भाषा की दुनिया अपार अनंत है, नाना तरह की चीजें उसमें घटित होती रहती हैं. साहित्य तो उसका एक हिस्सा...
दो चर्चित कहानी संग्रहों के बाद प्रवीण कुमार का यह पहला उपन्यास है- ‘अमर देसवा’ जो कोरोना में आम आदमी...
विश्व प्रसिद्ध आलोचक-अनुवादक हरीश त्रिवेदी का हिंदी साहित्य से गहरा नाता रहा है, वह हिंदी में भी लिखते रहें हैं....
कथाकार और ‘तद्भव’ पत्रिका के यशस्वी संपादक अखिलेश का यह आलेख आत्म के विविध आयामों से गुजरते हुए उसकी रचनात्मक...
औपनिवेशिक भारत में मजदूरों को भारत से दूर देशों में खटने के लिए ले जाया जाता था जहाँ वे अकथ...
जेल की यातनाओं और अनुभवों पर प्रचुर मात्रा में देशी विदेशी भाषाओं में साहित्य मिलता है. नेताओं, क्रांतिकारियों, कार्यकर्ताओं और...
‘शब्दों का देश’ राकेश मिश्र का चौथा कविता संग्रह है जिसे राधाकृष्ण प्रकाशन ने इसी वर्ष प्रकाशित किया है. इस...
आज मंगलेश डबराल की पुण्यतिथि है, पिछले वर्ष आज ही के दिन वह हमसे हमेशा के लिए जुदा हो गये...
किसी भी पत्रिका के लिए किसी युवा को प्रस्तुत करना ख़ास ख़ुशी का अवसर होता है. सहृदय समाज के समक्ष...
‘प्रेम जितना करुणामय रहा/प्रेमी उतना ही निर्मम’. ‘नो नेशन फ़ॉर वुमन’ की लेखिका और बीबीसी की पत्रकार प्रियंका दुबे की...
समालोचन साहित्य, विचार और कलाओं की हिंदी की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है. डिजिटल माध्यम में स्तरीय, विश्वसनीय, सुरुचिपूर्ण और नवोन्मेषी साहित्यिक पत्रिका की जरूरत को ध्यान में रखते हुए 'समालोचन' का प्रकाशन २०१० से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है. विषयों की विविधता और दृष्टियों की बहुलता ने इसे हमारे समय की सांस्कृतिक परिघटना में बदल दिया है.
सर्वाधिकार सुरक्षित © 2010-2023 समालोचन | powered by zwantum