स्वप्निल श्रीवास्तव की कविताएँ
हिंदी कविता कबीर की तरह खुली आंखों से सबकुछ देखती रहती है, उसे ऐश्वर्य की नींद नहीं चाहिए, वह बेचैन ...
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हिंदी कविता कबीर की तरह खुली आंखों से सबकुछ देखती रहती है, उसे ऐश्वर्य की नींद नहीं चाहिए, वह बेचैन ...
समालोचन पर नये वर्ष की शुरुआत कविताओं से करते हुए प्रस्तुत हैं- सुरेन्द्र प्रजापति. सुरेन्द्र प्रजापति गया जिले के ‘असनी’ ...
समालोचन साहित्य, विचार और कलाओं की हिंदी की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है. डिजिटल माध्यम में स्तरीय, विश्वसनीय, सुरुचिपूर्ण और नवोन्मेषी साहित्यिक पत्रिका की जरूरत को ध्यान में रखते हुए 'समालोचन' का प्रकाशन २०१० से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है. विषयों की विविधता और दृष्टियों की बहुलता ने इसे हमारे समय की सांस्कृतिक परिघटना में बदल दिया है.
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