ख़लील : तनुज सोलंकी
विश्वयुद्धों से कुछ सीखा नहीं गया. शताब्दी बीतते न बीतते, हम वहीं लौट आए हैं जहाँ से चले थे. युद्ध, ...
विश्वयुद्धों से कुछ सीखा नहीं गया. शताब्दी बीतते न बीतते, हम वहीं लौट आए हैं जहाँ से चले थे. युद्ध, ...
गोविन्द निषाद जी.बी. पन्त सामाजिक विज्ञान संस्थान, इलाहाबाद में शोधार्थी हैं. यह आलेख जाति की बनावट और उसके बुनावट में ...
प्रख्यात लेखिका और अनुवादक तेजी ग्रोवर के आत्मगल्प, जिसमें उन्हीं के अनुसार ‘घटनाएँ और किरदार कुछ हद तक काल्पनिक हैं, ...
यह मोहन राकेश (8 जनवरी, 1925 - 3 दिसंबर, 1972) का जन्म शताब्दी वर्ष है. उनके नाटकों के प्रदर्शन और ...
संतोष दीक्षित अभी कथाकार नहीं हुए थे. संयोग ऐसा बना कि उन्हें ‘पार’ फिल्म में गौतम घोष द्वारा एक छोटी-सी ...
मनोचिकित्सक और कवि विनय कुमार का कविता संग्रह ‘श्रेयसी’ इस वर्ष राजकमल प्रकाशन से प्रकाशित हुआ है. प्रख्यात संस्कृत विद्वान ...
अफ्रीकी संस्कृति, भाषा और पहचान को केंद्र में रखकर रची गई न्गुगी वा थ्योंगो की रचनाएँ उपनिवेशवाद, साम्राज्यवाद और सामाजिक ...
20वीं शताब्दी के महानतम लेखकों में से एक मार्सेल प्रूस्त अपने अंतिम वर्षों की रुग्णता के एकांत में केवल काग़ज़ ...
बाबुषा कोहली अपने उपन्यास ‘लौ’ से इधर चर्चा में हैं. वह ऐसे कुछ लेखकों में हैं जिन्होंने अपना पाठक वर्ग ...
पुरस्कारों की प्रतिष्ठा चयन में निहित होती है. कहना न होगा कि इसी बहाने कृति प्रकाश में आ जाती है. ...
समालोचन साहित्य, विचार और कलाओं की हिंदी की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है. डिजिटल माध्यम में स्तरीय, विश्वसनीय, सुरुचिपूर्ण और नवोन्मेषी साहित्यिक पत्रिका की जरूरत को ध्यान में रखते हुए 'समालोचन' का प्रकाशन २०१० से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है. विषयों की विविधता और दृष्टियों की बहुलता ने इसे हमारे समय की सांस्कृतिक परिघटना में बदल दिया है.
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