कथा – गाथा : विपिन चौधरी
विपिन चौधरी ::कहानीकार, कवयित्री जन्म - २ अप्रैल १९७६, भिवानी (हरियाणा)जिले के खरकड़ी- माखवान गाँव में शिक्षा – बी. एससी., ऍम. ए.(लोक प्रकाशन) दो कविता संग्रह व कुछ कहानियाँ व लेख विभिन्न...
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विपिन चौधरी ::कहानीकार, कवयित्री जन्म - २ अप्रैल १९७६, भिवानी (हरियाणा)जिले के खरकड़ी- माखवान गाँव में शिक्षा – बी. एससी., ऍम. ए.(लोक प्रकाशन) दो कविता संग्रह व कुछ कहानियाँ व लेख विभिन्न...
इरोम शर्मिला के अन्न-जल त्याग की अवधि इस नवम्बर में ११ साल की होने जा रही है. अब वह राज्य की हिंसा के खिलाफ जन आंदोलनों की प्रतीक हैं. खुद...
जनवादी कवि गोरख पाण्डेय जन संस्कृति मंच के संस्थापक और प्रथम महासचिव थे. वह जे.एन.यू से ज्यां पाल सात्र के अस्तित्ववाद में अलगाव के तंतुओं पर पी.एच.-डी.कर रहे थे, बाद में सिजोफ्रेनिया से ग्रस्त...
युवतर अनुज लुगुन ने हिंदी कविता के परिसर को अपनी प्रश्नाकुल उपस्थिति से समृद्ध किया है.उनकी कविताएँ आदिवासी समाज की अस्मिता और संघर्ष से रची बसी हैं. उनमें उतर–औपनिवेशिक भारत...
सांस्कृतिक आंदोलन के तीन व्यक्तित्वगोपाल प्रधानभारत के स्वतंत्रता आंदोलन में भगत सिंह और गांधी को परस्पर विरोधी माना जाता है. भगत सिंह का जन्मदिन 28 सितंबर है और गांधी का...
परितोष मणि प्रोफ़ेसर मैनेज़र पाण्डेय जितने बड़े और सुलझे हुए आलोचक हैं उतने ही अच्छे अध्यापक भी. वास्तव में अच्छे शिक्षक का सबसे बड़ा गुण सिर्फ यही नहीं होता है की...
:: जन्म दिन की शुभकामनाएँ ::वरिष्ठ आलोचक मैनेजर पांडेय से पुखराज जाँगिड़ की बातचीतआपकी आलोचना अलग तरह की होती है. जैसे-साहित्य के समाजशास्त्र की भूमिका हिंदी आलोचना में भिन्न प्रकृति की...
16 जनवरी 1939, ग्वालियर, मध्यप्रदेश पेशे से इंजीनियरकविता संग्रह : समुद्र पर हो रही है बारिश (2001) आरम्भ, वर्ष, और छायानट नामक पत्रिकाओं का सम्पादन.हिन्दी साहित्य सम्मेलन सम्मान (1973),फ़िल्म-निर्देशन के...
मृत्युंजय :: जन्म : ०४ जुलाई १९८१, आजमगढ़ (उत्तर-प्रदेश) कविताएँ, लेख और अनुवाद हिन्दी आलोचना में कैनन निर्माण पर इलाहाबाद विश्वविद्यालय से शोध-कार्य हिन्दुस्तानी और कर्नाटक शास्त्रीय संगीत में रूचि जन संस्कृति मंच से...
\"कविता एक प्रतिसंसार रचती है. जिसमें कई क्षतिपूर्तियां हैं और जो अपने समय का संधान भी करती है. उसमें भविष्य का स्वप्न निहित होता है. अपने समय को समझने की...
समालोचन साहित्य, विचार और कलाओं की हिंदी की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है. डिजिटल माध्यम में स्तरीय, विश्वसनीय, सुरुचिपूर्ण और नवोन्मेषी साहित्यिक पत्रिका की जरूरत को ध्यान में रखते हुए 'समालोचन' का प्रकाशन २०१० से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है. विषयों की विविधता और दृष्टियों की बहुलता ने इसे हमारे समय की सांस्कृतिक परिघटना में बदल दिया है.
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