समीक्षा

अबके मरेंगे तो बदली बनेंगे : संतोष अर्श

अबके मरेंगे तो बदली बनेंगे : संतोष अर्श

‘अपनों में नहीं रह पाने का गीत’ तथा ‘बंजारा नमक लाया' के बाद ‘अबके मरेंगे तो बदली बनेंगे’ प्रभात की कविताओं का नया संग्रह है. प्रभात गहन संवेदनशीलता, सघन लोकगति...

मदर मेरी कम्स टू मी : अमिता शीरीं

मदर मेरी कम्स टू मी : अमिता शीरीं

अरुन्धति रॉय समकालीन महत्वपूर्ण लेखिका तो हैं ही, वे उन कुछ लेखकों के सिलसिले में भी हैं जिन्होंने अपने शब्द और कर्म से सत्ता का प्रतिपक्ष रचा, परिणाम भुगते और...

निर्वासन, प्रेम और यहूदी  : महेश मिश्र

निर्वासन, प्रेम और यहूदी : महेश मिश्र

एली वीज़ल (1928–2016) केवल एक लेखक नहीं, बल्कि इतिहास के सबसे गहरे घाव के जीवित साक्षी थे. होलोकॉस्ट से बच निकलने के बाद उन्होंने विस्थापन, यातना और मानवता की तलाश...

राष्ट्र निर्माण में आदिवासी : रविन्द्र कुमार

राष्ट्र निर्माण में आदिवासी : रविन्द्र कुमार

भारतीय इतिहास-लेखन में हाशिए के समाजों (जिनमें स्त्रियाँ भी शामिल हैं) की निर्णायक भूमिका की पड़ताल आरंभ तो हुई है, पर यह अभी अधूरी है और अनेक आयाम अब भी...

विटामिन ज़िन्दगी : रवि रंजन

विटामिन ज़िन्दगी : रवि रंजन

भारतीय साहित्य की सबसे बड़ी ऑनलाइन लाइब्रेरी ‘कविता कोश’ और ‘गद्य कोश’ के संस्थापक ललित कुमार का जीवन संघर्षों से भरा रहा है. उनकी आत्मकथा ‘विटामिन ज़िन्दगी’ पर चर्चा करते...

सैयद हैदर रज़ा : पवन करण

सैयद हैदर रज़ा : पवन करण

रज़ा की कलाकृतियों को देखना ही नहीं, उनके बारे में पढ़ना भी सम्मोहक अनुभव है. यशोधरा डालमिया की ‘सैयद हैदर रज़ा: एक अप्रतिम कलाकार की यात्रा’ ऐसी ही किताब है,...

जीवन का तट : रविन्द्र कुमार

जीवन का तट : रविन्द्र कुमार

नदियाँ सभ्यता की बसाहट का आधार रही हैं. जल ने केवल जीवन ही नहीं, संस्कृति को भी सींचा है. रामशंकर सिंह द्वारा संपादित ‘जीवन का तट: उत्तर भारत की नदियाँ...

कविता क्या है? की चौ-पाई : वागीश शुक्ल

कविता क्या है? की चौ-पाई : वागीश शुक्ल

यह जानकर विस्मय होता है कि नागरी प्रचारिणी सभा की स्थापना 1893 में बाबू श्यामसुंदर दास ने शिवकुमार सिंह और रामनारायण मिश्र के साथ मिलकर उस समय की, जब वे...

कर्फ़्यू की रात : फ़रीद ख़ाँ

कर्फ़्यू की रात : फ़रीद ख़ाँ

‘कर्फ़्यू की रात’ कथाकार शहादत का दूसरा कहानी संग्रह है. उन्होंने उर्दू शायर ज़हीर देहलवी की आत्मकथा ‘दास्तान-ए-1857’, मकरंद परांजपे की किताब ‘गांधी: मृत्यु और पुनरुत्थान’, और उर्दू अफ़सानानिगार हिजाब...

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