जेम्स ज्वायस: एवलीन: अनुवाद: शिव किशोर तिवारी
जेम्स ज्वायस (2 फरवरी, 1882 – 13 जनवरी, 1941) की कहानी एवलीन का यह अनुवाद शिव किशोर तिवारी ने मूल अंग्रेजी से किया है. इससे पहले जेम्स ज्वायस की अनूदित...
जेम्स ज्वायस (2 फरवरी, 1882 – 13 जनवरी, 1941) की कहानी एवलीन का यह अनुवाद शिव किशोर तिवारी ने मूल अंग्रेजी से किया है. इससे पहले जेम्स ज्वायस की अनूदित...
गुन्नार गुन्नारसन की कहानी बाप-बेटा उनकी ही नहीं विश्व साहित्य की कुछ चर्चित कहानियों में से एक है. गुन्नार गुन्नारसन को साहित्य के नोबेल पुरस्कार के लिए कई बार नामित...
जेम्स ज्वायस (2 फरवरी, 1882 – 13 जनवरी, 1941) बीसवीं शताब्दी के कुछ महत्वपूर्ण लेखकों में से एक हैं. उनकी कहानी ‘Araby’ का प्रकाशन 1914 में हुआ था. यह कुछ-कुछ...
भारतीय अंग्रेजी लेखकों में तिशानी दोषी उभरती हुयी शख़्सियत हैं, ‘गर्ल्स आर कमिंग आउट ऑफ द वुड्स’ उनका नवीनतम कविता संग्रह है. उनके दो उपन्यास भी प्रकाशित हो चुके हैं....
अल्बेयर कामू (7 नवम्बर,1913 - 4 जनवरी,1960) की कहानी ‘The Silent Men’ (French: Les muets) उनके कहानी-संग्रह- ‘Exile and the Kingdom’ (French: L'exil et le royaume) जिसका प्रकाशन 1957 में...
जीवनानंद दास (17 February 1899- 22 October 1954) साहित्य अकादेमी द्वारा पुरस्कृत पहले बांग्ला कवि हैं. उन्हें ‘कवियों के कवि’ कहा जाता है, वनलता सेन नाम से उनका संग्रह १९४२...
साहित्य के लिए नोबल पुरस्कार से सम्मानित हालडोर किलयान लैक्सनेस्स की कहानी ‘न्यू आइसलैंड’ का अंग्रेजी से हिंदी अनुवाद वरिष्ठ अनुवादक मधु बी जोशी ने किया है. इस कहानी का...
ऑस्कर वाइल्ड (16 अक्तूबर, 1854 – 30 नवम्बर, 1900) की 1898 में लिखी कविता ‘The Ballad of Reading Gaol’ जेलों में कैदियों की दुर्दशा को प्रस्तुत करने वाली कविता के...
शिम्बोर्स्का को साहित्य के लिए १९९६ का नोबेल पुरस्कार जब मिला, हिंदी में भी उनकी चर्चा बड़े स्तर पर आरम्भ हुई और उनकी कविताओं के अनुवाद प्रकाशित होने लगे. १९९८...
भारतीय अंग्रेजी कथा-साहित्य में तनुज सोलंकी युवा प्रतिभा हैं, उन्हें उनकी कहानियों के लिए साहित्य अकादमी युवा पुरस्कार मिल चुका है. यह कहानी आकार में छोटी है पर असर इसका गहरा...
समालोचन साहित्य, विचार और कलाओं की हिंदी की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है. डिजिटल माध्यम में स्तरीय, विश्वसनीय, सुरुचिपूर्ण और नवोन्मेषी साहित्यिक पत्रिका की जरूरत को ध्यान में रखते हुए 'समालोचन' का प्रकाशन २०१० से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है. विषयों की विविधता और दृष्टियों की बहुलता ने इसे हमारे समय की सांस्कृतिक परिघटना में बदल दिया है.
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