मसीह अलीनेजाद: ईरान मे स्त्री की स्वाधीनता का सवाल: प्रीति चौधरी
ईरान की मसीह अलीनेजाद आज इस्लामिक देशों में स्त्री की आज़ादी के संघर्ष की प्रतीक हैं. उनके इस अभियान को पूरे विश्व समुदाय से समर्थन और सहयोग मिला है. लगभग...
ईरान की मसीह अलीनेजाद आज इस्लामिक देशों में स्त्री की आज़ादी के संघर्ष की प्रतीक हैं. उनके इस अभियान को पूरे विश्व समुदाय से समर्थन और सहयोग मिला है. लगभग...
गाँधीवादी और प्रसिद्ध पर्यावरणवादी सुन्दरलाल बहुगुणा जैसे लोग सदियों में तैयार होते हैं, उनपर किसी भी समाज और देश को गर्व होना चाहिए. इस कोरोना और उपचार...
बच्चे का जन्म लेना जैविक क्रिया है लेकिन उसका धार्मिक बनना सामाजिक प्रक्रिया है जिसमें उसका कोई दखल नहीं होता है. अक्सर माँ-पिता के धर्म ही बच्चे के धर्म हो...
किसी भी आंदोलन के क्रांतिकारी होने के लिए जरूरी है कि वह आमूल परिवर्तन उपस्थित करे, सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक बदलाव लाये. दिल्ली की सीमाओं पर किसानों का...
कृषि कानूनों में बदलाव और सुधार के लिए प्रारम्भ होने वाला किसान आंदोलन धीरे-धीरे अपना अखिल भारतीय स्वरूप ग्रहण करता जा रहा है, इसमें सभी वर्गों और स्त्री-पुरुष दोनों की...
अक्सर लोग बातचीत में यह कहते पाये जाते हैं कि इस देश में सैनिक शासन लागू कर देना चाहिए. ऐसा कहते समय वे यह भूल जाते हैं कि उनके पड़ोसी...
उत्तर औपनिवेशिकता और सबाल्टर्न अध्ययन से संबद्ध सुदीप्त कविराज दक्षिण एशियाई राजनीति और बौद्धिक इतिहास के विशेषज्ञ हैं, सम्प्रति कोलम्बिया विश्वविद्यालय के मध्य पूर्वी, दक्षिण एशियाई और अफ्रीकी अध्ययन विभाग...
महात्मा गांधी की १५१ वीं जयंती पर उन्हें स्मरण करते हुए मैं सोच रहा था कि बापू आज जिंदा होते तो क्या कर रहे होते ? अपने आश्रम में क्या...
सुप्रसिद्ध राजनीति-वैज्ञानिक और विचारक रजनी कोठारी (६ अगस्त १९२८ – १९ जनवरी २०१५) की कालजयी कृति ‘पॉलिटिक्स इन इंडिया’ का प्रकाशन १९७० में हुआ था. यह इसका स्वर्ण जयंती वर्ष है....
महामारी के आर्थिक, राजनीतिक एवं सामाजिक आयामों पर चर्चा कर रहें हैं नेहरू स्मारक संग्रहालय एवं पुस्तकालय के वरिष्ठ शोध सहायक सौरव कुमार राय
समालोचन साहित्य, विचार और कलाओं की हिंदी की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है. डिजिटल माध्यम में स्तरीय, विश्वसनीय, सुरुचिपूर्ण और नवोन्मेषी साहित्यिक पत्रिका की जरूरत को ध्यान में रखते हुए 'समालोचन' का प्रकाशन २०१० से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है. विषयों की विविधता और दृष्टियों की बहुलता ने इसे हमारे समय की सांस्कृतिक परिघटना में बदल दिया है.
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