कोई है जो : सुधांशु गुप्त
देवी प्रसाद मिश्र हिंदी कहानी के लिए अब एक चुनौती हैं. ‘मनुष्य होने के संस्मरण’ के एक वर्ष पश्चात ही ...
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देवी प्रसाद मिश्र हिंदी कहानी के लिए अब एक चुनौती हैं. ‘मनुष्य होने के संस्मरण’ के एक वर्ष पश्चात ही ...
कविता की आंतरिकता में अभी भी लय की स्मृतियाँ सुरक्षित हैं. कभी-कभी कहीं मुखर हो जाती हैं. देवी प्रसाद मिश्र ...
फ़रवरी प्रेम का महीना है, यह बदलाव और सृजन का भी है. इस कविता में विडंबनाओं की जलती हुई सीढ़ियाँ ...
देवी प्रसाद मिश्र का पहला कविता संग्रह ‘प्रार्थना के शिल्प में नहीं’ 1989 में आया था. लगभग तीन दशकों बाद ...
देवी प्रसाद मिश्र हिंदी के विरल और विशिष्ट कवि हैं. कवि-कर्म के प्रति अंतिम सीमा तक प्रतिबद्ध हैं. उनकी कविताओं ...
समालोचन साहित्य, विचार और कलाओं की हिंदी की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है. डिजिटल माध्यम में स्तरीय, विश्वसनीय, सुरुचिपूर्ण और नवोन्मेषी साहित्यिक पत्रिका की जरूरत को ध्यान में रखते हुए 'समालोचन' का प्रकाशन २०१० से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है. विषयों की विविधता और दृष्टियों की बहुलता ने इसे हमारे समय की सांस्कृतिक परिघटना में बदल दिया है.
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