परख : गाँव भीतर गाँव (सत्यनारायण पटेल) : शशिभूषण मिश्र
समीक्षा हाशिए के समाज का संकट शशिभूषण मिश्रभेम का भेरू मांगता कुल्हाड़ी ईमान, लाल छीट वाली लूगड़ी का सपना, काफ़िर बिजूका उर्फ़ इब्लीस जैसे...
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समीक्षा हाशिए के समाज का संकट शशिभूषण मिश्रभेम का भेरू मांगता कुल्हाड़ी ईमान, लाल छीट वाली लूगड़ी का सपना, काफ़िर बिजूका उर्फ़ इब्लीस जैसे...
जयश्री रॉय की यह नई कहानी ‘दौड़’ एक बेरोजगार युवक की कहानी है जो हवलदार की नौकरी के लिए तय ५ किलोमीटर की दौड़ तो पूरी कर लेता है पर...
पद्मश्री, साहित्य अकादमी पुरस्कार, रघुवीर सहाय सम्मान आदि से सम्मानित तथा ‘शंखमुखी शिखरों पर’, ‘नाटक जारी है’, ‘इस यात्रा में’, ‘रात अब भी मौजूद है’, ‘बची हुई पृथ्वी’, ‘घबराए हुए...
(रमेश प्रजापति की फेसबुक वाल से साभार)भारतीय ज्ञानपीठ का २८ वां मूर्तिदेवी पुरस्कार प्रसिद्ध आलोचक विश्वनाथ त्रिपाठी की आख्यानपरक कृति व्योमकेश दरवेश को दिया गया है जो आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी...
पेंटिग : हुसैन“ईसा मसीहऔरत नहीं थेवरना मासिक धर्मग्यारह वर्ष की उमर से उनको ठिठकाए ही रखतादेवालय के बाहर !” (मरने की फुर्सत: अनामिका)हिंदी कविता के मानचित्र में अनामिका का अपना...
F. N. Souza (PORTRAIT OF A MAN IN SHADOW)इक्कीसवीं शताब्दी की युवा हिंदी कविता का बीज शब्द है – ‘भय’. यह अपने साये से डर जाने वाला अस्तित्वादी भय नहीं है....
पुनीत बिसारिया सिनेमा पर लिखते रहे हैं. २०१३ में प्रकाशित पुस्तक ‘भारतीय सिनेमा का सफरनामा’ चर्चित रही है. हिंदी साहित्य और सिनेमा का रिश्ता अपने शुरूआती दिनों से ही ‘प्यार...
हिंदी अफसानानिगारों में कविता जानी–पहचानी जाती हैं. तीन कहानी संग्रह और दो उपन्यास प्रकाशित हैं. उनकी एक कहानी ‘उलटबांसी’ का अंग्रेजी में तथा कुछ और कहानियों का भारतीय भाषाओँ में...
यात्राएँ इतिहास की हों अगर तो दूर तक जाती हैं, इतिहास के इन सरायों में केवल छूटी हुई स्मृतियां ही नहीं होतीं उनमें बहुत कुछ ऐसा होता है जो वर्तमान...
24 वर्षीय वल्लरी मिरांडा हाउस से इतिहास में आनर्स हैं और स्कूली बच्चों में नेतृत्व विकास के लिए कार्य करती हैं. कविताएँ लिख रही हैं. प्रेम के राग का अनुगमन...
समालोचन साहित्य, विचार और कलाओं की हिंदी की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है. डिजिटल माध्यम में स्तरीय, विश्वसनीय, सुरुचिपूर्ण और नवोन्मेषी साहित्यिक पत्रिका की जरूरत को ध्यान में रखते हुए 'समालोचन' का प्रकाशन २०१० से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है. विषयों की विविधता और दृष्टियों की बहुलता ने इसे हमारे समय की सांस्कृतिक परिघटना में बदल दिया है.
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