परिप्रेक्ष्य : लेखन और आत्माभिव्यक्ति : वन्दना शुक्ला
लेखन और आत्माभिव्यक्ति वन्दना शुक्ला एक पुरानी कहावत है ‘’चमत्कार को नमस्कार’’....आशय यही है कि चाहे विचारधारा हो,कोई अन्वेषण हो, या...
Home » Uncategorized » Page 68
लेखन और आत्माभिव्यक्ति वन्दना शुक्ला एक पुरानी कहावत है ‘’चमत्कार को नमस्कार’’....आशय यही है कि चाहे विचारधारा हो,कोई अन्वेषण हो, या...
हमारे समय के महत्वपूर्ण कवि आलोक धन्वा की उतनी ही महत्वपूर्ण कविता ‘ब्रूनों की बेटियां’ पर कवि समीक्षक कुमार मुकुल का भाष्य. कुमार मुकुल ने इस कविता को बड़े परिप्रेक्ष्य...
गोविन्द मिश्र से सुशील कृष्ण गोरे की बातचीत \"साहित्य में विमर्शबाजी एक शार्टकट है.\"पिछले दिनों गोविन्द मिश्र हिंदी एवं मराठी के महत्वपूर्ण आलोचक डॉ.चंद्रकांत बांदिवडेकर पर केंद्रित ‘शब्दयोग’ पत्रिका...
देवयानी की कविताएँ सहजता से मन मस्तिष्क में अपनी जगह बनाती हैं. स्त्री जीवन के चेतन–अवचेतन के कई स्याह सफेद पक्ष यहाँ एक दूसरे में गुंथे हैं. आकांक्षा के सीमांत पर...
हिन्दी कविता की तीसरी धारा मुकेश मानसहिंदी कविता की वह धारा जो शोषण और उत्पीडन के प्रति न केवल तीव्र समझौताविहीन प्रतिक्रिया देती है, बल्कि हाशिए के साथ जीती...
विपिन चौधरी ::कहानीकार, कवयित्री जन्म - २ अप्रैल १९७६, भिवानी (हरियाणा)जिले के खरकड़ी- माखवान गाँव में शिक्षा – बी. एससी., ऍम. ए.(लोक प्रकाशन) दो कविता संग्रह व कुछ कहानियाँ व लेख विभिन्न...
इरोम शर्मिला के अन्न-जल त्याग की अवधि इस नवम्बर में ११ साल की होने जा रही है. अब वह राज्य की हिंसा के खिलाफ जन आंदोलनों की प्रतीक हैं. खुद...
जनवादी कवि गोरख पाण्डेय जन संस्कृति मंच के संस्थापक और प्रथम महासचिव थे. वह जे.एन.यू से ज्यां पाल सात्र के अस्तित्ववाद में अलगाव के तंतुओं पर पी.एच.-डी.कर रहे थे, बाद में सिजोफ्रेनिया से ग्रस्त...
युवतर अनुज लुगुन ने हिंदी कविता के परिसर को अपनी प्रश्नाकुल उपस्थिति से समृद्ध किया है.उनकी कविताएँ आदिवासी समाज की अस्मिता और संघर्ष से रची बसी हैं. उनमें उतर–औपनिवेशिक भारत...
सांस्कृतिक आंदोलन के तीन व्यक्तित्वगोपाल प्रधानभारत के स्वतंत्रता आंदोलन में भगत सिंह और गांधी को परस्पर विरोधी माना जाता है. भगत सिंह का जन्मदिन 28 सितंबर है और गांधी का...
समालोचन साहित्य, विचार और कलाओं की हिंदी की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है. डिजिटल माध्यम में स्तरीय, विश्वसनीय, सुरुचिपूर्ण और नवोन्मेषी साहित्यिक पत्रिका की जरूरत को ध्यान में रखते हुए 'समालोचन' का प्रकाशन २०१० से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है. विषयों की विविधता और दृष्टियों की बहुलता ने इसे हमारे समय की सांस्कृतिक परिघटना में बदल दिया है.
सर्वाधिकार सुरक्षित © 2010-2023 समालोचन | powered by zwantum