राहुल राजेश की कविताएँ
पहली कविता बहेलिये की तरफ से नहीं पक्षी की तरफ से चीख़ बनकर उठी थी हालाँकि बहेलिये का भी कोई सच हो सकता है. कविता सच और सच में फ़र्क...
पहली कविता बहेलिये की तरफ से नहीं पक्षी की तरफ से चीख़ बनकर उठी थी हालाँकि बहेलिये का भी कोई सच हो सकता है. कविता सच और सच में फ़र्क...
वैसे तो मनुष्य सामाजिक प्राणी है, पर कभी-कभी उसे एकांत का प्राणी भी बनना पड़ता है. इसमें वह चाहे तो ख़ुद से मिल सकता है. राकेश श्रीमाल की कविताएँ इसी...
बंसत त्रिपाठी को २००४ से पढ़ता आ रहा हूँ जब उनका संग्रह ‘सहसा कुछ नहीं होता’ ज्ञानपीठ ने छापा था, हलांकि उनके साथ जो संग्रह प्रकाशित हुए थे उनमें मेरा...
हिंदी की महत्वपूर्ण कवयित्री और अभी हाल ही में अनुवाद के लिए स्वीडन द्वारा नाईट की उपाधि से सम्मानित तेजी ग्रोवर का आज जन्म दिन है. समालोचन की तरफ से...
कुछ कवि कविता में रहते-रहते खुद कविता की तरह लगने लगते हैं जैसे निराला, शमशेर, जैसे मुक्तिबोध जैसे आलोकधन्वा.स्वप्निल श्रीवास्तव को मैं जब देखता हूँ. वे मुझे उन्हीं की किसी...
लवली गोस्वामी की कविताएँ और मैं क्यों लिखती हूँ.
मनोज मल्हार की फिल्मों और नाटकों में भी रुचि है, समालोचन पर उनकी कविताएँ पहली बार आ रहीं हैं. इन कविताओं में बहुत कुछ ऐसा है जो विस्मित करता है....
संदीप नाईक की ये कविताएँ वैसे तो जनवरी में ही प्रकाशित हो जानी थी. ये कविताएँ वर्ष की शुरुआत की आशा से भरी हैं, खिले आकाश में ख़ुशी की पतंगे उड़ रहीं हैं....
मध्यकाल के कवि केवल कवि नहीं थे, जैसे कबीर निरे कवि नहीं हैं, रैदास भी उसी तरह से भारतीय समाज की विसंगतियों के बीच पथ-प्रदर्शक, और नेतृत्वकर्ता की भूमिका का...
विजया सिंह चंडीगढ़ में अंग्रेज़ी पढ़ाती हैं और फ़िल्मों में रुचि रखती हैं. उनकी किताब Level Crossing: Railway Journeys in Hindi Cinema, Orient Blackswan (2017) से प्रकाशित हुई है. उन्होंने...
समालोचन साहित्य, विचार और कलाओं की हिंदी की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है. डिजिटल माध्यम में स्तरीय, विश्वसनीय, सुरुचिपूर्ण और नवोन्मेषी साहित्यिक पत्रिका की जरूरत को ध्यान में रखते हुए 'समालोचन' का प्रकाशन २०१० से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है. विषयों की विविधता और दृष्टियों की बहुलता ने इसे हमारे समय की सांस्कृतिक परिघटना में बदल दिया है.
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