अज्ञेय: ओ नि:संग ममेतर: सदाशिव श्रोत्रिय
अज्ञेय की लंबी कविता ‘ओ नि:संग ममेतर’ की तरफ ध्यान कम गया है और उसकी चर्चा भी नहीं दिखती है. वरिष्ठ लेखक सदाशिव श्रोत्रिय लम्बे समय से कविताओं के पाठ...
अज्ञेय की लंबी कविता ‘ओ नि:संग ममेतर’ की तरफ ध्यान कम गया है और उसकी चर्चा भी नहीं दिखती है. वरिष्ठ लेखक सदाशिव श्रोत्रिय लम्बे समय से कविताओं के पाठ...
विनय कुमार की सूर्योदय श्रृंखला की कुछ कविताएँ आपने समालोचन पर नवम्बर २०२० में पढ़ी थीं, आज सूर्यास्त श्रृंखला की कुछ कविताएँ प्रस्तुत हैं. कवि और कलाकार ही हैं जो...
वंशी माहेश्वरी को विश्व कविता के अनुवाद की पत्रिका ‘तनाव’ के कारण हिंदी समाज जानता है, मध्य प्रदेश के कस्बे पिपरिया से वह इसका १९७२ से संपादन और प्रकाशन करते...
कविता में जो जीवन देखते हैं और उसे बदलने का सपना रखते हैं, मोहन कुमार डहेरिया उसी परम्परा के कवि हैं. मोहन की कविताएँ सामाजिक विडम्बनाओं की शिनाख्त करती हैं...
रमेश ऋतंभर की कविताएँ जीवन के सुख-दुःख की कविताएँ हैं. आसपास जो चल रहा है, उससे वह कविता उठाते हैं. उनकी कुछ कविताएँ प्रस्तुत हैं. रमेश ऋतंभर की कविताएं ...
प्रस्तुत है विनोद पदरज की चौदह कविताएँ और यह भी कि वे कविताएँ क्यों लिखते हैं? विनोद पदरज की ये कविताएँ समकालीन हिंदी कविता की चौहद्दी में राजस्थान का देशज...
दयाशंकर शरण वरिष्ठ पीढ़ी के रचनाकार हैं, इधर उन्होंने नयी पीढ़ी से गज़ब का रचनात्मक संवाद स्थापित किया है, शायद ही कोई लेखक हो जिसको वह पढ़ते न हों और...
ये कविताएँ जल के आस-पास केंद्रित हैं, इनमें कविता का अपना पानी भी है. एक विषय पर टिक कर उसे तरह-तरह से देखना, उसे अलग-अलग रचने का यह सृजनात्मक उद्यम ध्यान...
The poet is the priest of the invisible. : Wallace Stevens समकालीन कविता पर केंद्रित ‘मैं और मेरी कविताएँ’ के अंतर्गत आपने निम्न कवियों की कविताएं पढ़ीं और जाना कि वे कविताएं...
कवि-कथाकार जितेन्द्र कुमार (1936-2006) को हम लोग लगभग भूल ही चुके हैं. उनका जीवन, कविताएँ और कथा-साहित्य सब लीक से हटकर थे. बीहड़ उनके जीवन और लेखन में अंत-अंत तक...
समालोचन साहित्य, विचार और कलाओं की हिंदी की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है. डिजिटल माध्यम में स्तरीय, विश्वसनीय, सुरुचिपूर्ण और नवोन्मेषी साहित्यिक पत्रिका की जरूरत को ध्यान में रखते हुए 'समालोचन' का प्रकाशन २०१० से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है. विषयों की विविधता और दृष्टियों की बहुलता ने इसे हमारे समय की सांस्कृतिक परिघटना में बदल दिया है.
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