प्रिय शाह, रंग अभी गीले हैं: अनिरुद्ध उमट
कुछ लेखक अधूरे प्रेम की तरह होते हैं, लौट-लौट कर आते हैं. आकर्षण की तीव्रता मंद नहीं पड़ती. ऐसे ही ...
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कुछ लेखक अधूरे प्रेम की तरह होते हैं, लौट-लौट कर आते हैं. आकर्षण की तीव्रता मंद नहीं पड़ती. ऐसे ही ...
प्रयोगधर्मी आख्यान- ‘नींद नहीं जाग नहीं’ के बाद कवि अनिरुद्ध उमट की क़िताब ‘वैदानुराग’ इधर प्रकाशित हुई है. उमट आत्मीय ...
‘मैं और मेरी कविताएँ’ स्तम्भ के अंतर्गत समकालीन महत्वपूर्ण कवियों की कविताएँ और वे ‘कविता क्यों लिखते हैं’ विषयक उनका ...
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