कोरोना : सभ्यता का संकट: सुशील कृष्ण गोरे
दिक्कत यह है कि मनुष्य अपने को इस धरती का सर्वश्रेष्ठ प्राणी समझता है, उसके धर्म भी उसे यही मिथ्या विश्वास देते रहते हैं. प्रकृति के लिए मनुष्य और किसी...
दिक्कत यह है कि मनुष्य अपने को इस धरती का सर्वश्रेष्ठ प्राणी समझता है, उसके धर्म भी उसे यही मिथ्या विश्वास देते रहते हैं. प्रकृति के लिए मनुष्य और किसी...
क्या आपको ‘राष्ट्रीय शीतल पेय’ ‘डबल सेवेन’ की कभी याद आती है, वही पेय जिसे जनता पार्टी की सरकार ने १९७७ में कोका-कोला के विकल्प में विकसित और प्रचारित किया...
विकासशील समाज अध्ययन पीठ (CSDS) के प्रोफ़ेसर, भारतीय भाषा कार्यक्रम के निदेशक और \'प्रतिमान\' के प्रधान संपादक अभय कुमार दुबे को अक्सर टीवी चैनलों की बहसों में हम सुचिंतित हस्तक्षेप...
राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी अपने स्वतंत्र राष्ट्र में छह महीने भी जीवित नहीं रह सके, उनकी हत्या अंध राष्ट्रवाद और सांप्रदायिक उन्माद ने कर दी. भारत इस अपराध-बोध से कभी भी...
भारत में रहने वाला यह विविध और विशाल मानव समुदाय अपने आप को तभी एक रख सकता है जब वह अपने आंतरिक मसले धैर्य से कह-सुन सके और शांति से...
आज से १०० साल पहले 4 फ़रवरी 1916 को बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय की स्थापना के अवसर पर गाँधीजी अपना भाषण दे रहे थे. एनी बेसेंट, सदारत कर रहे दरभंगा महाराज...
Ward, 1970-71 : George TookerAlienation(अलगाव,विलगाव, अपरिचय, अजनबीपन आदि) का सिद्धांत न केवल समाज विज्ञान में बल्कि सहित्य में भी महत्वपूर्ण माना जाता है. सामाजिक प्राणी से एक अकेले असहाय इकाई में...
समालोचन साहित्य, विचार और कलाओं की हिंदी की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है. डिजिटल माध्यम में स्तरीय, विश्वसनीय, सुरुचिपूर्ण और नवोन्मेषी साहित्यिक पत्रिका की जरूरत को ध्यान में रखते हुए 'समालोचन' का प्रकाशन २०१० से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है. विषयों की विविधता और दृष्टियों की बहुलता ने इसे हमारे समय की सांस्कृतिक परिघटना में बदल दिया है.
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