
आज हिंदी के कुछ ही लेखक बचे हैं जिन्होंने ब्रिटिश भारत में आँखें खोली थीं- उनमें से एक है कवि-कथाकार रामदरश मिश्र, जब देश स्वतंत्र हुआ वह २३ वर्ष के...
नवीन सागर (29 नवम्बर, 1948-14 अप्रैल, 2000) की रचनात्मक दुनिया में कविताएँ, कहानियां, बाल साहित्य और चित्र आदि शामिल हैं. उनकी सृजनात्मक उत्तेजना और अ-थिर जीवन के साथी रहे वरिष्ठ...
समालोचन साहित्य, विचार और कलाओं की हिंदी की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है. डिजिटल माध्यम में स्तरीय, विश्वसनीय, सुरुचिपूर्ण और नवोन्मेषी साहित्यिक पत्रिका की जरूरत को ध्यान में रखते हुए 'समालोचन' का प्रकाशन २०१० से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है. विषयों की विविधता और दृष्टियों की बहुलता ने इसे हमारे समय की सांस्कृतिक परिघटना में बदल दिया है.
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