नारीवाद बनाम पितृसत्ता : रूबल
नारीवाद आधुनिक विश्व के कुछ महत्वपूर्ण विचारों में से एक है, यह जनांदोलन भी है और राजनीति भी. समानता, स्वतंत्रता ...
Home » नारीवाद
नारीवाद आधुनिक विश्व के कुछ महत्वपूर्ण विचारों में से एक है, यह जनांदोलन भी है और राजनीति भी. समानता, स्वतंत्रता ...
प्रो. रोहिणी अग्रवाल कई दशकों से स्त्रीवाद की सैद्धांतिकी और उसकी व्यावहारिक आलोचना के क्षेत्र में सक्रिय हैं. इस विषय ...
ब्रिटिश काल में बंगाल राष्ट्रवाद के उदय और सामाजिक-धार्मिक सुधारों का महत्वपूर्ण स्रोत था, उसका गहरा असर हिंदी प्रदेशों पर ...
आज प्रस्तुत है शमशेर बहादुर सिंह की हिंदी की ‘बड़ी’ प्रेम कविता ‘टूटी हुई, बिखरी हुई’ का स्त्रीवादी पाठ. सविता ...
समालोचन साहित्य, विचार और कलाओं की हिंदी की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है. डिजिटल माध्यम में स्तरीय, विश्वसनीय, सुरुचिपूर्ण और नवोन्मेषी साहित्यिक पत्रिका की जरूरत को ध्यान में रखते हुए 'समालोचन' का प्रकाशन २०१० से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है. विषयों की विविधता और दृष्टियों की बहुलता ने इसे हमारे समय की सांस्कृतिक परिघटना में बदल दिया है.
सर्वाधिकार सुरक्षित © 2010-2023 समालोचन | powered by zwantum