जस्ट डांस : कैलाश वानखेड़े
हंस के संपादक और कथाकार राजेन्द्र यादव की स्मृति में उनके जन्म दिन (२८ अगस्त) के अवसर पर \"राजेन्द्र यादव हंस कथा-सम्मान\" हर वर्ष हंस में ही प्रकाशित कहानियों में...
हंस के संपादक और कथाकार राजेन्द्र यादव की स्मृति में उनके जन्म दिन (२८ अगस्त) के अवसर पर \"राजेन्द्र यादव हंस कथा-सम्मान\" हर वर्ष हंस में ही प्रकाशित कहानियों में...
कृति : Louise Bourgeois :Arch of Hysteria भूमंडलोत्तर कहानी विवेचना क्रम में आपने अब तक निम्न कहानियों पर युवा आलोचक राकेश बिहारी की विवेचना पढ़ी- लापता नत्थू उर्फ दुनिया न माने (रवि बुले),...
संजीव चंदन जाति और जेंडर के मुद्दे पर लिखते हैं, ‘स्त्रीकाल’ पत्रिका का संपादन करते हैं, कथाकार हैं. यह उनकी नई कहानी है. आधुनिकता के मायने भी पीढ़ियों में बदल...
पेशे से चिकित्सक विवेक मिश्र हिंदी के चर्चित कथाकार हैं. उनकी कहानी ‘थर्टी मिनिट्स’ को आधार बनाकर येसुदास बीसी ने ‘30 MINUTES’ फ़िल्म का निर्माण किया है जो अब सिनेमाघरों...
पेंटिग : लाल रत्नाकररांगेय राघव_______________तिरुमलै नम्बाकम वीर राघवाचार्य उर्फ रांगेय राघव (१७ जनवरी, १९२३ - १२ सितंबर, १९६२) का रचनासंसार इतना विस्तृत और बहुविषयक है कि भारतेंदु की रचनाशीलता की याद आती...
कृति : Ladoo Bai कलाओं का विकास मनुष्य की स्वाधीनता के चेतना से जुड़ा हुआ है, बाद में सत्ताओं के सेंसरशिप के बावजूद कला अपनी यह ज़िम्मेदारी उठाती रही है. आप कल्पना कीजिये...
भोपाल की स्पंदन संस्था की संयोजक उर्मिला शिरीष ने 2015 के स्पंदन कृति सम्मान से कथाकार मनोज पाण्डेय, और स्पंदन आलोचना सम्मान से राकेश बिहारी के सम्मानित होने की घोषणा...
Photo : Clare Park, Self portrait, Holding my Past हिंदी की प्रतिष्ठा प्राप्त कथा-पत्रिका हंस के अप्रैल २०१६ में प्रकाशित पंकज सुबीर की कहानी \"चौपड़े की चुड़ैलें\" को २०१६ का \"राजेंद्र यादव हंस कथा...
जयशंकर प्रसाद :(३० जनवरी१८९० – १४ जनवरी १९३७)बीसवीं शताब्दी के महानतम साहित्यकार जयशंकर प्रसाद जितने बड़े कवि हैं उतने ही बड़े नाटककार और कथाकार भी. अभी इतिहास की उनकी समझ...
पेंटिग : अमृता शेरगिल‘कालजयी’ स्तम्भ में आप प्रेमचंद की कहानी, ‘कफन’ पर रोहिणी अग्रवाल का आलेख पढ़ चुके हैं, इस क्रम को आगे बढ़ाते हुए आज जैनेन्द्र कुमार की कहानी...
समालोचन साहित्य, विचार और कलाओं की हिंदी की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है. डिजिटल माध्यम में स्तरीय, विश्वसनीय, सुरुचिपूर्ण और नवोन्मेषी साहित्यिक पत्रिका की जरूरत को ध्यान में रखते हुए 'समालोचन' का प्रकाशन २०१० से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है. विषयों की विविधता और दृष्टियों की बहुलता ने इसे हमारे समय की सांस्कृतिक परिघटना में बदल दिया है.
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