समीक्षा

विटामिन ज़िन्दगी : रवि रंजन

विटामिन ज़िन्दगी : रवि रंजन

भारतीय साहित्य की सबसे बड़ी ऑनलाइन लाइब्रेरी ‘कविता कोश’ और ‘गद्य कोश’ के संस्थापक ललित कुमार का जीवन संघर्षों से भरा रहा है. उनकी आत्मकथा ‘विटामिन ज़िन्दगी’ पर चर्चा करते...

सैयद हैदर रज़ा : पवन करण

सैयद हैदर रज़ा : पवन करण

रज़ा की कलाकृतियों को देखना ही नहीं, उनके बारे में पढ़ना भी सम्मोहक अनुभव है. यशोधरा डालमिया की ‘सैयद हैदर रज़ा: एक अप्रतिम कलाकार की यात्रा’ ऐसी ही किताब है,...

जीवन का तट : रविन्द्र कुमार

जीवन का तट : रविन्द्र कुमार

नदियाँ सभ्यता की बसाहट का आधार रही हैं. जल ने केवल जीवन ही नहीं, संस्कृति को भी सींचा है. रामशंकर सिंह द्वारा संपादित ‘जीवन का तट: उत्तर भारत की नदियाँ...

कविता क्या है? की चौ-पाई : वागीश शुक्ल

कविता क्या है? की चौ-पाई : वागीश शुक्ल

यह जानकर विस्मय होता है कि नागरी प्रचारिणी सभा की स्थापना 1893 में बाबू श्यामसुंदर दास ने शिवकुमार सिंह और रामनारायण मिश्र के साथ मिलकर उस समय की, जब वे...

कर्फ़्यू की रात : फ़रीद ख़ाँ

कर्फ़्यू की रात : फ़रीद ख़ाँ

‘कर्फ़्यू की रात’ कथाकार शहादत का दूसरा कहानी संग्रह है. उन्होंने उर्दू शायर ज़हीर देहलवी की आत्मकथा ‘दास्तान-ए-1857’, मकरंद परांजपे की किताब ‘गांधी: मृत्यु और पुनरुत्थान’, और उर्दू अफ़सानानिगार हिजाब...

अनुवाद के सिद्धांत : मैथिली पी राव

अनुवाद के सिद्धांत : मैथिली पी राव

श्रीनारायण समीर ने अनुवाद के सिद्धांत और सृजन को केंद्र में रखते हुए अपना शोधकार्य बेंगलुरु विश्वविद्यालय से पूर्ण किया है. अनुवाद विषयक उनके कई ग्रंथ प्रकाशित हो चुके हैं....

यात्रा में लैंपपोस्ट : क्रान्ति बोध

यात्रा में लैंपपोस्ट : क्रान्ति बोध

रमेश ऋषिकल्प प्राय; लम्बे प्रवास पर रहते हैं. यूरोप की यात्राओं ने उनके एकांत को जहाँ भरा है वहीं उनकी काव्य संवेदना को भी समृद्ध किया है. उनके कविता संग्रह...

मिथकों से विज्ञान तक : पीयूष त्रिपाठी

मिथकों से विज्ञान तक : पीयूष त्रिपाठी

भारतीय संविधान में वैज्ञानिक चेतना के विकास को प्रत्येक नागरिक का मूल कर्तव्य माना गया है— “वैज्ञानिक दृष्टिकोण, मानवतावाद तथा जिज्ञासा और सुधार की भावना का विकास करना हर नागरिक...

फटी हथेलियाँ : जितेन्द्र विसारिया

फटी हथेलियाँ : जितेन्द्र विसारिया

नेहा नरूका के कविता संग्रह, 'फटी हथेलियाँ' पर वरिष्ठ कवि-लेखक कुमार अम्बुज लिखते हैं कि " ये कविताएँ आँसुओं की नहीं सवालों की झड़ी लगाती हैं, एक सजग स्त्री, नागरिक...

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