स्वप्निल श्रीवास्तव की कविताएँ
स्वप्निल श्रीवास्तवजन्म ५ अक्टूबर १९५४ को पूर्वी उ.प्र. के जनपद सिद्धार्थनगर के सुदूर गांव मेंहनौना में. शिक्षा और जीवन की दीक्षा गोरखुपर में. पूर्व में उ.प्र. सरकार में जिला मनोरंजन...
स्वप्निल श्रीवास्तवजन्म ५ अक्टूबर १९५४ को पूर्वी उ.प्र. के जनपद सिद्धार्थनगर के सुदूर गांव मेंहनौना में. शिक्षा और जीवन की दीक्षा गोरखुपर में. पूर्व में उ.प्र. सरकार में जिला मनोरंजन...
अविनाश मिश्र ने अपने तेवर, त्वरा और तासीर से इधर ध्यान खींचा है. एक उमगते हुए कवि में जो जरूरी तैयारी होती है वह अविनाश में है. ये कविताएँ बस...
"बाबुषा की कविताओं की तासीर कुछ ऐसी है कि वसंत में कोयल की कूक को खुरच-खुरच कर बगीचों के हवाले करती है, बेचैनियों को उठाकर सीप में धर देती है...
कृति : salvador daliहिंदी कविता के जनपद में शिरीष कुमार मौर्य का ठौर- ठिकाना जाना पहचाना है. कम समय में ही उन्होंने अपनी कविताओं का स्थाई पता सुनिश्चित कर लिया...
आचार्य रामचन्द्र शुक्ल ने अपने प्रसिद्ध निबन्ध, ‘कविता क्या है?’ की शुरुआत इन पंक्तिओं से की है- ‘कविता से मनुष्य-भाव की रक्षा होती है’ (आचार्य शुक्ल जीवन भर इस लेख...
रंजना जायसवाल३ अगस्त १९६८, पडरौना (उत्तर -प्रदेश)प्रेमचंद का सहित्य और नारी जागरण विषय पर पीएच. डी.(गोरखपुर विश्वविद्यालय)कविता संग्रह –मछलियाँ देखती हैं सपने (२००२)दुःख पंतग (२००७, अनामिका, इलाहाबद) जिन्दगी के कागज़...
मुसाफिर बैठा : 05 जून, 1968 , सीतामढ़ी. पटना विश्वविद्यालय से हिन्दी दलित आत्मकथा विषय में पी-एच. डी.अभियांत्रकी की तकनीकी शिक्षा भीअनुवाद, पत्रकारिता में स्नातकोत्तर डिप्लोमा आदि अनेक पत्र –...
मैं और कविता ::मैं फ़िल्म और टेलीविज़न माध्यम के लिए व्यवसायिक (व्यापारिक) लेखन करता हूँ. ज़ाहिर है कि मैं बाज़ार के बीच खड़ा हूँ. बाज़ार की अपनी मांगें हैं, दबाव हैं,...
अपर्णा मनोज : १९६४, जयपुर,कविताएँ, कहानियाँ और अनुवाद मेरे क्षण कविता संग्रह प्रकाशित.कत्थक, लोक नृत्य में विशेष योग्यता.इधर ब्लागिंग में सक्रिय संपादन – आपका साथ साथ फूलों का अहमदाबाद में रहती...
गिरिराज किराडू : १५ मार्च १९७५, बीकानेर राजस्थानलेखक, संपादक और अब प्रकाशक भीप्रतिष्ठित पत्र – पत्रिकाओं में कविताएँ,लेख अनुवाद आदिउर्दू, मराठी, अंग्रेजी आदि में अनूदित तीन संपादित पुस्तकें प्रकाशितहनीफ कुरैशी के...
समालोचन साहित्य, विचार और कलाओं की हिंदी की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है. डिजिटल माध्यम में स्तरीय, विश्वसनीय, सुरुचिपूर्ण और नवोन्मेषी साहित्यिक पत्रिका की जरूरत को ध्यान में रखते हुए 'समालोचन' का प्रकाशन २०१० से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है. विषयों की विविधता और दृष्टियों की बहुलता ने इसे हमारे समय की सांस्कृतिक परिघटना में बदल दिया है.
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