मंगलेश डबराल: सिर्फ यही थी उसकी उम्मीद: रविभूषण
‘सिर्फ़ यही थी मेरी उम्मीद’ प्रसिद्ध कवि मंगलेश डबराल के गद्य का संचयन है जिसे वाणी ने 2021 में प्रकाशित ...
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‘सिर्फ़ यही थी मेरी उम्मीद’ प्रसिद्ध कवि मंगलेश डबराल के गद्य का संचयन है जिसे वाणी ने 2021 में प्रकाशित ...
युद्धों की बर्बरता का प्रतिपक्ष कविता में है. महायुद्दों ने महाकाव्यों को जन्म दिया है. विश्वयुद्दों से तीखी झड़प अस्तित्ववादी ...
अविनाश अरुण धावरे द्वारा निर्देशित और जयदीप अहलावत, शेफाली शाह, स्वानंद किरकरे आदि अभिनेताओं से सजी ‘थ्री ऑफ़ अस’ फ़िल्म ...
अनुराधा सिंह के कविता संग्रह ‘उत्सव का पुष्प नहीं हूं’ पर वरिष्ठ कवि-लेखक विजय कुमार की यह समीक्षा देखें.
विदेशों में भी हिंदी पठन-पाठन की एक छोटी सी दुनिया है. लेखिका और अनुवादक रेखा सेठी अमेरीका के ड्यूक यूनिवर्सिटी ...
मिजोरम की पृष्ठभूमि पर आधारित इस कहानी में विवाह के समय मिजो वर द्वारा अलग घर बनाने की परम्परा का ...
दीपांकर शिवमूर्ति की कुछ कहानियाँ हिंदी और अंग्रेजी में छपी हैं. वह फिल्मों के लिए पटकथा भी लिखते हैं. उनकी ...
‘पानी से न लिखना पत्थर पे कोई नाम’ (अनुराधा सिंह), ‘ठेकेदार की आत्मकथा’ (आकांक्षा पारे काशिव) तथा ‘रहस्यों के खुरदुरे ...
विशिष्ट, विस्तृत और विचारोत्तेजक. थेरीगाथा को स्त्री-दृष्टि से विवेचित करते हुए रोहिणी अग्रवाल स्त्री-भाषा समेत उसके अनेक आयामों को गहराई ...
वरिष्ठ कथाकार अशोक अग्रवाल लम्बी बीमारी के बाद स्वस्थ हुए हैं, इसका प्रमाण यह आत्मीय, दिलचस्प संस्मरण है. निर्मल वर्मा ...
समालोचन साहित्य, विचार और कलाओं की हिंदी की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है. डिजिटल माध्यम में स्तरीय, विश्वसनीय, सुरुचिपूर्ण और नवोन्मेषी साहित्यिक पत्रिका की जरूरत को ध्यान में रखते हुए 'समालोचन' का प्रकाशन २०१० से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है. विषयों की विविधता और दृष्टियों की बहुलता ने इसे हमारे समय की सांस्कृतिक परिघटना में बदल दिया है.
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