हस्तक्षेप : तुम्हें किसका भरोसा है राम ! : सारंग उपाध्याय
सारंग का यह आलेख महानगरों के जीवन की आपाधापी में लगभग...
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सारंग का यह आलेख महानगरों के जीवन की आपाधापी में लगभग...
मुजफ्फरपुर (बिहार) के एक छोटे-से गांव मणिका (मुसहरी प्रखंड) के सवेराकुटी में वर्षों से रहते हुए ८५ वर्षीय प्रख्यात समाजवादी चिंतक और विचारक सच्चिदानंद सिन्हा आज भी सक्रिय हैं, भारत...
समकालीन हिंदी आलोचना में प्रभात की कविताओं को लेकर उत्साह है, हालाँकि अभी उनका एक ही काव्य-संग्रह ‘अपनों में नहीं रह पाने का गीत’ प्रकाशित है. कविताओं के अतरिक्त आदिवासी...
मोनिका कुमार की कविताएँ आप \'समालोचन\' पर इससे पहले भी पढ़ चुके हैं. प्रस्तुत है उनकी छह नयी कविताएँ. टिप्पणी दे रहे हैं अविनाश मिश्र मोनिका कुमार की कविताएँ ...
तसलीमा नसरीन बौद्धिक-सामाजिक क्षेत्र में एक ऐसी उपस्थिति हैं, जिसने सत्ताओं (धर्म, राज्य, पुरुष-वर्चस्व) को अनथक चुनौती दी है. भारतीय महाद्वीप में शायद वह ऐसी पहली लेखिका हैं जिन्होंने अपने...
नूतन डिमरी गैरोला की इन कविताओं में उनकी काव्य – यात्रा का विकास दीखता है. संवेदना और शिल्प दोनों ही स्तरों पर वह परिमार्जित हुई हैं. कविताएँ अनुभवों की सघनता...
पेंटिग : Abir Karmakar (Room)प्रारम्भ से ही पहचाने और रेखांकित किये गए पंकज चतुर्वेदी, हिंदी कविता के समकालीन परिदृश्य में अपनी कविता के औदात्य के साथ पिछले एक दशक से...
कहानीउत्तर प्रदेश की खिड़की (प्रिय मित्र सीमा आज़ाद के लिए)विमल चन्द्र पाण्डेयप्रश्न- मेरे घर की आर्थिक हालत ठीक...
हर नया स्वर, हर नई कविता और कवि उम्मीद होते हैं, न सिर्फ भाषा के लिए, जहाँ भाषाएँ बोली जाती हैं उस दुनिया के लिए भी. सुदीप, कवि के रूप...
मिथकों और पुराशिल्पों के अध्ययन और विश्लेषण पर दामोदर धर्मानंद कोसंबी (१९०७-१९६६) ने बेहतरीन कार्य किया है. उनके लिखे शोध निबन्धों की संख्या १०० से भी अधिक हैं. अंग्रेजी में...
समालोचन साहित्य, विचार और कलाओं की हिंदी की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है. डिजिटल माध्यम में स्तरीय, विश्वसनीय, सुरुचिपूर्ण और नवोन्मेषी साहित्यिक पत्रिका की जरूरत को ध्यान में रखते हुए 'समालोचन' का प्रकाशन २०१० से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है. विषयों की विविधता और दृष्टियों की बहुलता ने इसे हमारे समय की सांस्कृतिक परिघटना में बदल दिया है.
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