तुलसी-साहित्य का पुनरावलोकन: भारतरत्न भार्गव
वरिष्ठ आलोचक और कला समीक्षक ज्योतिष जोशी की पुस्तक ‘तुलसीदास का स्वप्न और लोक’ इसी वर्ष सेतु प्रकाशन से प्रकाशित हुई है. ‘तुलसी-अध्ययन’ में यह बहुत कुछ जोड़ती है. इसकी...
वरिष्ठ आलोचक और कला समीक्षक ज्योतिष जोशी की पुस्तक ‘तुलसीदास का स्वप्न और लोक’ इसी वर्ष सेतु प्रकाशन से प्रकाशित हुई है. ‘तुलसी-अध्ययन’ में यह बहुत कुछ जोड़ती है. इसकी...
रश्मि शर्मा को वर्ष 2021 का छठा शैलप्रिया स्मृति सम्मान मिला है. कविता के साथ-साथ रश्मि कहानियां भी लिखती हैं. 2022 में उनका पहला कहानी-संग्रह ‘बन्द कोठरी का दरवाजा’ सेतु...
हम नदियों की बात करते हैं, और निषादों को भूल जाते हैं, वे साहित्य और समाज से लगभग बहिष्कृत ही रहे. नदी पार करने के बाद जो स्थिति नाव की...
‘खोई चीज़ों का शोक’ (2021) सविता सिंह का चौथा कविता-संग्रह है. 2001 में उनका पहला संग्रह ‘अपने जैसा जीवन’ प्रकाशित हुआ था. इन बीस वर्षों में उनकी कविता के साथ-साथ...
वरिष्ठ आलोचक-लेखक रवि रंजन की पोलैंड की राजधानी वारसा प्रवास की साक्षी यह ‘वारसा डायरी’ संस्मरण और डायरी लेखन के एक दूसरे में घुल मिल जाने का आत्मीय प्रयोग है....
समझ में नहीं आता कि माध्यम को दोष दिया जाए कि जिनके हाथों में वह है उन्हें. टीवी की शुरुआत भारत में कितनी उम्मीदों के साथ हुई थी, पत्रकारिता को...
रमाशंकर सिंह की पुस्तक ‘नदी पुत्र: उत्तर भारत में निषाद और नदी’ निषादों की नदी पर निर्भरता के साथ-साथ समाज में उनकी उपस्थिति और राजनीतिक गतिशीलता को भी देखती है....
कुमार अम्बुज हिंदी के महत्वपूर्ण कवि हैं, इस वर्ष आया उनका नया कविता संग्रह- ‘उपशीर्षक’ हिंदी कविता में रेखांकित करने वाली घटना है, इस दशक की मनोदशा का दर्पण है....
वरिष्ठ पत्रकार और लेखक उर्मिलेश का यात्रा-संस्मरण ‘मेम का गाँव गोडसे की गली’ संभावना प्रकाशन से इसी वर्ष प्रकाशित हो कर आया है और अपनी खोजी दृष्टि और सामाजिक-राजनीतिक सरोकारों...
कृष्ण कल्पित का कविता संग्रह- ‘एक महादेश की गाथा: हिन्दनामा’ २०१९ में राजकमल प्रकाशन से प्रकाशित हुआ था और तभी से रुचि का विषय बना हुआ है. मिथकों, पुराख्यानों और...
समालोचन साहित्य, विचार और कलाओं की हिंदी की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है. डिजिटल माध्यम में स्तरीय, विश्वसनीय, सुरुचिपूर्ण और नवोन्मेषी साहित्यिक पत्रिका की जरूरत को ध्यान में रखते हुए 'समालोचन' का प्रकाशन २०१० से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है. विषयों की विविधता और दृष्टियों की बहुलता ने इसे हमारे समय की सांस्कृतिक परिघटना में बदल दिया है.
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