सबद – भेद : विजेन्द्र का कवि -कर्म : अमीर चन्द वैश्य
हिंदी के वरिष्ठ कवि विजेन्द्र की कुछ कविताएँ और उनका आत्मकथ्य समालोचन पर आपने कुछ दिनों पहले पढ़ा था. ८३ वर्षीय विजेन्द्र के १९६६ से २०१५ के दरमियाँ २४ कविता संग्रह...
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हिंदी के वरिष्ठ कवि विजेन्द्र की कुछ कविताएँ और उनका आत्मकथ्य समालोचन पर आपने कुछ दिनों पहले पढ़ा था. ८३ वर्षीय विजेन्द्र के १९६६ से २०१५ के दरमियाँ २४ कविता संग्रह...
कविताओं से कवि होना चाहिए, अगर बचनी हैं तो कविताएँ ही बचेंगी. जनकवि, जनता का कवि, लोककवि, लोकधर्मी कवि आदि-आदि कविताओं को समझने के क्रम में तैयार आलोचकीय वर्गीकरण हैं....
२००५ में आई. आई. टी. दिल्ली से रासायनिक अभियांत्रिकी में स्नातक प्रचण्ड प्रवीर हिंदी के बेहद संभावनाशील लेखक हैं. विश्व सिनेमा को भरत मुनि के रस सिद्धांत के आलोक में...
(Photo courtesy: Sattish Bate/Hindustan Times)भारत के प्रसिद्ध अंग्रेजी लेखक अमिताव घोष की २०१६ में प्रकाशित किताब ‘The Great Derangement: Climate Change and the Unthinkable’ ने जहाँ प्रकृति और संस्कृति की...
वरिष्ठ कथाकार सुभाष पंत की समालोचन में प्रकाशित कहानी ‘अ स्टिच इन टाइम’ को पाठकों द्वारा खूब पसंद किया गया है और उनकी दूसरी कहानियों को भी पढ़ने की इच्छा...
(विक्रम नायक का यह चित्र इसी किताब में है\', आभार के साथ)‘मुक्तिबोध : एक व्यक्तित्व सही की तलाश में\', मुक्तिबोध के इस ‘अनौपचारिक पाठ’ की लेखिका कृष्णा सोबती हैं जिसे चित्रकार...
प्रसिद्ध चित्रकार और हिंदी के सुप्रसिद्ध लेखक अखिलेश की नयी किताब ‘देखने का जादू’ इस वर्ष अनन्य प्रकाशन से प्रकाशित हो रही है, इसकी सुंदर भूमिका अभिषेक कश्यप ने लिखी...
हेमंत देवलेकर कवि के साथ-साथ समर्थ रंगकर्मी भी हैं. उनका दूसरा कविता संग्रह ‘गुल मकई’ बोधि प्रकाशन से प्रकाशित हुआ है. आइये देखते हैं इस संग्रह के विषय में क्या...
हिंदी के वरिष्ठ कथाकार प्रियंवद ने बच्चो के लिए एक उपन्यास लिखा है – नाचघर . नवनीत नीरव बता रहे हैं क्या है इसमें ख़ास.स्मृतियों का नाचघर ...
(photo courtesy Tribhuvan Deo)सौमित्र मोहन (१९३८- लाहौर) का लुकमान अली कभी-कभी अकविता के ज़िक्र में किसी लेख में दिख जाता पर पर इधर कई दशकों से सौमित्र मोहन कविता की...
समालोचन साहित्य, विचार और कलाओं की हिंदी की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है. डिजिटल माध्यम में स्तरीय, विश्वसनीय, सुरुचिपूर्ण और नवोन्मेषी साहित्यिक पत्रिका की जरूरत को ध्यान में रखते हुए 'समालोचन' का प्रकाशन २०१० से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है. विषयों की विविधता और दृष्टियों की बहुलता ने इसे हमारे समय की सांस्कृतिक परिघटना में बदल दिया है.
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