कीट्स का ‘पेरेण्टल डार्कनेस’ और मुक्तिबोध का ‘अँधेरे में’ : अनामिका
गजानन माधव मुक्तिबोध (1917-1964) की कालजयी कविता ‘अँधेरे में’ के अनेक पाठ हैं. उसे तरह-तरह से समझा गया है. कालजयी ...
Home » मुक्तिबोध
गजानन माधव मुक्तिबोध (1917-1964) की कालजयी कविता ‘अँधेरे में’ के अनेक पाठ हैं. उसे तरह-तरह से समझा गया है. कालजयी ...
नामवर सिंह जीते जी विवादों के केंद्र में रहे, ये विवाद अधिकतर वैचारिक होते थे और उनके लिखे-बोले पर आधारित ...
समालोचन पर ही प्रकाशित सदाशिव श्रोत्रिय के मुक्तिबोध की लम्बी कविता ‘लकड़ी का रावण’ के भाष्य को लेकर शोधार्थी अनूप ...
गजानन माधव मुक्तिबोध (१३ नवम्बर,१९१७ – ११ सितम्बर,१९६४) की लम्बी कविताओं में ‘ अँधेरे में’, ‘ब्रह्मराक्षस’ आदि की चर्चा होती ...
सदाशिव श्रोत्रिय ने ‘श्रेष्ठ काव्य के प्रति पाठकों की बढती अरुचि और घटती समझ को देखते हुए’ अपनी पसंद की ...
अनूप बाली ‘स्कूल ऑफ़ कल्चर एंड क्रिएटिव एक्सप्रेशन’ अम्बेडकर विश्वविद्यालय दिल्ली के शोध छात्र हैं. मुक्तिबोध के फैंटेसी के मनोविश्लेषण ...
रायपुर में पिछले दस वर्षो से अनवरत ‘मुक्तिबोध स्मृति व्याख्यान’ के अंतर्गत इस वर्ष ११ सितम्बर को व्याख्याता थे वरिष्ठ ...
स्मरण गजानन माधव मुक्तिबोध (१३ नवम्बर १९१७ ...
शिव किशोर तिवारी (१६ अप्रैल १९४७) का कविता की दुनिया में आगमन किसी घटना की तरह अचानक से हुआ है. ...
मुक्तिबोध फिर चर्चा में हैं. उनकी मृत्यु के बाद जो चर्चा चली थी उसमें उन्हें एक बड़े कवि के रूप ...
समालोचन साहित्य, विचार और कलाओं की हिंदी की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है. डिजिटल माध्यम में स्तरीय, विश्वसनीय, सुरुचिपूर्ण और नवोन्मेषी साहित्यिक पत्रिका की जरूरत को ध्यान में रखते हुए 'समालोचन' का प्रकाशन २०१० से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है. विषयों की विविधता और दृष्टियों की बहुलता ने इसे हमारे समय की सांस्कृतिक परिघटना में बदल दिया है.
सर्वाधिकार सुरक्षित © 2010-2023 समालोचन | powered by zwantum