परख : शिलावहा (किरण सिंह) : मीना बुद्धिराजा
मिथकीय पात्रों को केंद्र में रखकर सृजनात्मक लेखन अतीत का वर्तमान के सन्दर्भ में पुनर्लेखन है, कथाकार किरण सिंह शोध-अन्वेषण के साथ अपने पात्रों का सृजन करती हैं. ‘अहल्या’ को...
मिथकीय पात्रों को केंद्र में रखकर सृजनात्मक लेखन अतीत का वर्तमान के सन्दर्भ में पुनर्लेखन है, कथाकार किरण सिंह शोध-अन्वेषण के साथ अपने पात्रों का सृजन करती हैं. ‘अहल्या’ को...
लेखिका और विचारक अरुंधति रॉय की किताब ‘The Doctor and the Saint’ का हिंदी अनुवाद अनिल यादव ‘जयहिंद’ और रतन लाल ने ‘एक था डॉक्टर एक था संत’ शीर्षक से...
उपन्यास : कुठाँव अब्दुल बिस्मिल्लाहसंस्करण - २०१९ राजकमल प्रकाशन प्रा. लि. नई दिल्लीमूल्य : ४९५ पत्रकार और एक्टिविस्ट अली अनवर की बिहार के पसमांदा मुसलमानों को केंद्र में रख कर लिखी हुए अपनी...
भारतेंदु हरिश्चन्द्र के जीवन पर आधारित दो प्रारम्भिक महत्वपूर्ण पुस्तकें हैं- ‘भारतेंदु हरिश्चन्द्र’, (मूल संस्करण-१९३५ के आस-पास प्रकाशित\') लेखक हैं श्री ब्रजरत्नदास और ‘हरिश्चन्द्र’ (मूल संस्करण १९०५ के आस-पास प्रकाशित )...
\"खोई नहीं है वह लड़कीजो मिली थी सपनों में \"राकेश मिश्र के तीन संग्रह एक साथ इसी वर्ष राधाकृष्ण प्रकाशन से प्रकशित होकर सामने आयें हैं. कविता के अभ्यस्त समालोचक ओम...
रिनाला खुर्दईशमधु तलवारप्रकाशक- राजकमल प्रकाशन, नई दिल्ली-110002प्रथम संस्करण-2019पृष्ठ सं-160मूल्य- पेपरबैक्स- रू. 150“रिनाला खुर्द पढ़ने के बाद लगा, जैसे मैं नीम का कोई पेड़ हो गया हूँ और उस पेड़ से...
‘पोस्ट बॉक्स नं. 203 नाला सोपारा’ को वर्ष २०१८ के साहित्य अकादेमी पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है. चित्रा मुद्गल ने मुंबई के उपनगर नाला सोपारा के एक किन्नर...
कथा-आलोचक राकेश बिहारी हिंदी के समर्थ कथाकार भी हैं. उनकी ग़ौरतलब कहानियाँ की चर्चा कर रहीं हैं मीना बुद्धिराजा.राकेश बिहारी : ग़ौरतलब कहानियाँनयी सदी की कथा का बदलता चेहरा ...
भारत के गाँव-देहात अब ‘गोदान’, ‘मैला आँचल’ और ‘राग दरबारी’ के गाँव देहात नहीं रह गए हैं. सतेंद्र कुमार ने नई अर्थव्यवस्था, शहरीकरण और तकनीक के प्रभावों का समाजशास्त्रीय अध्ययन...
कहते हैं वाल्टर वेन्यामिन सिर्फ उद्धरणों द्वारा ही एक किताब लिखना चाहते थे. कृष्ण कल्पित ‘विरचित’ कविता–रहस्य (New Criticism उर्फ़ नया काव्यशास्त्र) को आप शास्त्र और काव्य के सहमिलन से...
समालोचन साहित्य, विचार और कलाओं की हिंदी की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है. डिजिटल माध्यम में स्तरीय, विश्वसनीय, सुरुचिपूर्ण और नवोन्मेषी साहित्यिक पत्रिका की जरूरत को ध्यान में रखते हुए 'समालोचन' का प्रकाशन २०१० से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है. विषयों की विविधता और दृष्टियों की बहुलता ने इसे हमारे समय की सांस्कृतिक परिघटना में बदल दिया है.
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