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परख : छोटू उस्ताद (कहानी संग्रह) : स्वयं प्रकाश

छोटू उस्ताद (कहानी संग्रह)स्वयं प्रकाशकिताबघर प्रकाशन, दिल्लीमूल्य- 200/- कहानीमें अपने समय की विडम्बनाएं पल्लवस्वयं प्रकाश ऐसे कथाकार हैं जो कहानी में कथ्य की सम्प्रेषणीयता के लिए लगातार प्रयोगशील रहे. प्रगतिशील-जनवादी कथाकारों में...

हस्तक्षेप : विकल्प की पत्रकारिता : संजय जोठे

भारत में हिंसक-साम्प्रदायिक शक्तियों  के बेखौफ होने का यह (कु) समय है. विचारकों – साहित्यकारों की हत्याएं हो रहीं हैं. संस्थाओं पर जाहिल-कुंदजहन सरदारों की ताजपोशी हो गयी है. प्रगतिशील पत्रकारों...

सहजि सहजि गुन रमैं : हरे प्रकाश उपाध्याय

सोशल मीडिया से आज आप इंकार नहीं कर सकते, फेसबुक-वाट्सअप आदि से मध्यवर्ग का अब लगभग रोज का सम्बन्ध है. इस पर बनती-बिगडती मित्रताओं से भी सभी परिचित हैं. साहित्य...

परिप्रेक्ष्य : पुरुषोत्तम @ 60

साठ  के पुरुषोत्तम अग्रवाल- एक पड़ाव...   पिक्चर अभी बाकी है...  तृप्ति वामा समय और समाज की वर्तमान स्थिति और हृदय हीनता के कारण आज का आदमी प्रसन्नता के अवबोध से...

हस्तक्षेप : विवेक के हक़ में

विवेक के हक़ में (IN DEFENCE OF RATIONALITY)         प्रो. एम एम कल्बुर्गी को याद करते हुए (5, सितम्बर 2015, जंतर-मंतर.3 से ७ बजे शाम तक)ताकि लोकतन्त्र बचा...

मति का धीर : अवधनारायण मुदगल

अवधनारायण मुदगल केवल सारिका के संपादक ही नहीं, एक उम्दा लेखक और बेहतरीन इंसान भी थे. खट्टे-मीठे अनुभवों को समेटे राजकुमार गौतम का स्मृति-लेख. की गल है? .... मुदगल है!...

सहजि सहजि गुन रमैं : विपिन चौधरी

विपिन चौधरी की कुछ कविताएँ                                 _____________________________ अभिसारिकाढेरों सात्विक अंलकारों को थामें हवा रोशनी ध्वनि की गति...

सबद – भेद : मुक्तिबोध की नई प्रवृत्तियाँ : नंद भारद्वाज

कवि –आलोचक नंद भारद्वाज सघन उपचार के बाद घर लौटे हैं, मुक्तिबोध पर लिखी दूधनाथ की आलोचना पुस्तक –‘साहित्य में नई प्रवृत्तियाँ\' पर आलेख  पूरा किया है. यह आलेख संवाद है...

रंग राग : सत्यजित राय का इतिहास बोध : पुरुषोत्तम अग्रवाल

वरिष्ठ लेखक-आलोचक प्रो. पुरुषोत्तम अग्रवाल२५ अगस्त २०१५ को अपने सक्रिय जीवन के साठ साल पूरे कर रहे हैं. इस अवसर पर उनकी तीन किताबें लोकार्पित हो रही हैं - किया...

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