निष्कासन : नरेश गोस्वामी
एक सच्ची कहानी किस तरह एक राजनीतिक मंतव्य भी है इसे इस कहानी को पढ़ते हुए आप महसूस कर सकते हैं. नरेश गोस्वामी डॉक्टर की सलाह पर सुबह की सैर...
एक सच्ची कहानी किस तरह एक राजनीतिक मंतव्य भी है इसे इस कहानी को पढ़ते हुए आप महसूस कर सकते हैं. नरेश गोस्वामी डॉक्टर की सलाह पर सुबह की सैर...
‘गुलमेहंदी की झाड़ियाँ’, ‘भूगोल के दरवाजे पर’, ‘जंगल में दर्पण’ (कहानी संग्रह), लौटती नहीं जो हंसी (उपन्यास) आदि के लेखक तरुण भटनागर आदिवासी पृष्ठभूमि पर लिखी कहानियों के लिए जाने...
अकादमिक दुनिया को आधार बनाकर हिंदी में कम ही कहानियाँ लिखी गयीं हैं उनमें से कथाकार देवेन्द्र की कहानी ‘नालंदा पर गिद्ध’ अविस्मरणीय है. ज्ञान के कथित पीठ महीन कूटनीति...
पत्रकार और लेखिका अणु शक्ति सिंह की यह कहानी आकार में छोटी भले ही हो, असर गहरा करती है. अकेलेपन और उदासी की सफ़ेद रौशनी से यह कहानी स्त्री को...
नरेश गोस्वामी की कहानी ‘छिपकलियाँ’ पढ़ते हुए निदा फ़ाज़ली का यह शेर याद आता रहा. ‘देस वीराना’ की कोई न कोई कथा हर शहरी के पास है. महानगर ईटों के...
प्राची अपनी सहेलियों शालिनी और सौम्या के साथ जंगल-यात्रा पर सपरिवार निकलती तो है, पर ये लोग कहाँ फंस जाते हैं? ताकत, पूंजी और मनोविज्ञान के इस खेल में क्या...
एलजीबीटी समुदाय (lesbian, gay, bisexual, and transgender) को केंद्र में रखकर लिखी गई कहानियों में इस्मत चुगताई की उर्दू कहानी ‘लिहाफ़’ पहली हिन्दुस्तानी लेस्बियन प्रेम कहानी है जिसका प्रकाशन १९४२...
(by kallchar)राकेश बिहारी ने समकालीन कथा-साहित्य पर अपने स्तंभ ‘भूमंडलोत्तर कहानी’ की शुरुआत लगभग चार वर्ष पूर्व समालोचन पर की थी. आज इसकी २१ वीं कड़ी योगिता यादव की कहानी ‘गलते...
बारिश के देवता प्रत्यक्षा लगातार बारिश हो रही थी. झमझम. फोन की घँटी बेतहाशा बजती है. हलो हलो ? हलो डॉक्यूमेंटस नहीं मिले.. कोई उधर से चीख रहा है...
कृति : Egon Schieleराकेश बिहारी आलोचक के साथ साथ हिंदी के समर्थ कथाकार भी हैं. उनके दो कहानी संग्रह- ‘वह सपने बेचता था’ तथा ‘गौरतलब कहानियाँ’ प्रकाशित हैं. प्रस्तुत कहानी...
समालोचन साहित्य, विचार और कलाओं की हिंदी की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है. डिजिटल माध्यम में स्तरीय, विश्वसनीय, सुरुचिपूर्ण और नवोन्मेषी साहित्यिक पत्रिका की जरूरत को ध्यान में रखते हुए 'समालोचन' का प्रकाशन २०१० से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है. विषयों की विविधता और दृष्टियों की बहुलता ने इसे हमारे समय की सांस्कृतिक परिघटना में बदल दिया है.
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