किनोहारुकी मुराकामी
|
वह व्यक्ति सदैव काउंटर से सबसे दूर वाले कोने में एक निश्चित सीट पर बैठता था. निश्चय ही तब जब उस सीट पर कोई पहले से न बैठा होता, लेकिन वह सीट लगभग हमेशा ही खाली रहती थी. बार में शायद ही कभी बहुत भीड़-भाड़ होती थी और वह सीट तो सबसे कम महत्वपूर्ण और सबसे कम आरामदायक थी. उसके ऊपर स्थित सीढ़ियों के कारण वहाँ की छत तिरछी और नीची थी इसलिए बिना सिर टकराये उस सीट से उठ पाना मुश्किल था. वह आदमी लम्बा था फिर भी किसी कारणवश वह उसी संकुचित, संकरे स्थान को प्राथमिकता देता था.
किनो को उस व्यक्ति का उसके बार में पहली बार आना स्मरण है. उसके रूपाकार ने तत्काल ही उसे आकृष्ट किया था- नीलापन लिए घुटा हुआ चिकना सिर, दुबली पतली बनावट किन्तु चौड़े कंधे, आँखों में जिज्ञासु चमक, गालों की हड्डियां थोड़ी उभरी हुई और चौड़ा माथा. वह अपनी उम्र के तीस के दशक के शुरुआती वर्षों में लगता था और भूरे रंग का लम्बा रेनकोट पहने था यद्यपि उस दिन वर्षा नहीं हो रही थी. पहले पहल किनो ने उसे एक याक़ूज़ा (अपराधी गिरोह का सदस्य) मान लिया और उसके साथ विशेष सावधानी बरती. मध्य अप्रैल की उस बेहद ठंडी शाम को साढ़े सात बजे थे और बार खाली था. उस आदमी ने काउंटर के अंतिम सिरे की सीट चुनी, अपना रेनकोट उतारा, और शांत आवाज़ में बियर के लिए ऑर्डर दिया, फिर एक मोटी सी पुस्तक पढ़ने लगा. आधे घंटे के पश्चात, बियर ख़त्म कर के उसने अपने हाथ को एक या दो इंच उठा कर किनो को बुलाने का इशारा किया और एक ह्विस्की का ऑर्डर दिया. “कौन सा ब्रांड?” किनो ने पूछा. पर उस आदमी ने कहा कि उसकी कोई विशेष पसंद नहीं थी.
“कोई भी साधारण सी स्कॉच. डबल. बराबर मात्रा में पानी और थोड़ी सी बर्फ, यदि तुम दे सको.”
किनो ने एक ग्लास में ह्वाइट लेबिल ह्विस्की उड़ेली, उतना ही पानी मिलाया और बर्फ के दो अच्छे जमे क्यूब डाले. आदमी ने एक घूंट लिया, ग्लास को ध्यान से देखा और आँखें सिकोड़ी. “यह बढ़िया रहेगा.”
वह आधे घंटे तक और पढ़ता रहा, फिर उठा और बिल का नकद भुगतान किया. उसने ठीक ठीक फुटकर गिन कर दिया ताकि उसे सिक्के न वापस लेने पड़ें. जैसे ही वह द्वार से बाहर गया किनो ने राहत की साँस ली. किन्तु उस व्यक्ति के चले जाने के पश्चात् भी उसकी उपस्थिति बनी रही. काउंटर के पीछे खड़े किनो ने यदा कदा उस सीट पर दृष्टि डाली, उसके वहां अभी भी उपस्थित होने की अपेक्षा सी करते हुए कि वह अपने हाथ को कुछ इंच उठा कर कुछ ऑर्डर करेगा.
उस व्यक्ति ने नियमित रूप से किनो के बार में आना शुरू कर दिया. हफ़्ते में एक या अधिक से अधिक दो बार. वह बिला नागा पहले बियर लेता फिर ह्विस्की. कभी कभार वह बोर्ड पर लगा उस दिन का मेन्यू पढ़ता और कुछ हल्का फुल्का खाने का भी ऑर्डर देता.
वह आदमी मुश्किल से ही कभी कुछ कहता. वह हमेशा, अपनी बाँह के नीचे एक किताब दबाये, शाम को जल्दी आता और किताब को काउंटर पर रख देता. जब भी वह पढ़ते पढ़ते थक जाता (कम से कम किनो यही अनुमान करता कि वह थक गया था), वह किताब के पन्नों पर से दृष्टि उठाता और उसके सामने शेल्फ में लगी शराब की बोतलों के लेबिल पढ़ने लगता, मानो किन्हीं दूर देशों के असामान्य जानवरों की शिकार कर के सुखाई गयी खालों की श्रृंखला का परीक्षण कर रहा हो.
यद्यपि एक बार जब किनो उस व्यक्ति के वहाँ आने का अभ्यस्त हो गया, उसे उस व्यक्ति के साथ कभी भी असुविधाजनक नहीं महसूस हुआ, तब भी नहीं जब मात्र वे दोनों ही वहाँ होते. किनो स्वयं भी कभी बहुत अधिक नहीं बोलता था, और उसे दूसरों के आसपास मौन रहने में कठिनाई नहीं होती थी. जब वह व्यक्ति पढ़ रहा होता, किनो वह सब करता रहता जो वह अकेले रहने पर करता था- प्लेटें धोता, सॉसेज तैयार करता, बजाने के लिए रेकार्ड चुनता, अथवा अखबार के पन्ने पलटता.
किनो उस व्यक्ति का नाम नहीं जानता था. वह बस एक नियमित ग्राहक मात्र था जो बार में आता, एक बियर और फिर एक ह्विस्की लेता, चुपचाप पढ़ता रहता, नकद भुगतान करता फिर चला जाता. उसने किसी अन्य को कभी परेशान नहीं किया. किनो को उसके बारे में और अधिक क्या जानने की आवश्यकता थी?
2.
वापस कालेज के दिनों में चलें तो किनो मध्यम दूरी का एक उत्कृष्ट धावक था किन्तु बाद के वर्षों में उसके टखने के ऊतकों के फट जाने के कारण उसे किसी कंपनी की ट्रैक टीम में सम्मिलित होने के अपने विचार को त्याग देना पड़ा. स्नातक के पश्चात, अपने कोच की संस्तुति पर उसे खेलों का सामान बनाने वाली एक कंपनी में काम मिल गया और वह वहाँ सत्रह वर्षों तक काम करता रहा. उसका काम खेलों का सामान बेचने वाले स्टोर्स को उसकी कंपनी के दौड़ने के जूतों का स्टॉक रखने और बड़े खिलाडियों को उनका प्रयोग करने हेतु प्रेरित करने का था. वह एक मध्यम आकार की कंपनी थी जिसका मुख्यालय ओकायामा में था और बहुत प्रसिद्ध नहीं थी. साथ ही उसके पास नाइकी और एडिडास जैसी वित्तीय शक्ति भी नहीं थी जो दुनिया के सर्वश्रेष्ठ धावकों के साथ विशेष करार कर सकती. फिर भी वह उच्च कोटि के खिलाडियों के लिए सावधानी से तैयार किये गए जूतों का उत्पादन करती थी.
कई सारे खिलाडी उसके उत्पादों पर भरोसा करते थे. “ईमानदार काम करो और उसका परिणाम मिलेगा” कंपनी के संस्थापक का नारा था और यह शांत और कुछ कुछ कालभ्रमित सा तरीका किनो के व्यक्तित्व को सही लगता था. उसके जैसा चुप रहने वाला और लोगों से कम घुलने मिलने वाला व्यक्ति भी बिक्री कर पाने में सफल रहता था. वास्तव में यह उसका व्यक्तित्व ही था कि कोच उस पर विश्वास करते थे और खिलाडियों में उसके प्रति पसंद का भाव विकसित हो गया था. वह हर धावक की जरुरत के सम्बन्ध में ध्यान से सुनता था और सुनिश्चित करता था की उत्पादन इकाई के प्रमुख तक सभी विवरण पहुँच जाएँ. वेतन कुछ बहुत कहने या बताने लायक नहीं था, बस यह काम उसे व्यस्त रखने वाला और संतुष्टिदायक लगता था. यद्यपि वह स्वयं अब नहीं दौड़ सकता था, पर उसे अच्छे फॉर्म में, धावकों को ट्रैक पर दौड़ते हुए देखना बहुत प्रिय था.
जब किनो ने वह नौकरी छोड़ी तो उसका कारण यह नहीं था कि वह काम से असंतुष्ट हो गया था बल्कि इसलिए कि उसे पता चला कि उसकी पत्नी के सम्बन्ध उसकी कंपनी में ही काम करने वाले उसके सबसे अच्छे मित्र से थे. किनो टोक्यो में घर की तुलना में अपना अधिकतर समय सड़कों पर व्यतीत करता था. वह जिम में काम आने वाले एक बैग में जूतों के सैंपल भरता और जापान भर में खेल का सामान बेचने वाले स्टोर्स का चक्कर लगाता रहता, उन कालेजों और कंपनियों में भी जाता जो धावकों की टीमों को प्रायोजित किया करती थी. जब वह घर से दूर रहता, उसी दौरान उसकी पत्नी और उसके मित्र ने साथ सोना शुरू कर दिया. किनो इस तरह का व्यक्ति नहीं था जो जल्दी इस तरह की बातों का सूत्र पकड़ लेता. उसने सोचा उसकी शादी में सब कुछ ठीक था, उसकी पत्नी ने भी इस बात से भिन्न न कभी कुछ कहा न कोई संकेत दिया था. यदि एक बार वह अपनी यात्रा की समाप्ति के दिन से एक दिन पहले ही घर न लौट आया होता, तो उसे शायद कभी पता न चलता कि क्या चल रहा था.
उस दिन वह जब वापस टोक्यो पहुंचा, वह सीधे ‘कसई’ में अपने आवास पर गया. उसने अपने शयन कक्ष में, जहाँ वह और उसकी पत्नी सोया करते थे, अपनी पत्नी को अपने मित्र के साथ नग्न और आलिंगनबद्ध पाया. उसकी पत्नी ऊपर थी, जब किनो ने दरवाजा खोला तो वह बिलकुल उसके सामने थी और उसके सुन्दर वक्ष ऊपर नीचे उछल रहे थे. तब वह उनतालीस साल का था और उसकी पत्नी पैंतीस की. उनके कोई बच्चे नहीं थे. किनो ने सिर नीचे झुका लिया, शयनकक्ष का दरवाजा बंद किया, अपार्टमेन्ट से बाहर चला गया और फिर कभी वापस लौट कर नहीं गया. अगले दिन उसने अपना काम छोड़ दिया.
किनो की एक अविवाहित मौसी थीं, उसकी माँ की बड़ी बहन. जब वह बच्चा था तभी से उसकी मौसी का व्यवहार उसके प्रति बहुत अच्छा था. उनका एक बहुत सालों पुराना पुरुष मित्र था (प्रेमी अधिक सही शब्द होगा) और उसने उन्हें बड़ी उदारता से आओयामा में एक छोटा सा घर उपहार में दे रखा था. वे पहली मंजिल पर रहती थी और भूतल पर एक कॉफीशॉप चलाती थी. घर के सामने की ओर एक छोटा सा बगीचा और विलो का एक शानदार पेड़ था जिसकी शाखाएं नीचे को झुकी हुई और पत्तियों से लदी थी. मकान नेज़ू अजायबघर के पीछे की एक संकरी सी गली में था और ग्राहकों के आने के लिहाज से बहुत अच्छी स्थिति में नहीं था. किन्तु उसकी मौसी में लोगों को आकर्षित करने का खास गुण था और उनकी कॉफीशॉप अच्छी चलती थी.
जब वे साठ की हुईं, उनकी पीठ में चोट लग गयी और धीरे धीरे उनके लिए अकेले दुकान चला पाना कठिन होता गया. उन्होंने इजु-कोगें हाइलैंड में एक अपार्टमेंट में चले जाने का निर्णय लिया. “मैं सोच रही थी कि अंततः तुम इस दुकान को चलाने का जिम्मा ले सकते हो?” उन्होंने किनो से पूछा. यह उसे उसकी पत्नी के अफेयर के बारे में पता चलने के तीन महीने पूर्व की बात थी. “मैं इस प्रस्ताव की प्रशंसा करता हूँ,” उसने उनसे कहा, “किन्तु अभी मैं जहाँ हूँ, वहीं खुश हूँ.”
अपने काम से त्यागपत्र देने के पश्चात उसने अपनी मौसी को फोन किया कि क्या उन्होंने दुकान बेच दी थी. उन्होंने उसे बताया कि मकान एक संपत्ति विक्रेता एजेंट के यहाँ सूचीबद्ध था किन्तु कोई गंभीर ग्राहक अब तक नहीं मिला था. “मैं वहाँ एक ‘बार’ खोलना चाहूँगा यदि मैं ऐसा कर सका,” किनो ने कहा. “क्या मैं आपको मासिक किराया दे सकता हूँ ?”
“लेकिन तुम्हारे काम का क्या हुआ?” उन्होंने पूछा.
“मैंने कुछ दिन पूर्व वह काम छोड़ दिया.”
“क्या तुम्हारी पत्नी को इस सम्बन्ध में कोई समस्या नहीं है ?”
“हम शायद जल्दी ही तलाक लेने जा रहे हैं.”
किनो ने उन्हें कोई कारण नहीं बताया और उसकी मौसी ने पूछा भी नहीं. लाइन के दूसरी ओर कुछ समय के लिए सन्नाटा सा रहा. फिर उसकी मौसी ने मासिक किराये की एक राशि बताई जो किनो की अपेक्षा के हिसाब से बहुत कम थी. “मेरे विचार से, मैं इतना कर सकता हूँ,” उसने उनसे कहा.
उसने और उसकी मौसी ने पहले कभी इतनी बातचीत नहीं की थी (उसकी माँ उसे उनके करीब जाने से हतोत्साहित करती थी), किन्तु उन्हें हमेशा लगता था कि उनके बीच एक आपसी समझ जैसा कुछ था. वे जानती थीं कि किनो उस तरह का व्यक्ति नहीं था जो वायदे से मुकर जाये.
किनो ने अपनी आधी बचत कॉफीशॉप को बार में परिवर्तित करने में लगा दी. उसने कुछ सामान्य सा फर्नीचर ख़रीदा और एक लम्बा और मजबूत बार बनवाया. उसने शांत रंगों वाला वॉलपेपर लगवाया, घर से अपने रेकॉर्ड्स ले आया और बार में एक शेल्फ में उन्हें करीने से लगा दिया. उसके पास एक बढ़िया सा स्टीरियो था- थोरेंस टर्नटेबल, एक लक्समैन एम्प्लीफायर और जेबीएल के टू वे स्पीकर- उसने यह सब तब ख़रीदा था जब वह अविवाहित था, जो कि उस समय काफी महंगा सौदा था. लेकिन उसे पुराना जाज़ संगीत सुनना हमेशा अच्छा लगता था. यह उसका एकमात्र शौक था, ऐसा शौक जो उसके किसी भी अन्य जानने वाले को नहीं था. कालेज के समय उसने रोपोंगी के एक शराबखाने में अंशकालिक बारटेंडर के रूप में काम किया था इसलिए वह कॉकटेल बनाना अच्छी तरह जानता था.
वह अपने बार को किनो कहता था. उसे कोई बेहतर नाम समझ में ही नहीं आया. बार के खुलने के पहले सप्ताह में वहाँ एक भी ग्राहक नहीं आया किन्तु वह परेशान नहीं हुआ. आखिर उसने उस जगह के लिए न तो कोई विज्ञापन दिया था न ही कोई बहुत तड़क-भड़क वाला शाइनबोर्ड ही लगाया था. वह सिर्फ धैर्य से जिज्ञासु लोगों के पीछे की इस गली में स्थित बार में संयोगवश आ जाने की प्रतीक्षा करता रहा. उसके पास अभी भी नौकरी छोड़ने के बाद मिले भुगतान का कुछ हिस्सा बचा हुआ था और उसकी पत्नी ने भी वित्तीय सहायता के लिए नहीं कहा था. वह उसके पूर्व के साथी के साथ पहले से ही रह रही थी और उसने और किनो ने केसई स्थित अपार्टमेंट को बेचने का निर्णय कर लिया था. किनो अपनी मौसी के मकान के प्रथम तल पर रहता था और ऐसा लगता था कि अभी कुछ समय तक उसके लिए काम चला ले जाना संभव रहेगा.
3
जब वह अपने पहले ग्राहक की प्रतीक्षा कर रहा था, किनो ने अपनी पसंद के तमाम संगीत का और जिन किताबों के पढ़ने की प्रतीक्षा करता रहा था उन्हें पढ़ने का आनंद लिया. जैसे सूखी भूमि बारिश का स्वागत करती है, उसी तरह उसने अपने एकांत, मौन और एकाकीपन को भीगने दिया. उसने आर्ट टाटम की पियानो पर बजायी तमाम एकल धुनें सुन डाली. एक प्रकार से यह सब उसके मूड के लिए ठीक प्रतीत हो रहा था.
वह निश्चित रूप से नहीं कह सकता था कि ऐसा क्यों था, पर वह अपनी पत्नी के प्रति कोई क्रोध अथवा कड़वाहट नहीं अनुभव करता था न ही अपने उस सहकर्मी के प्रति जिसके संग वह सो रही थी. विश्वासघात निश्चय ही एक झटका था, किन्तु जैसे-जैसे समय बीतता गया, उसने महसूस करना प्रारम्भ कर दिया कि इस सम्बन्ध में कुछ नहीं किया जा सकता था मानो यह सदैव से उसका भाग्य ही था. अपने जीवन में, अंततः, उसने कोई उपलब्धि नहीं प्राप्त की थी और पूर्णतः अनुत्पादक ही रहा था. वह किसी को भी खुश नहीं रख सकता था और निश्चित रुप से, वह स्वयं को भी खुश नहीं रख सका था. खुशी? वह इस बात के प्रति भी निश्चित नहीं था कि इसका क्या अर्थ था. उसके पास भावनाओं जैसे पीड़ा क्रोध, निराशा अथवा उदासीनता इत्यादि की स्पष्ट समझ नहीं थी और न ही इसकी कि उनके दौरान कैसा महसूस करने की अपेक्षा की जाती थी. जो कुछ वह अधिक से अधिक कर सकता था वह था एक ऐसी जगह निर्मित करना जहाँ उसका हृदय- अब किसी भी गहराई अथवा वजन से शून्य-स्थिर रह सकता, उसे यहाँ वहाँ भटके से बचाने हेतु. यह पीछे की गली में फंसा हुआ बार, किनो, वही स्थान बन गया. और यह बिना किसी योजना के ही विचित्र रूप से आरामदायक स्थान भी बन गया.
वह कोई व्यक्ति नहीं था जिसने यह खोज की कि किनो नाम का कोई स्थान कितना आरामदायक था, बल्कि सब से पहले ऐसा करने वाली एक बिल्ली थी. एक युवा, भूरी, मादा बिल्ली जिसकी पूंछ लम्बी और प्यारी थी. उसने बार के एक कोने में पड़े पिचके हुए एक डिस्प्ले बॉक्स को पसंद किया और वहीं गुड़मुड़ा कर सोने लगी. किनो, यह जान कर कि वह अकेले छोड़ दिया जाना पसंद करती थी, बिल्ली की ओर अधिक ध्यान नहीं देता था. वह दिन में एक बार उसे खाना देता था और उसका पानी बदल देता था, बस इसके अतिरिक्त और कुछ नहीं. और उसने उसके लिए एक छोटा सा दरवाजा बना दिया था ताकि जब उसे पसंद हो वह बाहर भीतर आ जा सके.
बिल्ली संभवतः अपने साथ थोड़ा सौभाग्य भी ले कर आयी थी क्योंकि उसके आने के पश्चात थोड़े ग्राहक प्रगट होने लगे. उनमें से कुछ नियमित रूप से आने लगे- एक बार जब उनमें पिछली गली के उस बार के प्रति पसंद विकसित हो गयी, उसके आश्चर्यजनक पुराने विलो वृक्ष के प्रति, उसके शांत अधेड़ मालिक के प्रति, उसके टर्नटेबल पर घूमते पुराने रेकॉर्ड्स के प्रति, और एक भूरी बिल्ली के प्रति जो एक कोने में पड़ी रहती थी. और वे लोग कई बार अपने साथ नए ग्राहकों को भी ले आते. अब भी बहुत अच्छा व्यवसाय करने से दूर होने के बावजूद बार से कम से कम उसका किराया निकल आता था. किनो के लिए उतना पर्याप्त था.
घुटे हुए सिर वाले युवा आदमी ने बार में उसके खुलने के दो माह पश्चात आना शुरू किया था. और दो महीने और बीत गए जब किनो को उसका नाम पता चला, ‘कमिता’.
हलकी बारिश हो रही थी, उस तरह की बारिश जब आप निश्चित नहीं होते कि आपको वास्तव में छतरी की जरूरत है या नहीं. ‘बार में मात्र तीन ग्राहक थे, कमिता और सूट पहने दो और व्यक्ति. उस समय शाम के साढ़े सात बजे थे. हमेशा की भांति कमिता काउंटर के सबसे दूर वाले स्टूल पर बैठा था, ह्वाइट लेबल तथा पानी के घूंट लेता, पढ़ता हुआ. दोनों आदमी एक टेबल पर बैठे थे और पिनोट नॉयर की एक बोतल से पी रहे थे. वे बोतल अपने साथ लाये थे, और उन्होंने किनो से पूछा था कि क्या उसे उनके यहाँ बैठ कर, पांच हजार येन की फ़ीस पर, पीने में कोई आपत्ति थी. यह किनो के लिए पहली बार था लेकिन उसके पास इनकार करने का कोई कारण नहीं था. उसने बोतल खोली, वाइन के दो ग्लास और मिश्रित मेवों का एक डिब्बा ला कर टेबल पर रख दिया. कोई विशेष परेशानी नहीं हुई. दोनों व्यक्ति बहुत अधिक धूम्रपान कर रहे थे, किनो में, जो धूम्रपान से घृणा करता था, उनके प्रति स्वागत भाव कम हो गया था. कुछ खास करने को न होने के कारण, किनो एक स्टूल पर बैठा कोलमैन हॉकिंस के एल पी में से “जोशुआ फिट द बैटल ऑफ़ जेरिको” सुनता रहा. उसे मेजर होले का बॉस सोलो आश्चर्यजनक लगा.
प्रारम्भ में वे दोनों आदमी वाइन का आनंद लेते हुए ठीक ठाक से लग रहे थे, फिर किसी मुद्दे पर उनमें मतभेद हो गया- वह क्या मुद्दा था, किनो को कोई अंदाजा नहीं था. वे दोनों व्यक्ति धीरे-धीरे अधिक उत्तेजित होने लगे. किसी बिंदु पर उन में से एक व्यक्ति उठा और उसने टेबल पलट दी, जिससे भरी हुई ऐश ट्रे और एक वाइन ग्लास फर्श पर जा गिरे. किनो तेजी से झाड़ू ले कर आया और उसने कूड़ा साफ किया. उसने टेबल पर एक साफ ग्लास और नया ऐश ट्रे रख दिया.
कमिता, यद्यपि इस समय तक किनो को उसका नाम जानना बाकी था- निश्चित रूप से उस आदमी के व्यवहार से अप्रसन्न था. उसके चेहरे के भाव नहीं परिवर्तित हुए किन्तु वह बाएं हाथ की उँगलियों से काउंटर पर धीरे-धीरे ठक ठक करता रहा, मानों कोई पियानो वादक पियानो की कुंजियों का परीक्षण कर रहा हो. मुझे इस स्थिति पर नियंत्रण करना चाहिए, किनो ने सोचा. वह उस आदमी के पास गया. “मुझे खेद है,” उसने विनम्रता से कहा, “लेकिन क्या आप अपनी आवाज थोड़ा धीमी रखने की कृपा करेंगे.”
उनमें से एक ने आँखों में ठंडी चमक के साथ उसकी ओर देखा और टेबल से उठ खड़ा हुआ. किनो ने अभी तक ध्यान नहीं दिया था लेकिन वह व्यक्ति विशालकाय था. वह उतना लम्बा नहीं था जितना चौड़ा उसका सीना था, और बाहें बहुत बड़ी थी, उस तरह की बनावट जैसी अपेक्षा आप किसी सूमो पहलवान से करते हैं.
दूसरा व्यक्ति अपेक्षाकृत काफी छोटे आकार का था. दुबला पतला, पीला और चालाकी का भाव चेहरे पर लिए हुए, उस तरह का भाव जो लोगों को उकसाने में माहिर लोगों के चेहरे पर होते हैं. वह भी धीरे से अपनी सीट से उठ गया. और किनो ने स्वयं को उनके आमने सामने पाया. उन व्यक्तिओं ने प्रत्यक्षतः निर्णय ले लिया था कि इस अवसर को अपने झगड़े को रोक देने और मिल कर किनो का सामना करने में प्रयोग करना चाहिए. उनमें पूरी तरह सामंजस्य था मानो वे गुप्त रूप से इस स्थिति के उत्पन्न होने की प्रतीक्षा कर रहे थे.
“तो तुम सोचते हो कि तुम सीधे टांग अड़ा कर हमारे बीच व्यवधान डाल सकते हो?” दोनों में से बड़े आकार वाले व्यक्ति ने कहा. उसकी आवाज़ कठोर और धीमी थी.
वे जो सूट पहने हुए थे वे महंगे लग रहे थे किन्तु पास से निरीक्षण करने पर वे भद्दे और घटिया तरीके से बने हुए लगे. पूरे पक्के याक़ूज़ा नहीं, किन्तु जिस तरह के काम में वे दोनों लिप्त थे वह निश्चित रूप से सम्मानजनक नहीं था. बड़े आकार वाले आदमी के बाल क्र्यू कट थे जबकि उसके साथी के ब्राउन रंग से रंगे हुए थे और पीछे, ऊपर की ओर खींच कर चोटी के रूप में बंधे थे. किनो ने कुछ बुरा घटित होने के लिए स्वयं को मजबूत किया. उसकी बगलों से पसीना आने लगा.
“माफ़ कीजिये,” एक अन्य आवाज़ ने कहा.
किनो मुड़ा तो उसने पाया कि कमिता उसके पीछे खड़ा हुआ था.
“कर्मचारी को दोष मत दो,” कमिता ने किनो की ओर इशारा करते हुए कहा.
“मैंने उसे तुम से अनुरोध करने के लिए कहा था कि धीमा बोलो. इससे एकाग्र होने में कठिनाई होती है और मैं अपनी पुस्तक नहीं पढ़ पाता हूँ.”
कमिता की आवाज़ सामान्य की अपेक्षा अधिक शांत और धीमी थी. किन्तु कुछ अनदेखा सा घटित होने लगा था.
“अपनी पुस्तक नहीं पढ़ पाता हूँ?” छोटे कद के आदमी ने दुहराया मानो सुनिश्चित हो जाना चाह रहा हो कि वाक्य में कोई व्याकरणीय त्रुटि तो नहीं थी.
“क्या, क्या तुम्हारा घर नहीं है ?” बड़े आकार वाले व्यक्ति ने कमिता से पूछा.
“है,” कमिता ने जवाब दिया. “मैं पास में ही रहता हूँ.”
“फिर तुम घर जा कर क्यों नहीं पढ़ते?”
“मैं यहीं पढ़ना पसंद करता हूँ,” कमिता ने कहा.
दोनों व्यक्तियों ने एक दूसरे को देखा.
“किताब मुझे दो,” छोटे कद वाले आदमी ने कहा. “मैं इसे तुम्हारे लिए पढूंगा.”
“मैं खुद से पढ़ना पसंद करता हूँ, शान्ति से,” कमिता ने कहा. “और यदि तुमने एक भी शब्द का गलत उच्चारण किया तो मुझे इस से घृणा होगी.”
“क्या तुम एक अलग ही नमूने नहीं हो,” बड़े आकार वाले आदमी ने कहा. “क्या मसखरा आदमी है.”
“वैसे तुम्हारा नाम क्या है?” चोटी वाले ने पूछा.
“मेरा नाम कमिता है,” उसने कहा. “इसे ‘कामी’ (ईश्वर) और ‘ता’ (खेत) दो अक्षरों द्वारा लिखा जाता है ‘ईश्वर का खेत, लेकिन यह ‘कांडा’ के रूप में नहीं उच्चारित होता जैसी कि तुम्हें अपेक्षा हो सकती है. इसका उच्चारण है ‘कमिता’.”
“मैं इस बात को याद रखूँगा,” बड़े आकार वाले व्यक्ति ने कहा.
“बहुत अच्छा विचार है. स्मृतियाँ लाभदायक हो सकती हैं,” कमिता ने कहा.
“कुछ भी हो, कैसा रहेगा यदि हम बाहर चलें?” छोटे आदमी ने कहा. “वहाँ हम ठीक-ठीक वह कह पाएंगे, जो हम कहना चाहते हैं.”
“मुझे मंजूर है,” कमिता ने कहा. “जहाँ भी तुम कहो. लेकिन हम यह सब करें उसके पूर्व क्या तुम अपने बिल का भुगतान कर सकते हो? तुम नहीं चाहते होगे कि बार को कोई नुकसान हो.”
कमिता ने किनो को उनका बिल लाने को कहा और अपने ड्रिंक्स के लिए उसने ठीक-ठीक फुटकर काउंटर पर रख दिया. चोटी वाले ने दस हजार येन का एक नोट अपने बटुए से निकाला और उसे मेज पर उछाल दिया.
“मुझे खुदरा वापस नहीं चाहिए,” चोटी वाले ने किनो से कहा. “लेकिन तुम अपने लिए कुछ बेहतर वाइन ग्लास क्यों नहीं खरीद लेते? यह महंगी वाइन है, और इस तरह के ग्लास में इसका स्वाद कूड़े जैसा हो जाता है.”
“क्या घटिया जगह है,” बड़े आकार वाले ने नाक सिकोड़ते हुए कहा.
“बिलकुल ठीक. घटिया बार और उसके घटिया ग्राहक,” कमिता ने कहा. “यह तुम लोगों के लिए ठीक नहीं है. वैसा कहीं और होगा जो ठीक हो. मैं नहीं जानता कहाँ.”
“अब क्या तुम जरा भी समझदार नहीं हो,” बड़े आकार वाले आदमी ने कहा. “तुम्हें देख कर मुझे हँसी आती है.”
“इस बारे में बाद में सोचना और अच्छे से देर तक हँसना,” कमिता ने कहा.
“कोई नहीं, तुम मुझे बताने जा रहे हो कि मुझे कहाँ जाना चाहिए,” चोटी वाले ने कहा. उसने धीरे-धीरे अपने होंठ चाटे जैसे कोई सांप अपना शिकार निगल रहा हो.
बड़े आकार वाले आदमी ने दरवाजा खोला और बाहर चला गया. चोटी वाले ने उसका अनुसरण किया. संभवतः तनाव का आभास कर के, बारिश के बावजूद, बिल्ली भी कूद कर उनके पीछे चली गयी.
“क्या तुम्हें निश्चय है कि तुम ठीक कर रहे हो ?” किनो ने कमिता से पूछा.
“चिंता मत करो,” कमिता ने हलकी सी मुस्कान के साथ कहा. “तुम्हें कुछ करने की जरूरत नहीं है मिस्टर किनो. बस देखते रहो. यह सब जल्दी ही ख़त्म हो जायेगा.”
कमिता बाहर चला गया और दरवाज़ा बंद कर दिया. अभी भी बारिश हो रही थी, पहले से थोड़ा अधिक तेज. किनो एक स्टूल पर बैठ गया और प्रतीक्षा करने लगा. बाहर अजीब तरह की ख़ामोशी थी और वह कोई भी आवाज़ नहीं सुन सका. कमिता की पुस्तक काउंटर पर खुली पड़ी थी मानो कोई अच्छा प्रशिक्षित कुत्ता अपने मालिक की प्रतीक्षा कर रहा हो. लगभग दस मिनट पश्चात दरवाज़ा खुला और कमिता भीतर आया, अकेला.
“क्या तुम मुझे एक तौलिया दे सकते हो?” उसने पूछा.
किनो ने उसे एक धुला हुआ तौलिया दिया और कमिता ने अपना सिर पोछा. फिर गर्दन, चेहरा, और अंत में अपने दोनों हाथ. “धन्यवाद, अब सब कुछ ठीक है,” उसने कहा. “वे दोनों अब फिर कभी इधर अपना मुंह नहीं दिखाएंगे.”
“आखिर हुआ क्या ?”
कमिता ने बस अपना सिर हिलाया मानो कहना चाह रहा हो कि “अच्छा है कि तुम न ही जानो.” वह अपनी सीट पर चला गया, शेष बची हुई ह्विस्की पी और वहाँ से आगे पढ़ना शुरू किया जहाँ उसने अपनी किताब छोड़ी थी.
उस साँझ बाद में, कमिता के चले जाने के पश्चात, किनो बाहर गया और उसने आस पड़ोस का एक चक्कर लगाया. गली सुनसान और शांत थी. किसी लड़ाई का कोई निशान नहीं, कहीं रक्त का कोई चिन्ह नहीं. वह कल्पना नहीं कर सका कि आखिर हुआ क्या था. वह बार में चला आया और दूसरे ग्राहकों की प्रतीक्षा करने लगा लेकिन उस रात अन्य कोई ग्राहक नहीं आया. बिल्ली भी नहीं लौटी. उसने अपने लिए थोड़ी ह्वाइट लेबल ह्विस्की उड़ेली, बराबर मात्रा में पानी मिलाया और दो छोटे बर्फ के क्यूब डाले और उसे चखा. कुछ भी ऐसा ख़ास नहीं था जिसकी आपको अपेक्षा हो. किन्तु उस रात उसे अपने सिस्टम में एल्कोहल की जबरदस्त आवश्यकता थी.
4
उस घटना के एक सप्ताह बाद किनो अपनी एक महिला ग्राहक के साथ सोया. अपनी पत्नी से अलग होने के पश्चात वह पहली स्त्री थी जिसके साथ उसने यौन सम्बन्ध बनाया था. वह तीस की थी अथवा शायद थोड़ा अधिक उम्र की. वह निश्चित नहीं था कि उसे खूबसूरत की श्रेणी में वर्गीकृत किया जा सकता था अथवा नहीं किन्तु उसमें कोई विशेष बात थी, कोई ऐसी बात जो उसे औरों से अलग करती थी.
महिला उसके पूर्व भी कई बार उसके बार में आ चुकी थी, सदैव ही अपने बराबर की उम्र के एक आदमी के साथ जो कछुए की खोल से बने फ्रेम वाला चश्मा पहनता था और बीटनिक शैली की ‘गोटी’ रखता था. उसके बाल अव्यवस्थित रहते थे और वह कभी भी टाई नहीं पहनता था. इन सब से किनो ने निष्कर्ष निकाला था कि वह संभवतः कोई ठेठ कंपनी कर्मचारी नहीं था. महिला हमेशा तंग कपड़े पहनती थी जो उसके छरहरे और सुगठित रूपाकार को उभारते थे. वे बार में बैठते, और यदा कदा फुसफुसा कर बोले गए एक दो शब्दों का विनिमय करते हुए कॉकटेल या शेरी पीते. वे कभी भी अधिक समय तक नहीं रुकते थे. किनो की कल्पना थी कि वे प्यार करने से पहले ड्रिंक लेने आते थे. अथवा उसके पश्चात. वह कह नहीं सकता था कि दोनों में से कौन सी बात ठीक थी किन्तु जिस तरीके से वे ड्रिंक लेते थे वह उसे सेक्स का स्मरण दिलाता था. लम्बे समय तक चला गहन यौन संबंध.
उन दोनों के चेहरे विचित्र रूप से भावहीन थे, विशेष रूप से महिला का, जिसे किनो ने कभी मुस्कराते हुए नहीं देखा था. वह उससे कभी-कभी बात करती थी, हमेशा उस संगीत के सम्बन्ध में जो वहाँ बजा करता था. वह जाज़ संगीत पसंद करती थी और स्वयं भी एल पी रेकॉर्ड्स इकठ्ठा कर रही थी. “मेरे पिता घर पर यह संगीत सुना करते थे,” उसने उससे कहा. “इसे सुन कर बहुत सी स्मृतियाँ वापस लौट आती हैं.
उसकी आवाज से किनो नहीं कह सकता था कि स्मृतियाँ संगीत की थी अथवा उसके पिता की. किन्तु उसने पूछने की जहमत नहीं उठाई.
किनो ने वास्तव में महिला से अधिक सरोकार न रखने का प्रयत्न किया. यह स्पष्ट था कि जब वह महिला के प्रति मित्रवत होता था तो उसके साथ वाला व्यक्ति बहुत प्रसन्न नहीं रहता था. एक बार जब उसमें और महिला में लम्बा वार्तालाप हुआ था- टोक्यो में पुराने रेकॉर्ड्स के स्टोर्स के सम्बन्ध में और विनायल रेकॉर्ड्स के बेहतर रखरखाव के सम्बन्ध में- तो उसके पश्चात, वह व्यक्ति उसे ठंडी निगाहों से, संदेहास्पद दृष्टि से देखा करता था. किनो सामान्यतः अपने संपर्कों में एक दूरी रखने के प्रति सतर्क रहता था. ईर्ष्या और घमंड से बुरी कोई भी चीज नहीं थी और किनो को दोनों के संबंध में कई विकट अनुभव थे. उसे कई बार ऐसा लगा कि उसमें कुछ ऐसा था जो अन्य लोगों के काले अँधेरे पक्ष में हलचल मचा देता है.
उस रात्रि महिला उसके बार में अकेली ही आयी थी. कोई अन्य ग्राहक नहीं था और जब उसने दरवाजा खोला तो रात्रि की ठंडी हवा भीतर सरक आयी. वह काउंटर पर बैठ गयी, एक ब्रांडी का ऑर्डर दिया और किनो को बिली हॉलिडे का कुछ संगीत बजाने को कहा. “कुछ सचमुच में पुराना, यदि तुम ऐसा कर सको.” किनो ने टर्नटेबल पर एक कोलंबिया रेकार्ड रखा जिसमें “जॉर्जिया ऑन माय माइंड” गीत था. वे दोनों चुपचाप सुनते रहे. “क्या तुम इसका दूसरा साइड भी सुनवा सकते हो?” उसने गीत के खत्म होने पर पूछा और किनो ने वैसा ही किया जैसा उसने अनुरोध किया था.
वह कुछ और रेकॉर्ड्स सुनते हुए- एरोल गार्नर का “मूनग्लो” बडी डिफ्रैंको का “आय कैन नॉट गेट स्टार्टेड” – धीरे-धीरे अपनी तीसरी ब्रांडी पीती रही. पहले किनो ने सोचा कि वह उस आदमी की प्रतीक्षा कर रही थी, किन्तु उसने एक बार भी अपनी घड़ी की ओर नहीं देखा. वह बस वहाँ बैठी रही, संगीत सुनती हुई, अपने विचारों में खोई, ब्रांडी के घूंट भरती हुयी.
“तुम्हारा दोस्त आज नहीं आ रहा है?” जब बार बंद करने का समय पास आने लगा तो किनो ने पूछने का निर्णय लिया.
“वह नहीं आ रहा, वह बहुत दूर है,” महिला ने कहा. वह स्टूल से उठी और उस ओर चली गयी जहाँ बिल्ली सो रही थी. उसने कोमलता से अपनी उँगलियों से उसकी पीठ थपथपाई. बिल्ली, निश्चिंत सोती रही.
“हम एक दूसरे से आगे से न मिलने की सोच रहे हैं,” महिला ने कहा.
किनो को पता नहीं था कि वह क्या उत्तर दे इसलिए उसने कुछ नहीं कहा और काउंटर के पीछे की चीजें व्यवस्थित करना जारी रखे रहा.
“मुझे नहीं पता इसे कैसे कहें,” महिला ने कहा. उसने बिल्ली को थपकी देना बंद कर दिया और फर्श पर हाई हील्स चटकाती बार में लौट आयी. “हमारा सम्बन्ध एकदम…… सामान्य नहीं है.”
“एकदम सामान्य नहीं.” किनो ने बिना यह विचार किये कि उनका क्या अर्थ था, उसके शब्द दोहराये.
उसने अपनी ग्लास में बची हुई ब्रांडी समाप्त की. “मेरे पास कुछ है जो मैं तुम्हें दिखाना चाहती हूँ, मिस्टर किनो,” उसने कहा.
वह जो कुछ भी रहा हो, किनो उसे नहीं देखना चाहता था. इस बात के प्रति वह निश्चित था. किंतु वह ऐसा कहने के लिए आवश्यक शब्द बोल पाने में सक्षम नहीं हो सका.
महिला ने अपना कार्डिगन उतारा और उसे स्टूल पर रख दिया. वह अपने दोनों हाथ पीछे ले गयी और अपनी ड्रेस की जिप खोल दी. उसने अपनी पीठ किनो की ओर घुमाई. उसने देखा कि उसकी ब्रा की सफ़ेद पट्टी के ठीक नीचे अनियमित धब्बों के निशान बिखरे हुए थे, मद्धिम पड़ गए चारकोल के रंग के घावों के निशान. वे उसे जाड़े की रात के आकाश में तारक समूहों की याद दिला रहे थे. बुझे हुए तारों की एक काली पंक्ति.
महिला ने कुछ नहीं कहा बस किनो को अपनी नग्न पीठ दिखाई. किसी ऐसे की तरह जो पूछे गए प्रश्न के अर्थ को भी न समझ पाया हो, किनो बस निशानों को ताकता रहा. अंत में महिला ने अपनी जिप बंद की और किनो की ओर मुड़ गयी. उसने अपना कार्डिगन पहन लिया और अपने बाल ठीक किये.
“वे सिगरेट से जलने के निशान हैं,” उसने सामान्य रूप से बताया.
किनो निःशब्द रह गया. किन्तु उसे कुछ कहना था. “किसने तुम्हारे साथ ऐसा किया ?” उसने पूछा, उसकी आवाज भर्रायी हुई थी.
महिला ने कोई उत्तर नहीं दिया और किनो को भान हुआ कि वह भी किसी उत्तर की आशा नहीं कर रहा था.
“ऐसे निशान मेरे शरीर के और जगहों पर भी हैं,” अंत में उसने कहा, उसकी आवाज़ भावनाशून्य थी. “ऐसी जगहें जिन्हें ……. दिखाना थोड़ा मुश्किल है.”
किनो ने शुरू से ही महसूस किया था कि महिला में साधारण से कुछ अलग था. कोई चीज उसे सहज प्रवृति से चेतावनी सी दे रही थी कि उसके मामले में न पड़े. वह मूल रूप से सावधान रहने वाला व्यक्ति था. यदि उसे सचमुच किसी औरत के साथ सोने की आवश्यकता होती, तो वह हमेशा ऐसा किसी पेशेवर के साथ करता. ऐसा भी नहीं था कि वह उस महिला के प्रति आकृष्ट था.
किन्तु उस रात्रि वह बुरी तरह एक पुरुष चाहती थी जो उसे प्यार करे- और ऐसा लगा कि किनो ही वह पुरुष था. उसकी आँखें गहराई विहीन थी, पुतलियां विचित्र रूप से फैली हुई, किन्तु उनमें एक निर्णायक चमक थी जो किसी तरह की वापसी बर्दाश्त न करती. किनो के पास प्रतिरोध की शक्ति नहीं थी.
उसने बार को ताला लगाया और वे दोनों सीढ़ियों से ऊपर चले गए. शयनकक्ष में महिला ने शीघ्रता से अपने कपड़े उतार दिए, अपनी अंडवियर नोच डाली और उसे वे जगहें दिखाई जिन्हें दिखाना थोड़ा मुश्किल था. किनो पहले अपनी निगाहों को हटा लेने से नहीं रोक पाया किन्तु उन्हें फिर से देखने के लिए वापस लाना पड़ा. वह उस पुरुष का मस्तिष्क नहीं समझ सका, न ही समझना चाहता था, जो कोई इतनी क्रूर हरकत कर सकता था और न ही उस स्त्री का जो स्वेच्छया से यह सब बर्दाश्त करती रही थी. यह जहाँ किनो रहता था वहाँ से कई प्रकाश वर्ष दूर किसी वीरान ग्रह का कोई हिंसक दृश्य था.
महिला ने उसका हाथ पकड़ा और उसे अपने घावों के एक एक निशान का स्पर्श कराने लगी. घाव के निशान उसके वक्षों पर थे और उसकी योनि के अगल बगल थे. उसने उन कलिमामय कठोर निशानों को स्पर्श किया मानो वह किसी पेन्सिल का प्रयोग कर के बिंदुओं को जोड़ रहा था. वे निशान कोई आकृति बनाते से लगते थे जो उसे किसी चीज की याद दिला रही थी लेकिन वह नहीं सोच पाया कि वह चीज क्या थी.
उन्होंने तातामी (एक जापानी चटाई) के फर्श पर प्यार किया. किन्हीं शब्दों का कोई आदान-प्रदान नहीं हुआ, कोई फोरप्ले नहीं, बत्ती बुझाने अथवा गद्दा बिछाने में भी कोई समय नहीं व्यतीत हुआ. महिला की जीभ उसके गले में फिसल गयी, उसके नाख़ून उसकी पीठ में गड़ गए. प्रकाश के नीचे, दो भूखे पशुओं की भांति उन्होंने एक दूसरे की देह को भभोड़ डाला. जब बाहर भोर का प्रकाश दिखने लगा, वे दोनों गद्दे की ओर रेंग गए और सो गए मानो अंधकार में खींच लिए गए हों.
किनो दोपहर के ठीक पहले जागा, तब तक महिला जा चुकी थी. उसे महसूस हुआ मानो उसने बहुत वास्तविकता पूर्ण कोई स्वप्न देखा था, किन्तु निश्चय ही यह स्वप्न नहीं था. उसकी पीठ पर खरोंचों की पंक्तियाँ बनी हुई थी, उसकी बाँहों में दांत से काटने के निशान थे, उसके लिंग में हलकी-हलकी पीड़ा हो रही थी. उसके सफ़ेद तकिये पर बहुत से काले बाल लिपटे हुए थे और चादरों से तीव्र सुगंध आ रही थी जैसी उसने पहले कभी नहीं महसूस की थी.
महिला उसके पश्चात कई बार उस ‘गोटी’ दाढ़ी वाले के साथ बार में आयी. वे काउंटर पर बैठते थे, एक या दो कॉकटेल पीते हुए धीमी आवाज़ में बात करते थे, फिर चले जाते थे. महिला किनो से दो चार शब्द बोलती थी, अधिकतर संगीत के सम्बन्ध में. उसका स्वर पहले जैसा ही रहता था मानो उस रात जो कुछ उनके मध्य घटित हुआ था उसकी उसे कोई स्मृति न हो. फिर भी किनो उसकी आँखों में कामना की एक चमक ढूंढ सकता था, मानो किसी खदान के कुएं की गहराई में कोई हलकी सी रोशनी की चमक हो. उसे इस बात का पूरा विश्वास था. और यह उसे हर चीज का पूरे विस्तार से स्मरण करा जाती थी- उसकी पीठ में उसके नाखूनों का चुभना, अपने लिंग की पीड़ा, उसकी लम्बी और चिकनी जीभ, बिस्तर से आती महक.
जब वह और महिला बात करते, उसके साथ का पुरुष किनो के चेहरे के भावों और उसके व्यवहार को सावधानी से देखता रहता. किनो ने अनुभव किया कि उस जोड़े से कोई चिपचिपी सी चीज लिपटी हुई थी, मानो कोई ऐसा गहन रहस्य था जिसे बस वे दोनों ही जानते थे.
5
गर्मियों के अंत तक किनो का तलाक का मामला निपट गया और वह और उसकी पत्नी एक अपराह्न उसके बार में, उसके खुलने के समय से पूर्व, कुछ अंतिम चीजों को सुलझाने के लिए मिले.
क़ानूनी मामले शीघ्रता से निपट गए और उन दोनों ने आवश्यक कागजातों पर हस्ताक्षर कर दिए. किनो की पत्नी एक नयी नीली ड्रेस पहने हुए थी, उसके बाल छोटे कटे हुए थे. वह, जैसा उसने पहले कभी देखा था उसके मुकाबले, अधिक स्वस्थ और प्रसन्न दिख रही थी. उसने निःसंदेह एक नया और अधिक संतुष्टिदायक जीवन शुरू कर दिया था. उसने बार में चारों ओर एक नजर डाली. “क्या शानदार जगह है,” उसने कहा. “शोर रहित, साफ सुथरी और शांत- बिलकुल तुम्हारी तरह.” कुछ क्षणों तक मौन छाया रहा. “किन्तु यहाँ कुछ ऐसा नहीं है जो वास्तव में तुम्हें प्रभावित करता हो,” किनो ने कल्पना की कि यही वो शब्द थे जो वह कहना चाहती थी.
“क्या तुम कुछ पीना पसंद करोगी?” उसने पूछा.
“थोड़ी सी रेड वाइन, यदि यहाँ उपलब्ध हो.”
किनो ने दो वाइन ग्लास लिए और उनमें नापा जिनफैन्डेल उड़ेली. वे चुपचाप पीते रहे. वे अपने तलाक का उत्सव नहीं मनाने वाले थे. बिल्ली पांव दबाती हुई आयी और आश्चर्यजनक रूप से किनो की गोद में कूद कर चढ़ गयी. किनो उसे उसके कान के पीछे थपकी देने लगा.
“मैं तुम से क्षमा मांगना चाहती हूँ,” उसकी पत्नी ने अंत में कहा.
“किस बात के लिए ?” किनो ने पूछा.
“तुम्हें चोट पहुँचाने के लिए,” उसने कहा. “तुम्हें थोड़ी सी चोट तो पहुंची ही थी, क्या नहीं?”
“मैं भी ऐसा ही सोचता हूँ,” किनो ने इस सम्बन्ध में थोड़ा सोचने के बाद कहा. “आखिर मैं भी मनुष्य हूँ. मुझे चोट पहुंची थी. लेकिन यह थोड़ी थी अथवा ज्यादा, मैं कह नहीं सकता.”
“मैं तुमसे मिलाना और तुम से सॉरी कहना चाहती थी.”
किनो ने सिर हिलाया, “तुम ने क्षमा मांग ली और मैंने तुम्हारी क्षमा स्वीकार कर ली. अब इसके सम्बन्ध में चिंता करने की आवश्यकता नहीं है.”
“मैं तुम्हें बताना चाहती थी कि क्या चल रहा था किन्तु मुझे शब्द नहीं मिल सके.”
“फिर भी क्या हम उसी जगह नहीं पहुँच गए, जैसे भी सही?”
“मेरा भी ऐसा ही अनुमान है,” उसकी पत्नी ने कहा.
किनो ने वाइन का एक घूंट भरा.
“यह किसी की गलती नहीं है,” किनो ने कहा. “मुझे एक दिन पहले ही घर वापस नहीं आ जाना चाहिए था. अथवा मुझे तुम्हें बता देना चाहिए था कि मैं वापस आ रहा था. फिर हमें वह सब नहीं झेलना पड़ता.”
उसकी पत्नी ने कुछ नहीं कहा.
“तुमने उस व्यक्ति से मिलाना कब शुरू किया?” किनो ने पूछा.
“मैं नहीं समझती हमें इस सब में जाना चाहिए.”
“तुम्हारा मतलब है, मेरे लिए न जानना बेहतर होगा? हो सकता है इस बारे में तुम्हारी बात ठीक हो,” किनो ने स्वीकार किया. उसने बिल्ली को सहलाना जारी रखा, वह गुरगुराती रही. यह भी पहली बार था.
“संभवतः मुझे यह कहने का अधिकार नहीं है,” उसकी पत्नी ने कहा, “किन्तु मैं सोचती हूँ कि तुम्हारे लिए यह अच्छा होगा कि जो कुछ भी हुआ तुम उसे भूल जाओ और किसी और को ढूंढ लो.”
“हो सकता है,” किनो ने कहा.
“मैं जानती हूँ दुनिया में एक ऐसी स्त्री होनी चाहिए जो तुम्हारे लिए बिलकुल सही हो. उसे तलाश करना उतना कठिन नहीं होना चाहिए. मैं तुम्हारे लिए वह व्यक्ति हो पाने में सक्षम नहीं थी और मैंने एक बहुत ख़राब बात की. मैं इसके बारे में बहुत ख़राब सोचती हूँ. किन्तु हम दोनों के मध्य प्रारम्भ से ही कुछ गलत था, मानो हमने गलत तरीके से बटन बंद कर लिए हों. मैं सोचती हूँ तुम एक अधिक सामान्य, एक खुशहाल जीवन जी पाओगे.”
गलत तरीके से बटन बंद कर लिए थे, किनो ने सोचा.
उसने उस नयी ड्रेस की ओर देखा जो वह पहने हुए थी. वे दोनों एक दूसरे के आमने सामने बैठे थे, इसलिए वह कह नहीं सकता था कि पीछे जिपर था अथवा बटन. किन्तु वह यह सोचे बिना नहीं रह सका कि यदि वह उसके कपड़ों का जिपर या बटन खोल दे तो उसे क्या दिखेगा. उसकी देह अब उसकी नहीं थी, इसलिए वह उसके सम्बन्ध में बस कल्पना ही कर सकता था. जब उसने अपनी आँखें बंद की, उसने उसकी एकदम दूधिया पीठ पर अनगिनत गहरे भूरे जले के निशान तड़पते हुए देखे, कीड़ों के झुण्ड की तरह. उसने उस दृश्य को बाहर हटाने के लिए अपने सिर को झटका और उसकी पत्नी ने मानो इसे गलत समझ लिया.
उसने कोमलता से अपना हाथ उसके हाथ पर रख दिया. “मुझे खेद है,” उसने कहा, “मुझे सचमुच खेद है.”
बिल्ली नीचे गिरी और गायब हो गयी.
किनो को इस बात का भान होने में कुछ दिन लगे कि वह चली गयी थी. वह बिल्ली- जो अब भी बेनाम थी- वह जब चाहती थी बार में आती थी और कभी कभार कई दिनों तक नहीं दिखाई पड़ती थी, इसलिए यदि किनो उसे एक हफ़्ते या दस दिन भी नहीं देखता था तो ख़ास चिंतित नहीं होता था. उसे बिल्ली पसंद थी और बिल्ली भी उस पर विश्वास करती सी लगती थी. यह भी था कि वह बार के लिए सौभाग्यसूचक सी थी. किनो को यह विश्वास सा हो चला था कि जब तक वह कोने में सो रही है कुछ भी बुरा नहीं घटित होगा. किन्तु जब दो हफ़्ते बीत गए, उसे चिंता होनी शुरू हो गयी. तीन हफ़्ते के बाद किनो के अंतर्मन ने कहा कि बिल्ली अब वापस नहीं आएगी.
जिस समय बिल्ली गायब हुई लगभग उसी समय किनो को बिल्डिंग के आसपास, बाहर की ओर सांप दिखाई पड़ने लगे.
उसने जो पहला सांप देखा वह हलके भूरे रंग का और लम्बा था. वह सामने के अहाते में विलो के पेड़ की छाया में था, धीमे धीमे फिसलता हुआ. किनो हाथ में किराने के सामान का झोला लिए हुए, दरवाजे का ताला खोल रहा था जब उसने उसे देखा. टोक्यो के मध्य में सांप दिखना एक दुर्लभ बात थी. वह थोड़ा आश्चर्यचकित हुआ किन्तु उसने इस बारे में चिंता नहीं की. उसकी बिल्डिंग के पीछे बड़े-बड़े बगीचों वाला नेज़ू अजायबघर था. यह अकल्पनीय नहीं था कि वहाँ कोई सांप रहता हो सकता हो.
लेकिन दो दिन पश्चात, दोपहर से ठीक पहले जब उसने अखबार उठाने के लिए दरवाजा खोला, उसने ठीक उसी जगह एक भिन्न सांप देखा. यह नीलापन लिए हुए था, पहले वाले की तुलना में अपेक्षाकृत छोटा और पतला दिखता हुआ. जब सांप ने किनो को देखा, वह रुक गया, अपना सिर जरा सा उठाया और उसकी ओर ताकता रहा मानो वह उसे जानता हो. किनो कुछ हिचकिचाया, इस अनिश्चय के साथ कि उसे क्या करना चाहिए और सांप ने धीरे-धीरे अपना सिर नीचे किया और छाया में गायब हो गया. इस सारी बात से किनो के भीतर एक बेचैनी सी भर गयी.
तीन दिन बाद उसने तीसरे सांप को देखा. यह भी विलो के पेड़ के नीचे सामने के अहाते में था. यह सांप पहले दोनों के मुकाबले काफी छोटा था और कालापन लिए था. किनो सांपों के सम्बन्ध में कुछ नहीं जानता था, किन्तु यह उसे सबसे खतरनाक लगा. यह किसी तरह जहरीला दिख रहा था. जिस क्षण उसने किनो की उपस्थिति महसूस की उसी क्षण वह झाड़ियों में सरक गया. एक सप्ताह की अवधि में तीन सांप, चाहे जिस तरह से आप इस पर विचार कीजिये, काफी अधिक थे. कुछ विचित्र घटित हो रहा था.
किनो ने इज़ू में अपनी मौसी को फोन किया. उन्हें आस पड़ोस में क्या हो रहा था, इसके बारे अद्यतन करने के पश्चात उसने पूछा कि क्या उन्होंने कभी आओयामा में मकान के आसपास सांप देखे थे.
“सांप?” उसकी मौसी ने आश्चर्यवश जोर से कहा. “मैं वहाँ पर्याप्त लम्बे समय तक रही थी लेकिन मुझे स्मरण नहीं कि मैंने कभी वहाँ कोई सांप देखा था. मुझे लगता है यह भूकंप आने अथवा कुछ और घटित होने का संकेत है. जानवर आती हुई आपदाओं को पहले से जान लेते हैं और विचित्र हरकतें करने लगते हैं.”
“यदि यह सही है तो बेहतर होगा मैं आपातकाल के लिए सामान इकट्ठा कर लूँ ,” किनो ने कहा.
“यह एक अच्छा विचार हो सकता है. टोक्यो में किसी दिन कोई बड़ा भूकंप आने वाला है.”
“लेकिन क्या सांप भूकंप के प्रति इतने संवेदनशील होते हैं ?”
“मैं नहीं जानती कि वे किस चीज के प्रति संवेदनशील होते हैं,” उसकी मौसी ने कहा. “लेकिन सांप तेज तर्रार प्राणी होते हैं. प्राचीन कथाओं में वे अक्सर लोगों का मार्गदर्शन करते थे. किन्तु जब एक सांप तुम्हारा मार्गदर्शन करता है तब तुम नहीं जानते कि वह तुम्हें अच्छी दिशा में ले जा रहा है अथवा बुरी. अधिकांश मामलों में यह अच्छे और बुरे का अच्छा युग्म होता है.”
“यह तो एकदम अस्पष्ट बात हुई,” किनो ने कहा.
“एकदम ठीक. सांप निश्चित रूप से अस्पष्ट प्राणी होते हैं. इन कथाओं में सबसे बड़ा और सबसे तेज तर्रार सांप अपना हृदय अपनी देह के बाहर कहीं और रखता था ताकि वह मारा न जा सके. यदि तुम उस सांप को मारना चाहते तो तुम्हें उसके छिपाने की जगह पर तब जाना होता था जब वह वहाँ न हो, उसके धड़कते हुए हृदय को ढूंढना होता था और दो टुकड़ों में काट देना होता था. निश्चित रूप से यह आसान काम नहीं था.”
उसकी मौसी इतना सब कुछ कैसे जानती थीं?
“पिछले दिनों मैं NHK पर एक प्रोग्राम देख रही थी जिसमें दुनिया भर की किंवदंतियों की तुलना की गयी थी,” उन्होंने स्पष्ट किया, “और किसी विश्वविद्यालय के कोई प्रोफ़ेसर इस सम्बन्ध में बात कर रहे थे. टी वी बहुत उपयोगी हो सकता है- जब तुम्हारे पास समय हो, तुम्हें और अधिक टी वी देखना चाहिए.”
किनो ने महसूस करना शुरू कर दिया कि मानो मकान साँपों से घिरा हुआ था. वह उनकी मौन उपस्थिति महसूस करता था. आधी रात को जब उसने बार बंद किया पड़ोस एकदम गतिहीन था, यदाकदा की सायरन की आवाज़ों को छोड़ कर एकदम ध्वनि रहित. इतना शांत कि वह किसी सांप के चलने की आवाज़ महसूस कर सकता था. उसने एक लकड़ी की पट्टी ली और कीलें ठोक कर उस दरवाजे को बंद कर दिया जो उसने बिल्ली के लिए बनाया था, ताकि कोई सांप मकान में भीतर न घुस सके.
6
एक रात, दस बजने से बस कुछ पहले, कमिता प्रगट हुआ. उसने बियर पी, उसके पश्चात पूर्ववत, एक डबल ह्वाइट लेबल और पत्तागोभी से बनी एक डिश खायी. उसका इतनी देर से आना असामान्य बात थी और इतनी देर तक रुके रहना भी. बीच-बीच में वह पढ़ने से आँखें उठा कर अपने सामने की दीवार पर देखने लगता था, मानो किसी बात पर गहन विचार कर रहा हो, जब बार बंद करने का समय आया, वह वहीं बना रहा जब तक कि वह आखिरी ग्राहक न हो गया.
“मिस्टर किनो,” कमिता ने अपने बिल का भुगतान कर देने के पश्चात थोड़ा औपचारिकता से कहा. “मुझे यह बहुत दुखद लग रहा है कि बात यहाँ तक पहुँच गयी.”
“बात यहाँ तक पहुँच गयी?” किनो ने दोहराया.
“कि तुम्हें अपना बार बंद करना पड़ रहा है. चाहे अस्थायी रूप से ही सही.”
किनो ने कमिता की ओर यह न जानते हुए देखा कि उसे किस तरह जवाब देना था. बार बंद करना है ?
कमिता ने वीरान पड़े बार पर एक नजर डाली, फिर किनो की ओर मुड़ा. “जो मैं कह रहा हूँ उसे तुम ठीक से समझ नहीं पाए, क्यों?”
‘मैं नहीं समझता कि मेरी समझ में कुछ आया है.”
“मैं सचमुच इस बार को बहुत पसंद करता था,” कमिता ने कहा, जैसे उसे कोई राज की बात बता रहा हो. “यहाँ शांति थी, इसलिए मैं पढ़ सकता था और मुझे संगीत भी अच्छा लगता था. मैं बहुत खुश हुआ था जब तुमने यहाँ यह बार खोला. लेकिन दुर्भाग्य से कुछ चीजों की कमी रह गयी थी.”
“कमी?” किनो ने कहा. उसको कोई अंदाजा नहीं था कि इसका क्या अर्थ हो सकता था. जो कुछ भी वह सोच सका वह था बस चाय के कप के किनारे का एक टूटा हुआ टुकड़ा.
“भूरी बिल्ली फिर वापस नहीं आएगी,” कमिता ने कहा. ‘हाल फिलहाल के लिए, कम से कम.”
“क्योंकि इस स्थान में किसी चीज की कमी है?”
कमिता ने जवाब नहीं दिया.
किनो ने कमिता की दृष्टि का अनुगमन किया और बार के चारों ओर ध्यान से देखा किन्तु कुछ भी सामान्य से अलग नहीं दिखाई पड़ा. यद्यपि उसने महसूस किया कि वह जगह पूर्व के मुकाबले कुछ खाली महसूस हो रही थी, जीवंतता और रंगों की कमी के साथ. बस ‘रात्रि के लिए बंद’ जैसी सामान्य अनुभूति से कुछ परे.
कमिता ने कहा, “मिस्टर किनो, तुम उस तरह के व्यक्ति नहीं हो जो जानबूझकर कुछ गलत करोगे. मैं यह बात अच्छी तरह जानता हूँ. लेकिन इस दुनिया में ऐसा भी समय आता है जब मात्र गलत काम न करना ही पर्याप्त नहीं होता. कुछ लोग उस रिक्त स्थान को एक प्रकार की कमी मान लेते हैं. तुम समझे मैं क्या कह रहा हूँ?”
किनो की समझ में कुछ नहीं आया.
“इस पर ध्यान से विचार करो,” कमिता ने सीधे किनो की आँखों में झांकते हुए कहा. “यह बहुत महत्वपूर्ण प्रश्न है, गहन विचार योग्य. यद्यपि उत्तर इतनी आसानी से नहीं भी आ सकता.”
“तुम कह रहे हो कि कुछ गंभीर किस्म की समस्या उठ खड़ी हुई है, इसलिए नहीं कि मैंने कुछ गलत काम किया है, बल्कि इसलिए कि मैंने सही काम नहीं किया है? इस बार से सम्बंधित कोई मुसीबत या फिर मुझसे ?”
कमिता ने सिर हिलाया. “तुम इसे इस तरह भी कह सकते हो. लेकिन मैं केवल तुम पर दोषारोपण नहीं कर रहा हूँ, मिस्टर किनो. मैंने भी गलती की है कि मैंने पहले इस पर ध्यान नहीं दिया. मुझे अधिक ध्यान देना चाहिए था. यह एक आरामदायक जगह थी, केवल मेरे ही लिए नहीं, बल्कि किसी के लिए भी.”
“फिर मुझे क्या करना चाहिए ?” किनो ने पूछा.
“थोड़े समय के लिए बार बंद कर दो और कहीं बहुत दूर चले जाओ. और कुछ भी नहीं है जो तुम इस अवसर पर कर सको. मैं सोचता हूँ कि हमारे लिए बारिश का एक और लम्बा दौर शुरू हो इसके पूर्व तुम्हें चले जाना चाहिए यही सबसे अच्छा होगा. मुझे पूछने के लिए माफ़ करना लेकिन क्या तुम्हारे पास एक लम्बी यात्रा के लिए पर्याप्त धन है?
“मेरा अनुमान है कि कुछ समय के लिए मैं इसका खर्च उठा सकता हूँ.”
“बढ़िया. जब तुम उस बिंदु पर पहुँच जाओ तब इस सम्बन्ध में चिंता करना कि आगे क्या होगा.”
“वैसे तुम कौन हो ?”
“मैं बस एक आदमी हूँ जिसका नाम कमिता है,” कमिता ने कहा. ‘कामी’ (ईश्वर) और ‘ता’ (खेत) दो अक्षरों द्वारा लिखा गया, लेकिन ‘कांडा’ जैसा नहीं पढ़ा जाता. मैं इधर आसपास लम्बे समय तक रह चुका हूँ.”
किनो ने आगे और भी जानना चाहा और पूछा, “मिस्टर कमिता, मेरा एक प्रश्न है. क्या आपने इधर आसपास पहले भी सांप देखे हैं ?”
कमिता ने जवाब नहीं दिया. “बस यही है जो तुम्हें करना है. बहुत दूर चले जाओ और एक जगह पर लम्बे समय तक मत टिके रहो. हर सोमवार और गुरुवार को एक पोस्टकार्ड भेजना सुनिश्चित करो. फिर मैं समझ जाऊंगा कि तुम ठीक-ठाक हो.”
“एक पोस्टकार्ड?”
“किसी भी तरह का पिक्चर पोस्टकार्ड उस जगह के बारे में जहाँ तुम उस समय हो.”
“किन्तु मैं उसे किसके पते पर भेजूंगा?”
“तुम उसे अपनी मौसी के पास इज़ू में भेज सकते हो. अपना नाम और कोई सन्देश मत लिखना. बस वह पता लिखना जहाँ तुम उसे भेज रहे हो. यह बहुत महत्वपूर्ण है इसलिए भूलना मत. “
किनो ने उसकी ओर आश्चर्य से देखा, “तुम मेरी मौसी को जानते हो?”
“हाँ, मैं उन्हें बहुत अच्छे से जानता हूँ. वास्तव में उन्होंने मुझे तुम पर नजर रखने को कहा था, यह सुनिश्चित करने को कि तुम्हारे साथ कोई अनहोनी न होने पाए. यद्यपि लगता ऐसा है जैसे मैं इस काम के लिए टपक पड़ा.”
यह आदमी आखिर है कौन? किनो ने स्वयं से पूछा.
“मिस्टर किनो, जब मैं समझूँगा कि तुम्हारे वापस आने के लिए परिस्थितियां बिलकुल ठीक हैं, तब मैं तुमसे संपर्क करूँगा. तब तक के लिए, यहाँ से दूर रहो. क्या तुम समझ गए ?”
उस रात किनो ने यात्रा के लिए सामान पैक कर लिया. यही तुम्हारे लिए सबसे अच्छा है कि बारिश का एक लम्बा दौर और शुरू होने के पूर्व तुम चले जाओ. यह घोषणा बहुत आकस्मिक थी और इसका तर्क किनो की समझ से परे था. कमिता के शब्दों में समझा लेने की विचित्र क्षमता थी जो तर्क से परे चली जाती थी. किनो ने उस पर अविश्वास नहीं किया. उसने कुछ कपड़े और दैनिक उपयोग की कुछ चीजें एक मध्यम आकार के बैग में रख लीं, वही बैग जिसे वह अपने कार्यालय के काम के लिए प्रयोग करता था. .जैसे ही सुबह आयी, उसने बार के सामने के दरवाजे पर एक नोटिस लगाया: “क्षमाप्रार्थना, बार अभी कुछ समय के लिए बंद रहेगा.”
बहुत दूर, कमिता ने उससे यही कहा था. लेकिन वास्तव में उसे कहाँ जाना चाहिए, यह बात उसके विचार में नहीं आ रही थी. क्या उसे उत्तर की ओर जाना चाहिए? अथवा दक्षिण? उसने निर्णय लिया कि वह उसी रास्ते पर एक बार फिर जाने से शुरुआत करेगा जहाँ वह तब जाया करता था जब वह दौड़ने वाले जूते बेचा करता था. वह एक हाइवे एक्सप्रेस बस पर बैठ गया और ताकामात्सु चला गया. वह एक चक्कर शिकोकू का लगाएगा फिर क्यूशू की ओर चला जायेगा.
वह ताकामात्सु स्टेशन के पास के एक बिजनेस होटल में रुक गया और वहाँ तीन दिन रहा. वह शहर में इधर उधर भटकता रहा और कुछ फ़िल्में देखने गया. सिनेमा दिन के समय खाली पड़े थे और फ़िल्में, बिना अपवाद, दिमाग सुन्न कर देने वाली थीं. जब अँधेरा हो जाता वह अपने कमरे में लौट आता और टी वी चालू कर देता. उसने अपनी मौसी की सलाह पर अमल किया और शैक्षणिक कार्यक्रम देखता रहा लेकिन उनसे कोई लाभप्रद सूचना नहीं मिली. ताकामात्सु में दूसरा दिन गुरुवार था इसलिए उसने एक स्टोर से एक पोस्टकार्ड ख़रीदा, टिकट चिपकाया और उसे अपनी मौसी के पते पर भेज दिया. जैसा कि कमिता ने उसे निर्देश दिया था, उसने उस पर केवल उनका नाम और पता लिखा.
“इस पर सावधानी से सोचो,” कमिता ने कहा था. “यह एक बहुत महत्वपूर्ण प्रश्न है, जिस पर गंभीरता से विचार की आवश्यकता है.” लेकिन चाहे जितनी गंभीरता से किनो ने विचार किया, वह नहीं समझ सका कि समस्या क्या थी.
कुछ दिनों बाद किनो क्यूशू में कमामोतो स्टेशन के पास एक सस्ते बिजनेस होटल में ठहरा हुआ था. नीची छत, संकरा बिस्तर, छोटा सा टी वी, बहुत कामचलाऊ बाथरूम, छोटा सा घटिया फ्रिज. उसने किसी विशालकाय जीव के किसी संकरी जगह में फंसे होने जैसा अजीब महसूस किया. फिर भी पास के एक जनरल स्टोर तक जाने के अतिरिक्त वह पूरे दिन होटल के कमरे में ही बना रहता. स्टोर से वह ह्विस्की की एक बोतल, मिनरल वाटर और कुछ क्रैकर्स ख़रीद लाया था. वह बिस्तर पर लेटा हुआ, कुछ पढ़ता था. जब पढ़ने से थक जाता, टेलीविजन देखने लगता. जब टेलीविजन देखने से थक जाता, पढ़ने लगता.
कमामोतो में यह उसका तीसरा दिन था. अभी भी उसके सेविंग बैंक खाते में पैसे थे और यदि वह चाहता तो काफी बेहतर होटल में रुक सकता था. लेकिन उसने महसूस किया कि उसके अभी के लिए यही ठीक जगह थी. यदि वह इस तरह की छोटी जगह में रहेगा तो उसे अनावश्यक सोचना नहीं पड़ेगा और सभी चीजें उसकी पहुँच के अंदर रहेंगी. इन सब के लिए वह अनपेक्षित रूप से आभारी था. बस वह एक ही चीज की कामना करता था वह था थोड़ा सा संगीत. टेडी विल्सन, विक डिकिन्सन, बक क्लेटन- कभी कभी उसे अपने पुराने जाज़ रेकॉर्ड्स, उनकी स्थिर और विश्वसनीय तकनीक, और स्पष्ट धुनों के कारण सुनने की तीव्र इच्छा होती. वह उनके वादन में मौजूद विशुद्ध आनंद और आश्चर्यजनक आशावाद को अनुभव करना चाहता था. किन्तु उसके रेकॉर्ड्स उससे बहुत दूर थे. वह अपने बार की, जब से उसने उसे बंद किया था, बार-बार कल्पना करता. गली का रास्ता, विलो का विशाल पेड़. उसका लिखा सन्देश पढ़ते और वापस जाते हुए लोग. बिल्ली का क्या हुआ? यदि वह वापस आयी भी होगी तो उसने अपना दरवाजा बंद पाया होगा. और क्या सांप अब भी चुपचाप मकान का चक्कर लगा रहे होंगे ?
उसके आठवीं मंजिल की खिड़की के ठीक दूसरी ओर किसी कार्यालय भवन की खिड़की थी. सुबह से शाम तक वह लोगों को वहाँ काम करते देखता. उसे कुछ पता नहीं था कि वहाँ किस प्रकार का व्यवसाय होता था. टाई पहने पुरुष प्रगट होते और बाहर चले जाते, जबकि महिलायें कंप्यूटर के कुंजीपटल पर उंगलियां चलाती, फोन कॉल्स का जवाब देती रहती और कागजात फाइलों में लगाती रहतीं. उस तरह का दृश्य बिलकुल नहीं था जो औरों का ध्यान आकृष्ट करता. वहाँ काम करने वालों के कपड़े और रूपाकार भी साधारण ही थे. किनो एक साधारण से कारण से उन्हें घंटों देखा करता: क्योंकि उसके पास करने को और कुछ था भी नहीं. और किनो को यह अनपेक्षित और आश्चर्यजनक लगा कि वहाँ के लोग कभी-कभी कितने खुश लगते थे. उन में से कुछ कभी-कभार जोर से हँसने लगते. क्यों? ऐसे बिना ग्लैमर के कार्यालय में पूरे दिन काम करना, ऐसे काम करना (कम से कम किनो की आँखों को ऐसा ही लगा ) जो पूरी तरह उत्साहहीन था- वे किस प्रकार उसे कर पाते थे और फिर भी प्रसन्न अनुभव करते थे? क्या वहाँ कोई रहस्य छुपा था जो वह नहीं समझ सका?
यह उसका फिर से किसी अन्य जगह जाने का समय था. एक ही जगह पर लम्बे समय तक मत रहना, कमिता ने उससे कहा था. फिर भी किसी कारण से किनो कमामोतो के इस संकरे से होटल को नहीं छोड़ सका. वह किसी और ऐसी जगह के बारे में नहीं सोच सका जहाँ वह जाना चाहता हो. दुनिया एक विशाल समुद्र थी जिसमें कोई पहचान चिन्ह नहीं थे, किनो एक छोटी नाव था जिसने अपना मानचित्र और लंगर खो दिया था. जब वह क्यूशू का मानचित्र खोल कर आश्चर्य करते हुए बैठा था कि उसे आगे कहाँ जाना चाहिए, उसे उबकाई सी महसूस होने लगी, जैसे समुद्र में अधिक समय रहने से होती है. वह बिस्तर पर लेट गया और कभी-कभार, गली के दूसरी ओर के कार्यालय में लोग क्या कर रहे हैं देखने के लिए ऊपर की ओर निगाह डालता हुआ एक किताब पढ़ता रहा.
उस दिन सोमवार था, इसलिए उसने होटल की उपहारों की दुकान से कमामोतो किले की तस्वीर वाला एक पोस्टकार्ड ख़रीदा, अपनी मौसी का पता लिखा और उस पर टिकट लगाया. वह कुछ क्षणों तक खाली नज़रों से किले को देखते हुए पोस्टकार्ड को पकड़े रहा. एक स्टीरियो टाइप तस्वीर, जैसी आप किसी पोस्टकार्ड पर देखने की अपेक्षा करते हैं: किला अपनी भव्यता के साथ नीले आसमान में झाग जैसे सफ़ेद बादलों के मध्य तन कर खड़ा था. चाहे जितनी देर उसने किले की ओर देखा, वह अपने और किले के बीच कोई संपर्क बिंदु नहीं पा सका. फिर एक आंतरिक उद्वेग वश, उसने पोस्ट कार्ड को पलटा और उस पर अपनी मौसी के लिए एक सन्देश लिखा :
‘तुम कैसी हो? आजकल तुम्हारी पीठ कैसी है ? जैसा कि तुम देख सकती हो मैं अभी भी अकेले ही यहाँ वहाँ की यात्राएँ कर रहा हूँ. कभी-कभी मुझे महसूस होता है कि जैसे मैं अर्धपारदर्शी हूँ. मानों कोई मेरे आतंरिक अंगों के आरपार देख सकता हो, ताजा-ताजा पकड़ी गयी स्क्विड मछली की तरह. इस बात के अतिरिक्त मैं एकदम बढ़िया हूँ. मैं जल्दी ही मिलने की आशा करता हूँ. – किनो.’
किनो निश्चित नहीं था कि किस चीज ने उसे वह सब लिखने हेतु प्रेरित किया. कमिता ने इस सम्बन्ध में सख्ती से मना किया था. लेकिन किनो स्वयं पर नियंत्रण नहीं रख सका. मुझे किसी तरह फिर से वास्तविकता के संपर्क में आना चाहिए, उसने सोचा, अन्यथा मैं ‘मैं’ ही नहीं रह जाऊंगा. मैं एक ऐसा आदमी बन जाऊंगा जिसका कोई अस्तित्व ही नहीं है. और इसके पहले कि वह अपना विचार बदलता, वह तेजी से होटल के पास ही एक पत्रपेटी की तरफ गया और पोडकार्ड को भीतर सरका दिया.
7
जब वह जागा, उसके बिस्तर के सामने की घड़ी ने सवा दो बजे का समय दिखाया. कोई उसके दरवाजे पर दस्तक दे रहा था. तेज खटखटाहट नहीं बल्कि एक दृढ, संक्षिप्त आवाज़, मानो कोई अनुभवी बढ़ई कील ठोक रहा हो. वह आवाज़ किनो को गहरी नींद से तब तक बाहर खींचती रही जब तक कि उसकी चेतना पूर्णरूपेण, बल्कि क्रूर तरीके से, स्पष्ट नहीं हो गयी.
किनो जानता था कि दस्तक का अर्थ क्या था. और वह ये भी जानता था कि उससे अपेक्षा थी कि वह उठे और दरवाजा खोले. जो कुछ भी खटखटा रहा था, उसमें बाहर से दरवाजा खोलने की शक्ति नहीं थी. दरवाजा किनो के अपने हाथ द्वारा ही खोला जाना था.
उसके मस्तिष्क में एकाएक यह विचार आया कि यह आगमन बिलकुल वही था जिसकी वह आशा कर रहा था, फिर भी, उसी समय, सारी बातों से परे, वह आखिर किस चीज से डर रहा था. यह अस्पष्ट थी: दो अतियों के मध्य की रिक्ति को पकड़े हुए. “तुम्हें थोड़ी सी चोट पहुंची थी, क्या नहीं?” उसकी पत्नी ने पूछा था. “सब कुछ के पश्चात, आखिर मैं भी मनुष्य हूँ. मुझे चोट पहुंची थी,” उसने जवाब दिया था. किन्तु वह सच नहीं था. कम से कम इसका आधा भाग, एक झूठ था. मुझे पर्याप्त चोट नहीं लगी थी जबकि लगनी चाहिए थी, किनो ने स्वयं से स्वीकार किया. जब मुझे वास्तविक पीड़ा महसूस होनी चाहिए थी, मैंने उसे दबा दिया था. मैं इसका मुकाबला नहीं करना चाहता था इसलिए मैंने इसका सामना करने से बचना चाहा. यही कारण है कि अब मेरा हृदय इतना रिक्त है. साँपों ने उस रिक्ति पर कब्ज़ा कर लिया है और वे अपने ठंडेपन से धड़कते हृदयों को वहाँ छिपाना चाहते हैं.
“यह एक आरामदायक जगह थी न सिर्फ मेरे लिए बल्कि किसी के लिए भी.” कमिता ने कहा था. किनो अंततः समझ गया कि उसका मतलब क्या था.
किनो ने चादर ऊपर खींच ली, अपनी आँखें बंद कर ली, और अपने कान अपने हाथों से बंद कर लिये. मैं नहीं देखने जा रहा, नहीं सुनने जा रहा, उसने स्वयं से कहा. किन्तु वह उस आवाज़ को दूर नहीं हटा सका. यदि वह धरती के सबसे दूरस्थ किनारों तक भागता और अपने कानों को मिट्टी से पूर्णतया भर लेता, तब भी जब तक वह जीवित था, वो दस्तकें बिना थके उसे ढूंढ ही लेंगी. यह किसी बिजनेस होटल के किसी दरवाजे पर हो रही दस्तक नहीं थी. यह उसके हृदय के द्वार पर दस्तक थी. और कोई व्यक्ति उस आवाज़ से दूर नहीं भाग सकता था.
वह निश्चित नहीं था कि कितना समय बीता होगा, किन्तु उसे भान हो गया कि दस्तक बंद हो चुकी थी. कमरा इस तरह उजाड़ था जैसे चन्द्रमा का दूर वाला पार्श्व. फिर भी किनो चादर के नीचे ही पड़ा रहा. उसे सावधान रहना था. उसके दरवाजे के बाहर का प्राणी इतनी आसानी से हार नहीं मानेगा. वह किसी जल्दबाजी में नहीं था. चाँद अभी नहीं निकला था. मात्र म्लान रंगत वाले तारामंडल आकाश में टिमटिमा रहे थे. यह संसार, कुछ अधिक ही समय के लिए, उन अन्य प्राणियों का था. उनके बहुत से भिन्न तरीके थे. वे जो चाहते थे उसे किसी भी तरीके से प्राप्त कर सकते थे. अँधेरे की जड़ें धरती के नीचे हर कहीं फ़ैल सकती थी. धैर्य से समय ले कर, कमजोर बिंदुओं को तलाशती हुई, वे सबसे ठोस चट्टानों को भी तोड़ कर अलग कर सकती थी.
अंत में, जैसी कि किनो को अपेक्षा थी, दस्तक एक बार फिर से शुरू हो गयी. किन्तु इस बार वे एक अन्य दिशा से आयी. पूर्व के मुकाबले बहुत पास से. जो कोई भी दस्तक दे रहा था, उसके बिस्तर के बगल की खिड़की के ठीक बाहर था. बिल्डिंग की एकदम खड़ी दीवार से लटका, आठ मंजिल ऊपर, वर्षा से भीगे शीशे पर ठक-ठक दस्तक देते हुए.
दस्तक की गति पूर्ववत ही थी. दो बार. फिर दो बार. लगातार बिना रुके. भावना वश धड़कते किसी हृदय की ध्वनि की भांति.
पर्दा खुला हुआ था. सो जाने से पूर्व वह वर्षा की बूंदों से शीशे पर बनती पैटर्न्स को देख रहा था. किनो कल्पना कर सकता था कि यदि वह अपना सिर चादर से बाहर निकालेगा तो अब क्या देखेगा. नहीं- वह इसकी कल्पना नहीं कर सकता. उसे किसी चीज की कल्पना करने की क्षमता को बुझा देना था. मुझे उस चीज की ओर नहीं देखना चाहिए, उसने स्वयं से कहा. चाहे यह कितना भी रिक्त क्यों न हो, यह अब भी मेरा हृदय है. अभी भी इसमें कुछ मानवीय ऊष्मा शेष है. स्मृतियाँ, समुद्री घास की भांति समुद्रतट के पत्थरों को ढंके हुए, शब्दहीन रूप से ज्वार की प्रतीक्षा करती हुई. भावनाएं, जिन्हें यदि काटा जाये तो वे रक्तस्राव करेंगी. मैं उन्हें यूँ ही अपनी समझ से परे कहीं भटकने नहीं दे सकता.
“स्मृतियाँ लाभदायक हो सकती हैं,” कमिता ने कहा था. किनो को एक आकस्मिक विचार आया: कि कमिता किसी न किसी प्रकार से उसके मकान के सामने वाले विलो के पुराने पेड़ से सम्बंधित था. वह ठीक ठीक नहीं समझ सका कि यह बात किस प्रकार अर्थवान थी किन्तु जब एकबार इस विचार ने उस पर कब्ज़ा जमा लिया तो चीजें स्पष्ट होने लगीं. किनो ने वृक्ष के विभिन्न अंगों का चित्रण किया, हरे रंग से ढका हुआ, नीचे की ओर अत्यधिक झुका, लगभग जमीन तक. उससे ग्रीष्म में अहाते में छाया रहती थी. वर्षा के दिनों में स्वर्णिम बूंदें उनकी कोमल शाखाओं पर चमकती थी. हवाओं वाले दिनों में वे अशांत हृदय की भांति हिलती रहती और नन्हें पक्षी उनके ऊपर से उड़ा करते, एक दूसरे पर चीखते हुए, फिर उसकी पतली, कोमल शाखाओं पर आहिस्ते से उतर आते, बस पुनः उड़ जाने के लिए.
चादर के नीचे, किनो कीड़े की भांति सिकुड़ गया, आँखें बंद की और विलो के वृक्ष के सम्बन्ध में सोचने लगा. एक के बाद एक, उसने उसके गुणों को चित्रित किया- उसका रंग और आकार और गति. और उसने भोर होने हेतु प्रार्थना की. वह बस इसी तरह धीरज के साथ प्रतीक्षा ही कर सकता था, जब तक कि बाहर प्रकाश न फ़ैल जाता और पक्षी जाग कर दिन की शुरुआत न करते. वह बस चिड़ियों पर विश्वास कर सकता था, सभी चिड़ियों पर, उनके पंखों और चोंचों सहित. तब तक वह अपने हृदय को रिक्त नहीं होने दे सकता. वह शून्य, इसके द्वारा सृजित रिक्ति उन्हें भीतर खींच लेगी.
जब विलो का वृक्ष पर्याप्त नहीं रहा, किनो ने छरहरी, भूरी बिल्ली के बारे में और भुनी हुई समुद्री घास के प्रति उसकी पसंद के बारे में सोचा. उसने काउंटर पर बैठे किसी किताब में खोये कमिता का स्मरण किया, युवा धावक, ट्रैक पर बार-बार अपना कठोर अभ्यास दोहराते हुए, बेन वेब्स्टर का प्यारा सा एकल गीत ‘माय रोमांस’. उसने अपनी पत्नी का स्मरण किया- उसकी नयी नीली ड्रेस में, जब उसके बाल छोटे कटे हुए थे. उसने आशा की कि वह अपने नए घर में स्वस्थ और सुखी जीवन जी रही थी. अपनी देह पर बिना किसी निशान के, उसने आशा की. उसने बिलकुल मेरे सामने ही क्षमा मांगी थी और मैंने उसे स्वीकार किया था, उसने सोचा. मुझे केवल भूल जाना ही नहीं, बल्कि क्षमा करना भी सीखने की आवश्यकता है.
किन्तु समय की गति सही तरीके से व्यवस्थित नहीं प्रतीत हो रही थी. कामनाओं का मारक बोझ और पश्चाताप के जंग खाये लंगर इसके सामान्य प्रवाह को बाधित कर रहे थे. निरंतर वर्षा, घड़ी की सम्भ्रमित सुइयाँ, अभी भी गहरी नींद में सोये पड़े पक्षी, चुपचाप पोस्टकार्ड्स छांटता हुआ एक चेहरा विहीन डाक कर्मचारी, अनियंत्रित, हवा में उछलते हुए उसकी पत्नी के प्यारे वक्ष, जिद्दी तरीके से खिड़की पर दस्तक देती हुई कोई चीज. मानो यह नियमित ध्वनि उसे एक उत्तेजक भूल भुलैया की ओर ललचा रही हो. ठक ठक, ठक ठक फिर एक बार और ठक ठक. “दूर मत देखो, ठीक इसी को देखो,” कोई उसके कान में फुसफुसाया. “तुम्हारा हृदय ऐसा ही दिखता है.”
शुरुआती ग्रीष्म की हवाओं में विलो की शाखाएं हिल रही थी. एक छोटे अँधेरे कमरे में, कहीं किसी जगह किनो के भीतर, एक उष्म हाथ उसके लिए आगे बढ़ रहा था. आँखें बंद किये, उसने उसे अपने हाथ पर महसूस किया – कोमल और दृढ. वह इसे भूल चुका था, इससे अलग रहता रहा था, बहुत लम्बे समय से. हाँ, मुझे चोट पहुंची है. बहुत बहुत गहरे तक. उसने यह स्वयं से कहा. और वह रोने लगा.
पूरे समय बारिश ने, दुनिया को कड़ाके की ठण्ड में तरबतर भिगोते हुए, हार नहीं मानी.
श्रीविलास सिंह एक कविता संग्रह “कविता के बहाने” २०१९ में प्रकाशित. 8851054620/sbsinghirs@gmail.com |
बहुत सुंदर कहानी है। मैं हमेशा कहता हूँ इंसान सिर्फ मशीन नहीं, मन भी है। धोखा खाए मन के पास दो ऑप्शन बचते हैं – या तो वह क्रुएल हो जाए या तो मौन। बहुत अच्छी बुनावट है कहानी की।
अलग ढंग से लिखी गई कहानी जो पाठक को आहिस्ता से अपनी अंगुली थमाती है जैसे कि वह अपने चोट खाए नायक को बहुत धीमी किन्तु विश्वस्त गति से उसकी चोट से रूबरू कराती है। साझा करने के लिए समालोचन का धन्यवाद।
मैं कहानी पढ़कर भीतर से मौन हूँ और ख़ाली ख़ाली महसूस कर रहा हूँ । थोड़ी सी भिन्नता और अधिक साम्यता लिये हुए मैं ख़ुद किनो हो गया हूँ । हारुकी मुराकामी क्या आप मनुष्य जगत के मन और आत्मा को पढ़ना जानते हैं । मैं कहूँगा कि सचमुच तुम्हारे भीतर प्रकाश मौजूद है जो इसी जीवन में किसी दिन तुम्हें ईश्वर से मिला देगा । आपसे मुहब्बत हो गयी है । इसलिये तुम कहकर संबोधित कर रहा हूँ । “भावनाएँ, ऐसी कि काटो तो रक्तस्राव होने लगेगा” ! एक और वाक्य “ईर्ष्या और घमंड व्यक्ति को बर्बाद कर देते हैं” । हारुकी तुम सत्य के क़रीब हो । सत्य और प्रेम ईश्वर के ही नाम हैं । किनो तुम्हारी पत्नी ने तुमसे तलाक़ ले लिया । वह आपके बार में माफ़ी माँगने आयी । तुम मौन रहे । ऐसे मौक़े पर व्यक्ति से बोला नहीं जाता । मेरे साथ जुड़े घनिष्ठ मित्रों के साथ मैंने अनुभव किया कि वे मेरे अवदान, डूबकर किये परिश्रम से उपजे प्रतिमान को बनाने की मेरी क्षमता से मुग्ध और प्रसन्न 🙂 होकर मुझे धन्यवाद देना चाहते हैं । उन्होंने मौन रहना मुनासिब समझा और मैं भी समझ गया । जीवन का ऐसा अनुभव किनो के मन में अपनी पत्नी के लिये कटुता नहीं है । किनो; तुम्हारे बार में दो लोगों ने बीयर और व्हिस्की पीकर हुड़दंग मचाया । वाइन ग्लास तोड़ दिये । मेज़ को उलट दिया । तुम चुप रहे । झाड़ू से सफ़ाई की । सच्चा या झूठा शिकवा नहीं किया । तुम्हारा क़द लंबा है । चुप्पी से किताब पढ़ने के लिये एक बार में कोना ढूँढते हो । उस कोने के ऊपर सीढ़ी बनी हुई है । तुम्हें बैठने में दिक़्क़त होती है । तुम किस मिट्टी के बने हो किनो । उदासी में ख़ुशी 🙂 ढूँढते हो । तुमने अपनी मौसी के पते पर पोस्टकार्ड भेजे जिसे (मुझे नाम नहीं याद आ रहा) उस व्यक्ति ने तुम्हें लिखने के लिये कहा था । बिना अपेक्षा के मौसी, पत्नी, बिल्ली और उस व्यक्ति को चाहा । अपना उदाहरण लिख रहा हूँ । हमारा ज़िला केंद्र बाइपास के रास्ते से जाने पर 30 किलोमीटर दूर है । लेकिन हिसार शहर के भीतर से गुज़रने से 26 किलोमीटर या 16 मील । हमारे घर हाँसी से लगभग 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित McDonald’s है । अचरज है कि किनो की तरह मैं भी कोने वाली सीट चुनता हूँ । यदि ख़ाली न हो तो इंतज़ार करता हूँ । वहाँ का स्टाफ़ मुझसे वाक़िफ़ है । और यह भी जानता है कि मुझे भोजन में स्पाइसी पनीर बर्गर, फ़्रेंच फ़्राइज़ और हॉट कॉफ़ी चाहिये । मेरी सीट पर पहुँचा देते हैं और रक़म ले जाते हैं ।
कहानी ने मंत्रमुग्ध कर दिया । प्रोफ़ेसर Arun Dev जी और श्रीविलास सिंह जी; आपके लिये क्या ही लिखा जाये ।
हारुकी मुराकामी की लिखावट सदा एक उदासी सी ओढ़े रहती है, मानवीय संवेदना का अद्भुत उदघाटन उनकी रचनाओं में मिलता है, और उनकी कहानियों में जो धुंध सी छाई रहती है वो निर्मल वर्मा के संस्मरणों की याद दिलाते हैं जिनसे झीना, मद्धम प्रकाश झरता है। पहले की तरह ही कहानी ने उनकी आत्मा की पतली दोहर ओढ़ रखी है जो कुनकुनी है और ख़ूबसूरत भी। आपको और श्रीविलास जी को बहुत शुभकामनाएं🙏🙏
व्यक्ति जब स्थान में बदल जाता है, उस स्थान में जो निश्चल, शांत,अवरुद्ध,उदास और निर्वाक जैसा होता है, तो वह कितना भयानक होता है, उसका उदाहरण है।वह व्यक्ति अगर एक संन्यासी नहीं, आम संसारी आदमी हो, तो उसका शून्य आतंक ही रचता है। किनो के अमूर्त्त संत्रास का बडा ही अद्भुत और उत्कट चित्रण इस कहानी में हुआ है। हारुकी मुराकामी को बधाई कि कमिता जैसे विलक्षण पात्र के माध्यम से उन्होंने किनो को पुन: व्यक्ति में तब्दील करने की कोशिश की है-संजय कुमार सिंह
अच्छी लगी. अनुवाद बहुत स्वाभाविक है कहानी में पठनीयता बनी रहती है लम्बी होने के बाद भी
सहज अनुवाद के कारण कहानी पठनीय लगी ।
अच्छी कहानी और अच्छा अनुवाद एक बार में पूरा पढ़ गया धन्यवाद
मानवीय संवेदनाओं की अनूठी कहानी. अनुवाद भी बहुत सुन्दर है.