ऑर्बिटल : किंशुक गुप्ता
स्थापना दिवस पर मिले शुभाशीष के लिए समालोचन आपके प्रति हृदय से आभार व्यक्त करता है. वह जो कुछ है अपने लेखकों और पाठकों के कारण ही हैं. ब्रिटिश लेखिका...
स्थापना दिवस पर मिले शुभाशीष के लिए समालोचन आपके प्रति हृदय से आभार व्यक्त करता है. वह जो कुछ है अपने लेखकों और पाठकों के कारण ही हैं. ब्रिटिश लेखिका...
इस वर्ष के साहित्य के नोबल पुरस्कार से सम्मानित कोरियाई रचनाकार हान कांग का 2007 में प्रकाशित ‘द वेजीटेरियन’ उपन्यास नेपाली भाषा में ‘द भेजिटेरियन’ सहित तीस से अधिक भाषाओं...
वरिष्ठ कथाकार रत्नकुमार सांभरिया (1956) के सपेरों के जीवन पर आधारित उपन्यास ‘साँप’ को वर्ष 23-24 का राजस्थान साहित्य अकादमी का मीरा पुरस्कार मिला है. इसे सेतु प्रकाशन ने प्रकाशित...
लेखक, अभिनेता, निर्देशक और सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में गिरीश कर्नाड की उपस्थिति बेहद जानदार है. उनके आत्मकथात्मक संस्मरण कन्नड़ में ‘आडद्ता आयुष्य’ शीर्षक से छपते रहे हैं. जिनका अंग्रेजी...
समकालीन सामाजिक-राजनीतिक संघर्षों की जड़ें औपनिवेशिक काल में फैली मिलेंगी. आज को समझने के लिए ‘नवजागरण काल’ को गहराई से देखना समझना चाहिए. वरिष्ठ आलोचक और अध्येता वीर भारत तलवार...
सविता सिंह का नया कविता संग्रह इसी वर्ष वाणी से प्रकाशित हुआ है. शीर्षक है- ‘वासना एक नदी का नाम है’. यह संग्रह सविता सिंह की काव्य-यात्रा में बड़े बदलाव...
वरिष्ठ लेखक-पत्रकार हेमंत शर्मा की पुस्तक ‘राम फिर लौटे’ पिछले वर्ष प्रकाशित होकर चर्चा में है. उन्होंने ‘भारतेंदु समग्र’ का भी संपादन किया है. बरसों तक बीबीसी हिन्दी सेवा में...
लेखक प्रेमकुमार मणि का राजनीतिक जीवन भी रहा है. उनकी आत्मकथा ‘अकथ कहानी’ आज़ाद भारत में किसान परिवार के युवक की भी कथा है. उतार-चढ़ाव से भरी. पटना में लेखकों...
पवन माथुर के कहानी संग्रह ‘हासिल’ की समीक्षा प्रस्तुत है.
पर्यावरण-मित्र यंत्रों में साइकिल का स्थान विशिष्ट है. साइकिल सामूहिक आविष्कार है. आगे पीछे अलग-अलग जगहों पर किसी ने पहिये, किसी ने पैडल तो किसी ने चेन बनाए. आज भी...
समालोचन साहित्य, विचार और कलाओं की हिंदी की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है. डिजिटल माध्यम में स्तरीय, विश्वसनीय, सुरुचिपूर्ण और नवोन्मेषी साहित्यिक पत्रिका की जरूरत को ध्यान में रखते हुए 'समालोचन' का प्रकाशन २०१० से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है. विषयों की विविधता और दृष्टियों की बहुलता ने इसे हमारे समय की सांस्कृतिक परिघटना में बदल दिया है.
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