कविताएँ
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1.
तुम में, यह धरती
छोटा गुलाब,
गुलाब की कली,
कई बार लघु और नग्न.
ऐसा लगता है जैसे
तुम मेरी इन हथेलियों में से एक में
समा जाओगी.
जैसे मैं तुम्हें अपनी मुट्ठियों में भरूँगा
और तुम्हें अपने होंठों के पास ले आऊँगा.
लेकिन
अचानक
मेरे पाँव तुम्हारे पैर छूते हैं
और मेरा मुँह तुम्हारे होंठ.
तुम बड़ी हो गयी हो,
तुम्हारे काँधे, पहाड़ियों की तरह उन्नत,
तुम्हारा सीना, मेरे सीने के ऊपर घूमता है,
मेरी बाँह तुम्हारी कमर के नए चाँद की महीन रेखा
मुश्किल से नाप पाती है.
प्यार में तुमने खुद को
समंदर के पानी की तरह तरल छोड़ दिया है.
मैं आसमान की सबसे अनंत आँखों को
पूरा कहाँ माप सकता हूँ, और,
मैं तुम्हारे चेहरे तक झुकता हूँ
धरती चूमने के लिए.
2.
अनुपस्थिति
मैंने शायद ही तुम्हें छोड़ा है
जब तुम मेरे भीतर उतरती हो
निर्मल या कांपती हुई, या असहज,
मुझसे चोटिल होती या प्यार से अभिभूत,
जब तुम्हारी आँखें ज़िंदगी का तोहफ़ा क़बूलते हुए
मुँद-मुँद जाती हैं, जो मैं बिना रुके,
देता हूँ तुम्हें.
मेरी प्रेयसी,
हमने एक दूसरे को प्यासा पाया है
और हमने सारा पानी और खून पी लिया है
हमने एक दूसरे को भूखा पाया है
और हमने एक दूसरे को ऐसे काटा है
जैसे आग काटती है और हमारे भीतर घाव छोड़ती है.
लेकिन मेरा इंतज़ार करो,
मेरे लिए अपनी मिठास रखो.
मैं भी तुम्हें एक गुलाब दूँगा.
3.
हमेशा
तुम्हें देखते हुए
मुझे जलन नहीं हो रही.
एक पुरुष को अपने साथ लिए
वापस आओ,
एक सौ पुरुषों को अपने केशों में लिए हुए
हज़ार पुरुषों को अपने सीने और पैरों के मध्य लिए
उस नदी की तरह, डूबे हुए पुरुषों से भरी हुई
जो उग्र समंदर से मिलती है,
अनंत समुद्री लहरें, क्या मौसम.
उस सब को लिए आओ, जहाँ,
मैं तुम्हारा इंतज़ार करता हूँ.
हम हमेशा अकेले होंगे,
हमेशा, हमेशा, तुम और मैं,
धरती पर बिलकुल अकेले
जीवन शुरू करने के लिए.
4.
फिसलन
अगर तुम्हारा पैर फिर फिसला
वह काट दिया जाएगा
अगर तुम्हारा हाथ
तुम्हें किसी और सड़क पर ले जाए
वह सड़ जाएगा.
अगर तुम अपना जीवन मुझसे ले लोगी
तुम मर जाओगी
भले ही जीती रहो.
तुम मृतकों या अंधेरों की तरह हो जाओगी
दुनिया में भटकती मेरे बिना.
5.
वह सवाल
प्रेयसी, एक सवाल ने
तुम्हें बर्बाद कर दिया है.
मैं कँटीली अनिश्चितता लिए
तुम्हारे पास आया हूँ.
मैं चाहता हूँ,
तुम तलवार या सड़क की तरह सीधी रहो
और
तुम बार-बार यह चाहती हो कि
उस छाया का एक टुकड़ा बचा रहे
जिसे मैं नहीं चाहता.
प्रेयसी,
मेरी बात समझो,
मैं तुम्हें सम्पूर्णता से प्यार करता हूँ.
6.
यहाँ मैं तुमसे प्यार करता हूँ
यहाँ मैं तुमसे प्यार करता हूँ.
इन घने देवदारों में हवा विस्तार पाती है
आवारागर्दी करते पानी के ऊपर चाँद चमकता है
दिन गुजरते हैं एक दूसरे का पीछा करते हुए.
कुहासा ऐसे खुलता है जैसे नाचती आकृतियाँ.
एक चाँदनी रंग की सीगल सूर्यास्त से उतरती हुई आती है.
कभी कभी एक नाव कहीं. ऊँचे, बहुत दूर सितारे.
या किसी जहाज़ का काला सलीब.
अकेला.
कभी कभी मैं उठता हूँ तो, मेरी आत्मा भी नम रहती है.
दूर समंदर आवाज़ करता है. फिर आवाज़ करता है.
यह एक बंदरगाह है.
यहाँ मैं तुमसे प्यार करता हूँ.
यहाँ मैं तुमसे प्यार करता हूँ,
और क्षितिज तुम्हें व्यर्थ छिपाने की कोशिश करता है.
मैं अभी भी इन रूखी चीजों के बीच तुमसे प्यार कर रहा हूँ.
कभी कभी मेरे चुम्बन,
इन धीर जहाज़ों पर समंदर के पार की यात्रा करते हैं
और पहुँचते ही नहीं.
अब मैं खुद को पुराने भुला दिए गए लंगरों की तरह देखता हूँ.
शाम के उच्छवासों के आते-आते घाट और उदास हो जाते हैं.
मेरी ज़िंदगी और थकती है और बेकाम भूखी हुई जाती है.
मुझे उससे प्यार है जो मेरे पास नहीं है. तुम इतनी, इतनी दूर हो.
मेरी थकान धीमे धुँधलकों से संघर्ष करती है, लेकिन रात मुझे पूरा
करते हुए, गीत गाना शुरू करती है. चाँद सपनों के पहियों को गतिमान करता है.
सबसे बड़े सितारे तुम्हारी आँखों से मुझे देखते हैं.
और चूंकि, मैं तुमसे प्यार करता हूँ
देवदार हवा में अपने तार जैसे पत्तों से
तुम्हारा नाम गाना चाहते हैं.
7.
हमने खो दिया अब
हमने खो दिया है अब तो इस धुँधलके को भी.
किसी ने इस शाम हमें तब हाथ जोड़े नहीं देखा
जब दुनिया पर नीली रात फैल रही थी.
अपनी खिड़की से मैंने देखा है
दूर पहाड़ियों में सूरज के डूबने का जश्न.
कभी कभी, एक सिक्के की तरह
सूरज का एक टुकड़ा मेरे हाथों में जल उठता था.
मैंने तुम्हें याद किया, आत्मा को जकड़ी हुई उस उदासी से
जिसे तुम जानती हो.
तो, कहाँ हो तुम?
किन लोगों के बीच?
कौन से शब्द कह रही हो?
ऐसा क्यों होता है कि जब मैं उदास होता हूँ
और सोचता हूँ कि तुम दूर हो
तो सारा प्यार उमड़ता हुआ चला आता है?
वह किताब जो हमेशा अंधेरा होना शुरू होते ही उठायी जाती थी, गिर गयी,
और, एक घायल कुत्ते की तरह मेरा चोग़ा मेरे कदमों में पड़ा है.
हमेशा, हमेशा, इन शामों को तुम दूर चली जाती हो,
उस तरफ़ जिधर धुँधलका भागता है, आकृतियाँ मिटाता हुआ.
(प्रस्तुत कविताओं के अनुवाद कई अंग्रेजी अनुवादों पर आधारित हैं.)
अंचित
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पाब्लो नेरुदा मेरे प्रिय कवियों में हैं और उनकी प्रेम कविताएं उद्विग्न करती हैं… बार बार पढ़े जाकर भी हर बार नई लगती हैं। अंचित ने अच्छी कविताओं का चयन कर तरल प्रवाहमान अनुवाद किया है। बधाई।
यादवेन्द्र
ये बड़ा काम हुआ। मुझे पाब्लो की कविताओं का इंतज़ार था। आभार समालोचन का और अरुण भाई आपका भी।
आनंद आ गया पढ़ कर. मैंने पाब्लो नेरुदा के कई अनुवाद हिंदी और उर्दू में पढ़ें हैं. पर हर अनुवाद बड़ा ही शुष्क सा था. लेकिन अंचित का यह अनुवाद बिल्कुल मौलिक रचना की तरह है. शायद इसकी एक वजह यह भी हो कि अंचित ख़ुद भी प्रेम कविताओं के माहिर कवि हैं. बहुत बहुत बधाई अंचित को.
अंचित प्रेम को उसकी अग्नि , उत्ताप और फिर प्रशांति में भी बरतने वाले कवि हैं। प्रेम में होने के तनाव और उसके उल्लास को जितना वह जानते हैं हिंदी के युवा कवियों में वह जटिलता विरल ही है। उनकी प्रेम कविताओं में विलक्षण बौद्धिकता से पैदा होता आत्मध्वंस दिखता है जो सम्बंधों में आई साभ्यतिक उलझनों को सामने लाता है।अंचित की खूबी प्रेम को देखने, समझने और भुगतने की होती है जहाँ वे निहंग और निर्वैयक्तिक होते चले जाते हैं। नेरूदा अंचित से काफ़ी अलग हैं। वें प्रेम को औदात्य की ओर ले जाते हैं। उसे वह ब्रह्मांडीय विस्तारधायिता हासिल करने देते हैं। नेरुदा प्रेम में लगभग अराजनीतिक हो जाते हैं और संसार की सारी बर्बरता को भूल जाते हैं। देह को देहातीत होने का माध्यम बनाना नेरुदा का काव्यगुण रहा है। लेकिन अंचित की खूबी यह है कि अंचित अपने से अलग प्रेम प्रविधि को गहरी अनुभूति के साथ आत्मसात करते हैं और नेरूदा को उनके अपने संवेग संसार में उनकी अपनी ब्रह्मांडीय शर्तों पर देखते समझते हैं। यह कठिन प्रेमी और एक विस्तारधायी होते जाते प्रेमी का आमने सामने होना है। यह एक दुविधाजनक फेस ऑफ है जिसमें जीतती है कृतिकारिता की अगम्यता ।
ओ पाब्लो नेरुदा तुम अपनी प्रेमिका के साथ रहते हुए भी अकेले हो । आपने प्रेमिका की कटि में चाँद देखा । पंजाबी में कमर को लक कहते हैं । ‘लक मारे मारे फिरदी’ ।
प्रेम के बिना व्यक्ति प्यासे रहते हैं । जैन पंथ में बची हुई आकांक्षाओं को पुद्गल कहते हैं । पुद्गल न दिखने वाला अवयव है और मृत्यु के बाद आत्मा के साथ जाता है । समालोचन के अधिकांश पाठक पुनर्जन्म में विश्वास नहीं करते । परंतु जैन पंथ के अनुसार बची हुई आकांक्षा पुनर्जन्म का कारण है । अन्यथा निर्वाण मिल जाता ।
बहुत सुंदर अनुवाद। भाषा ऐसी जैसे बहती हुई नदी। पाब्लो नेरुदा मेरे प्रिय कवि हैं। मेरे ऊपर उनका गहरा असर है। मैंने उनकी कविताओं का कई अनुवाद पढ़ा है। अनुवाद ऐसा ही होना चाहिए जिसमें कवि की अपनी भाषा की आत्मा बची रहे। अंकित तुमनें ये कर दिखाया। प्रेम में डूबी कविताओं को कोई प्रेम में डूबकर ही समझ सकता है। तुम डूबे और पार। शुक्रिया अरुण का इस सुंदर अनुवाद को हम सब तक पहुंचाने के लिए
पाब्लो नेरुदा को पढ़ना प्रेम के समंदर में गोते लगाना है। बहुत सुंदर कविता का चयन किया है मित्र अंचित ने और अनुवाद बहती नदी की तरह🌼
बहुत सुन्दर अनुवाद! भाषिक लय कह रही है कि कविता की आत्मा बचा ली गई है। अंचित हर उम्मीद से आगे जा कर काम करते हैं। कविता हो या अनुवाद । हिन्दी में पाब्लो की कविताओं की उपलब्धता के लिए आभार! अंचित के लिए शुभकामनाएं!