परिप्रेक्ष्य : ग्यारहवां विश्व हिंदी सम्मेलन : संतोष अर्श
साहित्य तो समाज का दर्पण होता ही है, भाषा और साहित्य के आयोजन भी दर्पण ही होते हैं. आइये ग्यारहवें विश्व हिंदी सम्मेलन के इस आयोजन में हम अपना चेहरा...
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साहित्य तो समाज का दर्पण होता ही है, भाषा और साहित्य के आयोजन भी दर्पण ही होते हैं. आइये ग्यारहवें विश्व हिंदी सम्मेलन के इस आयोजन में हम अपना चेहरा...
नोबेल पुरस्कार से सम्मानित वी.एस.नायपॉल के महत्वपूर्ण उपन्यास \'आधा जीवन\' (Half a Life) का दूसरा भाग प्रस्तुत है. इसका अनुवाद जय कौशल ने किया है. इस उपन्यास के अनुवाद का...
प्रेमचंद की कहानी ईदगाह का हामिद खिलौने की जगह चिमटा खरीद लाता है जिससे कि रोटी सेकते हुए दादी अमीना की उँगलियाँ न जले. आज़ाद हिंदुस्तान में हामिद के सामने...
स्मरणशिवपूजन सहाय (जन्म: ९ अगस्त, १८९३ : २१ जनवरी, १९६३) शिवपूजन सहाय आधुनिक हिंदी साहित्य के निर्माण काल के साक्षी और सहभागी हैं. अपने समय के अधिकतर हिंदी लेखकों से...
(पेंटिग : ABDULLAH M. I. SYED - DIVINE ECONOMY)ज्याँ पाल सार्त्र कहा करते थे– ‘मनुष्य स्वतंत्र होने के लिए अभिशप्त है.’ वह मध्ययुगीन बर्बरताओं से बाहर आया अब ‘आधुनिकता’ की...
मलिक मुहम्मद जायसी (१३९८-१४९४ ई.) के महाकव्य \'पदमावत\' पर कथित तौर पर आधारित भंसाली की फ़िल्म पदमावत के दयनीय और भूहड़ निर्माण और उस पर हुए हिंसक और आपराधिक प्रदर्शन...
अकेली रह गयी माँ के शुरू हो रहे प्रेम सम्बन्ध को उसकी विवाहिता बेटी किस तरह देखेगी ? अब यह न वर्जित क्षेत्र है न विषय. अनिता सिंह ने संयत रहकर...
‘गीत एक और ज़रा झूम के गा लूँ तो चलूं..’हिंदी के प्रसिद्ध गीतकार ९३ वर्षीय गोपाल दास नीरज (४/जनवरी १९२५- १९ जुलाई २०१८) के न रहने से लोकप्रिय हिंदी कविता...
हिन्दू पानी - मुस्लिम पानी जयपुर. धर्म के प्रति निष्ठा होने और साम्प्रदायिक होने में बहुत अंतर है. किसी भी धर्म को...
भोपाल स्थित कला संस्थान \'विहान\' के संस्थापक, फीचर फिल्मों के लेखक तथा डॉक्यूमेंटरी फिल्म निर्माण में सक्रिय सुदीप सोहनी (29 दिसंबर 1984, खंडवा) की कुछ कविताएँ आपने समालोचन में पहले...
समालोचन साहित्य, विचार और कलाओं की हिंदी की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है. डिजिटल माध्यम में स्तरीय, विश्वसनीय, सुरुचिपूर्ण और नवोन्मेषी साहित्यिक पत्रिका की जरूरत को ध्यान में रखते हुए 'समालोचन' का प्रकाशन २०१० से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है. विषयों की विविधता और दृष्टियों की बहुलता ने इसे हमारे समय की सांस्कृतिक परिघटना में बदल दिया है.
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