संस्मरण

केदारनाथ सिंह : क्या आप विश्वास करेंगे ! : पंकज चतुर्वेदी

केदारनाथ सिंह : क्या आप विश्वास करेंगे ! : पंकज चतुर्वेदी

केदारनाथ सिंह (१९ नवम्बर १९३४ - १९ मार्च २०१८) की आज दूसरी पुण्यतिथि है. इस बीच उन्हें अलग अलग ढंग से याद किया गया है. समालोचन ने भी उनपर स्मृति...

नामवर सिंह : हिन्दी के हित का अभिमान: पंकज चतुर्वेदी

नामवर सिंह : हिन्दी के हित का अभिमान: पंकज चतुर्वेदी

नामवर सिंह अप्रतिम वक्ता थे, रुचिकर और बौद्धिक चुनौती से भरपूर. शायद पहली बार आलोचना को सुनना इतना प्रीतिकर बना. कवि-आलोचक पंकज चतुर्वेदी ने नामवर सिंह की इन्हीं विशेषताओं को...

एक दिन का समंदर: हरजीत: प्रेम साहिल

एक दिन का समंदर: हरजीत: प्रेम साहिल

एक दिन का समंदर : हरजीत प्रेम साहिल हरजीत ने ख़ुद को इतना फैला लिया था कि आज उसे लफ़्ज़ों में पकड़ने के लिए जद्दोजहद करनी पड़ रही है. ग़ज़ल...

मेरे बडके बाबू – सबके पुजारी बाबा : सत्यदेव त्रिपाठी

उत्तर भारतीय ग्रामीण समाज को समझने के लिए राजनीतिक और सामजिक अध्ययन की कुछ कोशिशें हुईं हैं. साहित्य की आत्मकथा, जीवनी, संस्मरण आदि विधाएं इस सन्दर्भ में उपयोगी हैं. रंग-आलोचक...

निज घर : चंद्रकांत देवताले : एक सम्पूर्ण कवि : प्रफुल्ल शिलेदार

(विष्णु खरे, चन्द्रकांत देवताले और प्रफुल्ल शिलेदार)प्रफुल्ल शिलेदार मराठी के कवि और अनुवादक हैं. हिंदी से मराठी तथा मराठी से हिंदी में अनुवाद का उनका विस्तृत कार्य है. चंद्रकांत देवताले...

और वह सुघरका : सत्यदेव त्रिपाठी

और वह सुघरका : सत्यदेव त्रिपाठी

‘करियवा’, ‘उजरका’ के बाद अब ‘सुघरका’. ये तीनों बैलों के नाम हैं. एक समय कृषि-संस्कृति के केंद्र में रहे बैल अब सभ्यता की परिधि से भी दूर जा चुके हैं....

मृत्यु कथा : आशुतोष भारद्वाज

(माओवादियों का ताड़मेटला हमले की याद में बनाया स्मारक. ये हिंदुस्तान में कहीं भी बना माओवादियों कासबसे बड़ा स्मारक है.)इंडियन एक्सप्रेस से जुड़े पत्रकार-कथाकार आशुतोष भारद्वाज आजकल शिमला उच्च अध्ययन...

निज घर : देह पर युद्ध : गरिमा श्रीवास्तव

पुरुष युद्ध पैदा करते हैं , यातना दी जाती है औरतों को. युद्धों और दंगों में रक्तरंजित स्त्रियों की विचलित करने वाले कहानियों से इतिहास भरा पड़ा है. घृणा, विस्तारवाद...

रवीन्द्र कालिया : मनोज कुमार पाण्डेय

रवीन्द्र कालिया : मनोज कुमार पाण्डेय

यह संस्मरण जितना कालिया जी पर है उतना ही इसमें मनोज खुद शामिल हैं, इलाहाबाद, कोलकाता, दिल्ली भी शामिल है. एक पूरी साहित्यिक संस्कृति का ताना बाना  यहाँ आपको मिलेगा.

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