दक्षिणायन (प्रचण्ड प्रवीर) : वागीश शुक्ल
कथाकार गैब्रिएल गार्सिया मार्खे़ज़ ने मेंदोजा से बातचीत में यह स्वीकार किया है कि उनके उपन्यासों में एक भी पंक्ति ऐसी नहीं है जो वास्तविकता पर आधारित न हो. लातीन...
कथाकार गैब्रिएल गार्सिया मार्खे़ज़ ने मेंदोजा से बातचीत में यह स्वीकार किया है कि उनके उपन्यासों में एक भी पंक्ति ऐसी नहीं है जो वास्तविकता पर आधारित न हो. लातीन...
सदानंद शाही कविताएँ भी लिखते हैं. उनकी २०१३ से २०१७ के बीच की कविताओं का प्रकाशन लोकायत (वाराणसी) ने \'माटी पानी\' शीर्षक से किया है, इसमें हिंदी के साथ-साथ भोजपुरी...
आई. आई. टी. दिल्ली से रासायनिक अभियांत्रिकी में स्नातक प्रचण्ड प्रवीर हिंदी के बीहड़ लेखक हैं. उनकी कहानियों की बौद्धिक सघनता और शिल्प के नवाचार ने हिंदी कहानी को एक...
कथाकार कवि उदय प्रकाश का नया कविता संग्रह ‘अम्बर में अबाबील’ अभी-अभी वाणी प्रकाशन से प्रकाशित हुआ है. इस संग्रह की बहुत दिनों से प्रतीक्षा थी. और युवा आलोचक संतोष...
आलोचना के परिसर गोपेश्वर सिंहवाणी प्रकाशन, नयी दिल्लीप्रथम संस्करण-2019मूल्य- रू. 695आलोचक गोपेश्वर सिंह की \'आलोचना के परिसर\' पुस्तक इसी वर्ष वाणी प्रकाशन से छप कर आयी है. इस कृति को देख परख रहीं हैं...
‘खड़ी बोली’ को राष्ट्र भाषा ‘हिंदी’ बनाने के लिए जहाँ लम्बा संघर्ष किया गया वहीं अंग्रेजी और अन्य भारतीय भाषाओं के साथ उसके अंतर्विरोधों से भी भरसक लड़ा गया. उपनिवेश...
योगफलअरुण कमलवाणी प्रकाशन, नयी दिल्लीप्रथम संस्करण -2019मूल्य- रू. 295प्रसिद्ध हिंदी कवि अरुण कमल की २०११ से २०१८ के बीच लिखी गयी कविताओं का संग्रह ‘योगफल’ इस वर्ष वाणी प्रकाशन से...
लमही का स्त्री कथाकारों पर आधारित अंक \'हमारा कथा समय -१\' की चर्चा कर रहें हैं कवि निशांत. इस पत्रिका के संपादक हैं, विजय राय. ...
कवि केदारनाथ सिंह का गद्य ललित और रोचक है, उसमें जगह-जगह कविता दिख जाती है. ‘क़ब्रिस्तान में पंचायत’ में उनके आस-पास के लोग हैं, परिवेश है, बुद्ध हैं, कुशीनगर पर...
पानी को सब याद था : अनामिकाप्रकाशक- राजकमल प्रकाशन, नई दिल्लीप्रथम संस्करण- 2019मूल्य- रू- 150वरिष्ठ कवयित्री अनामिका का नया कविता संग्रह ‘पानी को सब याद था’ इसी वर्ष राजकमल प्रकाशन से...
समालोचन साहित्य, विचार और कलाओं की हिंदी की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है. डिजिटल माध्यम में स्तरीय, विश्वसनीय, सुरुचिपूर्ण और नवोन्मेषी साहित्यिक पत्रिका की जरूरत को ध्यान में रखते हुए 'समालोचन' का प्रकाशन २०१० से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है. विषयों की विविधता और दृष्टियों की बहुलता ने इसे हमारे समय की सांस्कृतिक परिघटना में बदल दिया है.
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