शून्यकाल अर्नेस्तो कार्देनाल अनुवाद: दिगम्बर |
जीरो आवर
जीरो आवर एंड अदर डॉक्यूमेंट्री पोयम्स निकारागुआ के जोशीले मार्क्सवादी पादरी अर्नेस्तो कार्देनाल की आठ लंबी दस्तावेजी कविताओं का संकलन है जिसका स्पेनिस से अंग्रेजी अनुवाद जोनाथन कोहेन और डोनाल्ड डी. वाल्श ने किया है. ये कवितायें सदियों से गरीबी, शोषण-उत्पीड़न और तानाशाही के साए में जी रही निकारागुआ और स्पेनिस अमरीका की जनता के दिल की आवाज़ और अपने युग का राजनीतिक वृतचित्र हैं.
एक चौथाई सदी के दौरान लिखी गयी, ज़ीरो आवर संकलन की कविताएँ नवउपनिवेशिक तानाशाही शासन के अंतर्गत आम जनता के अमानवीय शोषण और उनके प्रति क्रूर उदासीनता के ख़िलाफ़ निरंतर संघर्ष का एक महाकाव्यात्मक दस्तावेज प्रस्तुत करती हैं. यह विदेशी दखलंदाजी, दुरभिसंधि और निर्मम लूट के ख़िलाफ़ प्रतिरोध कविता का एक ज्वलन्त उदहारण है.
दिगम्बर
II शून्यकाल II अर्नेस्तो कार्देनाल |
मध्य अमेरिका की उष्णकटिबंधीय रातें,
चाँदनी में नहाये लगून और ज्वालामुखी
और राष्ट्रपति के महल से आती रोशनी,
बैरक और कर्फ्यू की मनहूस चेतावनी.
“अक्सर सिगरेट पीते समय
मैंने निर्णय लिया है कि एक आदमी को मरना चाहिए.”
यूबिको सिगरेट पीते हुए कहता है. …
शादी के गुलाबी केकनुमा अपने महल में
यूबिको का सिर ठंडा है. बाहर, लोगों को
फॉस्फोरस बमों से तितर-बितर किया गया.
सैन साल्वाडोर रात और जासूसी से बोझिल,
घरों और बोर्डिंग हाउसों में फुसफुसाहट
और पुलिस स्टेशनों में चीख़-पुकार.
कैरियास के महल पर लोगों ने पथराव किया.
उसके कार्यालय की एक खिड़की तोड़ दी गयी,
और पुलिस ने लोगों पर गोलीबारी की.
और चॉकलेट-केकनुमा महल से
मशीनगनों का निशाना बना मानागुआ
और स्टील हेलमेट का सड़कों पर गश्त.
चौकीदार! यह रात का कौन सा पहर है?
चौकीदार! यह रात का कौन सा पहर है?
होंडुरास के कैंपेसिनो अपना पैसा अपनी टोपी में रखते थे
जब कैम्पेसिनो अपना बीज बोते थे
और होंडुरासवासी खुद ही अपनी जमीन के मालिक थे.
जब पैसा था
और कोई विदेशी क़र्ज़ नहीं था
सौर न ही जे.पी. मॉर्गन एण्ड कम्पनी के लिए टैक्स.
और जब फ्रूट कम्पनी छोटे किसान के साथ होड़ नहीं कर रही थी.
लेकिन यूनाइटेड फ्रूट कम्पनी आ धमकी
अपनी सहायक कंपनियों- टेला रेलरोड कम्पनी
और ट्रूजिलो रेलरोड कम्पनी के साथ
जिसका गठजोड़ था कुयामेल फ्रूट कम्पनी
और वेकैरो ब्रदर्स एण्ड कम्पनी के साथ
जो बाद में स्टैंडर्ड फ्रूट एण्ड स्टीमशिप कम्पनी
स्टैंडर्ड फ्रूट एण्ड स्टीमशिप कॉर्पोरेशन बनी-
यानी यूनाइटेड फ्रूट कम्पनी
रियायतें हासिल करने के लिए अपनी क्रान्तियों सहित
और लाखों की छूट आयात शुल्क में
और निर्यात शुल्क में, पुरानी रियायतों में संशोधन
और नए शोषण के लिए अनुमोदन,
अनुबंधों का उल्लंघन, उल्लंघन
संविधान का…
और सभी शर्तें आरोपित होती हैं कम्पनी द्वारा
जब्ती की स्थिति में देनदारियों सहित
(देनदारियाँ राष्ट्र की, कम्पनी की नहीं)
और कम्पनी द्वारा बनाई गयी शर्तें
राष्ट्र को प्लान्टेशन की वापसी होगी
(जिसे राष्ट्र ने कम्पनी को मुफ्त दिया था)
99 साल के बाद…
“और अन्य सभी प्लान्टेशन जिसका मालिक
कोई अन्य व्यक्ति या कम्पनी या उद्यम हो
जो अनुबन्धकर्ता के आश्रित हो सकते हैं और जिनमें
अनुबन्धकर्ता का कोई भी हित हो या भविष्य में हो सकता हो
परिणामस्वरूप वह
पहले के नियम और शर्तों में शामिल होगा …”
(क्योंकि कम्पनी ने गद्य को भी भ्रष्ट कर दिया था.)
शर्त तो यह थी कि कम्पनी रेलमार्ग का निर्माण करेगी,
लेकिन कम्पनी इसका निर्माण नहीं कर रही थी,
क्योंकि होंडुरास में खच्चर रेलमार्ग से सस्ते थे,
और “एक गोंग्रेसमैन (सांसद) खच्चर से भी अधिक सस्ता था,”
जैसा कि ज़ेमुर्रे अक्सर कहा करता था,
हालाँकि उन्हें टैक्स में छूट का लाभ मिलता रहा
और कम्पनी का 175,000 एकड़ का अनुदान भी,
प्रत्येक मील रेल के लिए राष्ट्र को भुगतान करने के करार के साथ
जिसका उन्होंने निर्माण नहीं किया,
लेकिन उन्होंने राष्ट्र को कुछ भी भुगतान नहीं किया
भले ही उन्होंने एक भी मील रेल का निर्माण नहीं किया
(कैरियास तानाशाह है
जिसने सबसे अधिक मील लम्बी रेलमार्ग नहीं बनाया)
और आख़िरकार, वह घटिया रेलमार्ग
राष्ट्र के लिए किसी काम का नहीं था
क्योंकि यह दो प्लान्टेशन के बीच का रेलमार्ग था
ट्रुजिलो और तेगुसिगाल्पा शहरों के बीच नहीं.
उन्होंने गद्य को भ्रष्ट किया और उन्होंने संसद को भ्रष्ट किया.
केले को बागानों में सड़ने के लिए छोड़ दिया जाता,
या रेल की पटरियों के किनारे डब्बे में सड़ने के लिए
या ज्यादा पका हुआ काटा गया इसलिए जब वह गोदी पर आएगा
तो इसे नहीं लिया जायेगा या समुद्र में फेंक दिया जाएगा;
केले के घौद को पिचका हुआ, या बहुत पतला, या मुरझाया हुआ,
या हरा, या ज्यादा पका हुआ, या बीमारी लगा बताया जायेगा-
तो केला तबतक सस्ता नहीं होगा,
या फिर सस्ते भाव में केले की खरीद नहीं होगी
जब तक निकारागुआ के अटलांटिक तट पर भुखमरी नहीं होगी.
और किसानों को जेल में डाल दिया जाता है 30 सेंट पर न बेचने के लिए
और उनके केलों को संगीनों से चीर दिया जाता है
और मैक्सिकन ट्रेडर स्टीमशिप डूब जाती है अपने बजरों समेत
और गोलियों से भून दिया जाता है हड़ताल करने वालों को.
(और निकारागुआ के सांसदों को एक उद्यान पार्टी में आमंत्रित किया जाता है.)
लेकिन काले मजदूर के सात बच्चे हैं.
और तुम क्या कर सकते हो? तुम्हें खाना तो पड़ेगा ही,
और तुमको उसी दाम पर बेचना पड़ेगा जिसकी वे पेशकश करते हैं.
एक घौद का 24 सेंट.
जब ट्रॉपिकल रेडियो सब्सिडियरी बोस्टन को तार भेज रही थी-
“हम मानते हैं कि बोस्टन अपनी मंजूरी दे देगा उस भुगतान को
जो किया गया निकारागुआ की बहुमत पार्टी के
सांसदों को
उस बेइन्तहा मुनाफ़े के बदले जो उनकी वजह से मिली
कम्पनी को”
और बोस्टन से गैलवेस्टन को टेलीग्राफ के जरिये
और गैलवेस्टन से केबल और टेलीग्राफ के जरिये मेक्सिको को
और मेक्सिको से केबल के जरिये सैन जुआन डेल सुर को
और सैन जुआन डेल सुर से टेलीग्राफ के जरिये प्यूर्टो लिमोन को
और प्योर्टो लिमोन से डोंगी के मार्फ़त पहाड़ों तक
यूनाइटेड फ्रूट कम्पनी का आदेश आता है-
“यूनाइटेड अब और केले नहीं खरीदेगी.”
और प्यूर्टो लिमोन में मजदूरों को नौकरी से निकाल दिया जाता है.
और छोटे वर्कशॉप बन्द कर दिए जाते हैं.
कोई अपना क़र्ज़ नहीं चुका सकता.
और केले रेल गाड़ियों में सड़ रहे हैं.
और इसलिए केला सस्ता नहीं होगा
और इसलिए कि केले सस्ते हों,
19 सेंट प्रति घौद.
मज़दूरों को वेतन के बदले क़र्ज़ चुकाने की पर्ची मिलती है.
भुगतान के बजाय, क़र्ज़,
और प्लान्टेशन को त्याग दिया गया है, क्योंकि वे अब बेकार हैं,
और बेरोजगारों को कॉलोनियों में धकेल दिया जाता है.
और कोस्टा रिका में यूनाइटेड फ्रूट कम्पनी
अपनी सहायक कम्पनी कोस्टा रिका बनाना कम्पनी
और नोर्दर्न रेलवे कम्पनी और
इंटरनेशनल रेडियो टेलीग्राफ कम्पनी
और कोस्टा रिका सप्लाई कम्पनी के साथ मिलकर
एक अनाथ के ख़िलाफ़ अदालत में मुक़दमा लड़ रही है.
पटरी से उतरने के नुकसान की लागत 25 डालर है
(लेकिन ट्रैक की मरम्मत में अधिक लागत आएगी.)
और सांसद, खच्चरों से भी सस्ते, ज़ेमुरे अक्सर कहता था.
सैम ज़ेमुरे, तुर्क केला विक्रेता
फेरी लगाकर, अलबामा में, जिसने एक दिन न्यू ऑरलियन्स की यात्रा की
और गोदी पर युनाइटेड को समुद्र में केले फेंकते देखा
और उसने सिरका बनाने के लिए सारे फल खरीदने की पेशकश की,
उसने इसे खरीदा, और उसने इसे वहीं न्यू ऑरलियन्स में बेच दिया
और युनाइटेड को उसे होंडुरास में ज़मीन देनी पड़ी
ताकि वह न्यू ऑरलियन्स में अपना पुराना अनुबन्ध तोड़ दे,
और इस तरह सैम ज़ेमुरे को जोंडुरास में ब्रेसिडेंट्स भरती किया गया.
उसने ग्वाटेमाला और होंडुरास के बीच सीमा विवाद भड़काया
(जिसका मतलब था यूनाइटेड फ्रूट कम्पनी और उसकी कम्पनी के बीच विवाद)
यह घोषणा करते हुए कि होंडुरास (उसकी कम्पनी) को गंवाना नहीं चाहिए
”एक इंच भी जमीन विवादित इलाके में ही नहीं
बल्कि होंडुरास (उसकी कम्पनी) के किसी दूसरे इलाके में भी
जहाँ विवाद नहीं है…”
(जबकि यूनाइटेड होंडुरास के अधिकारों को पछाड़ रहा था
निकारागुआ लम्बर कम्पनी के साथ अपने मुक़दमे में)
जब तक मुक़दमा ख़त्म नहीं हो गया क्योंकि उसका यूनाइटेड में विलय हो गया
और बाद में उसने अपने सारे शेयर यूनाइटेड को बेच दिये
और बिक्री की आय से उसने यूनाइटेड में शेयर खरीदे
और शेयरों के साथ उसने बोस्टन के प्रेसिडेंट पद पर कब्ज़ा कर लिया
(इसके कर्मचारियों और होंडुरास के तमाम प्रेसिडेंट समेत)
और वह अब होंडुरास और ग्वाटेमाला दोनों का मालिक था
और वह बेकार जमीन पर मुक़दमे का अन्त था
जो अब ग्वाटेमाला या होंडुरास के लिए किसी काम का नहीं था.
एक निकारागुवासी था विदेश में
निक्विनोहोमो का रहनेवाला एक “नीका”.
काम करता था टैम्पिको की हुआस्तेका पेट्रोलियम कम्पनी में,
और उसने पाँच हजार डॉलर बचाये थे.
और वह कोई सैनिक या राजनेता नहीं था.
और उसने पाँच हजार में से तीन हजार डालर निकाले
और चल पड़ा निकारागुआ से मोनकाडा की क्रान्ति में शामिल होने.
लेकिन जब तक वह पहुँचा, मोनकाडा हथियार डाल रहा था.
उसने पीपुल्स हिल में तीन दिन मुसीबत में गुज़ारे
मुसीबत में कि उसे मालूम नहीं कि क्या करें.
और वह कोई राजनेता या सैनिक नहीं था.
वह सोचता रहा, सोचता रहा और आख़िरकार अपनेआप से बोला-
“किसी न किसी को तो इसे करना ही होगा.”
और फिर उसने अपना पहला ऐलान जारी किया.
जेनरल मोनकाडा ने अमरीकियों को एक तार भेजा-
सिर्फ एक को छोड़कर हमारे सभी लोग आत्मसमर्पण के लिए सहमत हैं.
मिस्टर स्टिमसन ने उसे एक अल्टीमेटम भेजा.
“लोग कुछ न करने के लिए आपको धन्यवाद देते हैं…”
यह लड़ाकों के लिए मोंकाडा का संदेश है.
वह एल चिपोते में अपने लोगों को इकट्ठा करता है-
यू.एस.ए. के विरुद्ध 29 आदमी
एक को छोड़कर.
(“निकिनोहोमो से एक…”)
और उसको मिलाकर, 30!
“जो कोई भी उद्धारकर्ता बनना चाहता है उसे सूली पर चढ़ना पड़ता है,”
एक अन्य संदेश में मोनकाडा कहते हैं.
क्योंकि मोनकाडा और सैन्दिनो पड़ोसी थे;
मासाटेपे से मोनकाडा और निक्विनोहोमो से सैन्दिनो.
और सैन्दिनो ने मोनकाडा को उत्तर दिया-
“मृत्यु बिल्कुल महत्वहीन है.”
और स्टिमसन से- “मुझे अपने लोगों के साहस पर भरोसा है…”
और स्टिम्सन को, पहली हार के बाद-
“जो भी यह सोचता है कि हम हार गये हैं
वह मेरे आदमियों को नहीं जानता.”
और वह कोई सैनिक या राजनेता नहीं था.
और उसके आदमी-
उनमें से कई तो बच्चे थे,
ताड़ के पत्ते की टोपी और सैंडल पहने
या नंगे पाँव, कुल्हाड़ी लिए, सफ़ेद दाढ़ी वाले बूढ़ों के साथ
बारह साल के बच्चे अपनी राइफलें लिए,
गोरे, रहस्यमय मूलनिवासी इन्डियन, और भूरे लोग,
और गांठदार बालों वाले काले,
फटी हुई पैंट और खाने के सामान के बिना,
उनकी पैंट तार-तार हो गयी,
मूलनिवासी पंक्ति में झंडे को सामने रखकर परेड करते-
पेड़ की एक दाल पर फहराया गया एक चिथड़ा-
बारिश के नीचे चुप, और थके हुए, उनके चप्पल नगर के गड्ढों में फिसल रहे थे
सैन्दिनो जिंदाबाद!
और वे पहाड़ से उतरे और फिर चढ़ गये पहाड़ के ऊपर,
आगे झंडा लहराते, मार्च करते हुए.
नंगे पाँव या चप्पल पहने सेना जिसके पास लगभग कोई हथियार नहीं था
जिसमें न तो अनुशासन था और न ही अफ़रातफ़री
जहाँ न तो अधिकारियों और न ही सैनिकों को कोई वेतन मिलता
लेकिन किसी को भी लड़ने के लिए मजबूर नहीं किया गया-
और उनके ओहदे अलग-अलग थे लेकिन वे सभी बराबर थे,
सभी को एक जैसा खाना और कपड़े,
सबके लिए समान राशन.
और अफसरों के पास कोई सहायक नहीं था-
सेना से ज़्यादा एक समुदाय की तरह
और सैन्य अनुशासन से ज़्यादा प्रेम के द्वारा एकजुट
फिर भी किसी सेना में इससे ज़्यादा एकता कभी नहीं रही होगी.
एक प्रसन्न सेना, गिटार और आलिंगन से युक्त.
एक प्रेम गीत इसका युद्ध गान था-
“अगर एडेलिटा किसी दूसरे आदमी के साथ चली गयी
तो मैं ज़मीन और समुद्र के रास्ते उसका पीछा करूँगा.
जैसे समुद्र के रास्ते बख़्तरबन्द क्रूजर से
और जैसे ज़मीन के रास्ते बख़्तरबन्द ट्रेन से.”
“हम सभी एक दूसरे को गले लगाकर बधाई देते हैं,”
सान्दिनों कहा करते थे और कोई भी उनकी तरह गले नहीं मिलता था.
और जब भी वे अपने बारे में बात करते थे तो वे कहते थे “सभी”-
“हम सभी.” “हम सभी बराबर हैं.”
“यहाँ हम सभी भाई हैं,” उमानज़ोर कहा करते थे.
और वे सभी तब तक एकजुट रहे जब तक कि वे सभी मारे नहीं गये.
हवाई जहाजों के ख़िलाफ़ तृणमूल सैनिकों की लड़ाई,
भोजन, कपड़े और हथियारों के अलावा कोई वेतन नहीं,
और प्रत्येक गोली को ऐसे जमा करते जैसे वह सोने से बनी हो;
पाइप से बने मोर्टार के साथ
और पत्थरों और काँच के टुकड़ों से बने बमों के साथ,
खादानों से लाये गये डायनामाइट से भरे और खाल में लिपटे हुए;
सार्डिन के खाली डिब्बों से बने हथगोले के साथ.
“वह एक डाकू है,” सोमोज़ा कहा करता , “एक डकैत.”
जबकि सैन्दिनो के पास कभी कोई सम्पत्ति नहीं थी.
इसका मतलब है- यह सोमोज़ा ही था जो सैन्दिनो को डाकू कहता था.
जबकि सैन्दिनो के पास कभी कोई सम्पत्ति नहीं थी.
और शाही भोज में मोनकाडा ने उसे डाकू कहा
और पहाड़ों में सैन्दिनो के पास नमक नहीं था
और उसके आदमी पहाड़ों में ठंड से काँप रहे थे,
और उसने अपने ससुर का घर गिरवी रख दिया,
निकारागुआ को मुक्त कराने के लिए
जबकि राष्ट्रपति भवन में बैठे मोनकाडा ने
निकारागुआ को गिरवी रख दिया था.
“बेशक वह डाकू नहीं है,” अमरीकी मंत्री ने हँसते हुए कहा.
“लेकिन हम तकनीकी तौर पर उसे डाकू कहते हैं.”
दूर चमकती वह रोशनी क्या है? क्या यह कोई तारा है?
यह सैन्दिनो की रोशनी है जो काले पहाड़ में चमक रही है.
वे वहाँ हैं, वह और उसके आदमी, लाल अलाव के पास
बंदूकें लटकाए और कंबल में लिपटे,
धूम्रपान कर रहे हैं या उत्तर का कोई उदास गीत गा रहे हैं,
लोग गतिहीन हैं और उनकी परछाइयाँ गतिमान हैं.
उसका चेहरा भूत की तरह धुंधला था,
उसके चिंतन और विचार के कारण एकान्तिक
और अभियानों, हवा और बारिश के कारण गंभीर.
और सैन्दिनो का चेहरा किसी सैनिक का नहीं
बल्कि एक कवि का था जो जरूरत के चलते सैनिक बन गया था,
और एक बेचैन व्यक्ति का जो शांति से नियंत्रित था.
उसके चेहरे पर दो चेहरे थे-
एक चेहरा जो उदास और फिर भी दीप्तिमान था;
पहाड़ी शाम की तरह उदास और पहाड़ी सुबह की तरह हर्षित.
रोशनी में उसका चेहरा फिर से जवान हो गया,
और छाया में वह थकान से भर गया.
और सैन्दिनो बुद्धिमान या सुसंस्कृत नहीं था.
लेकिन वह पहाड़ी बुद्धि वाला बन गया.
“पहाड़ में सब कुछ एक शिक्षक है,” सैन्दिनो कहा करता था
(स्कूलों से भरेपूरे सेगोविया का सपना देखते हुए)
और उसे सभी पहाड़ों से संदेश मिलते थे
और ऐसा लगता था जैसे हर खोली उसके लिए जासूसी कर रहा हो
(जहाँ विदेशी भाई की तरह थे,
सभी विदेशी, यहाँ तक कि अमरीकी भी)
“यांकी भी…
और- “भगवान सेगोवियों के माध्यम से बोलेंगे… वह कहेगा.
“मैंने कभी नहीं सोचा था कि इस युद्ध से जीवित बच निकलूंगा
लेकिन मैंने हमेशा माना कि यह एक ज़रूरी युद्ध था…”
और- “क्या उन्हें लगता है कि मैं एक बड़ा भूस्वामी बन जाऊंगा?
सेगोविया पर्वतों में आधी रात हो चुकी है.
और वह रोशनी सैन्दिनो है! एक गीत से भरी रोशनी….
“अगर एडेलिटा किसी दूसरे आदमी के साथ चली गयी.”
लेकिन राष्ट्रों की अपनी नियति होती है.
और सैन्दिनो कभी राष्ट्रपति नहीं बने.
सैन्दिनो का हत्यारा ही राष्ट्रपति बना
और वह 20 साल तक राष्ट्रपति रहा!
“अगर एडेलिटा किसी दूसरे आदमी के साथ चली गयी
तो मैं ज़मीन और समुद्र के रास्ते उसका पीछा करूँगा.”
युद्ध विराम पर हस्ताक्षर हो गये.
उन्होंने हथियारों को गाड़ियों में लाद दिया.
सन की रस्सी से बंधे सॉर्ट गन, जंग लगी राइफलें
कुछ पुरानी मशीन गन.
और गाड़ियाँ पहाड़ों से नीचे उतरीं.
“अगर समुद्र से तो बख्तरबन्द क्रूजर से
और अगर ज़मीन से तो बख्तरबन्द ट्रेन से.”
अमरीकी मंत्री (मिस्टर लेन) द्वारा विदेश मंत्री को एक टेलीग्राम,
14 फरवरी 1934 को शाम 6:05 बजे मानागुआ से भेजा गया
और 8:50 बजे वाशिंगटन में प्राप्त हुआ.
“आधिकारिक सूत्रों से सूचना मिली है
कि विमान विविली में उतर नहीं सका
और इसलिए सैन्दिनो के आगमन में देरी हो रही है.
अमरीकी मंत्री (मिस्टर लेन) द्वारा 16 फरवरी को
विदेश मंत्री को भेजा गया टेलीग्राम जिसमें
सैन्दिनो के मानागुआ पहुँचने की घोषणा की गयी थी,
नहीं छपा
वह राज्य विभाग के ज्ञापन में छपा नहीं.
जैसे ऊदबिलाव झाड़ियों से निकलकर आ जाता है
राजमार्ग पर और कुत्तों से घिरा रहता है
और शिकारियों के सामने खड़ा रहता है क्योंकि
उसे पता है कि उसके पास जाने के लिए कोई जगह नहीं है…
“मैंने सैन्दिनो से आधे घंटे तक बात की,”
सोमोजा ने अमरीकी मंत्री से कहा,
“लेकिन मैं आपको यह नहीं बता सकता
कि उन्होंने किस बारे में बात की, क्योंकि
मुझे नहीं पता कि उन्होंने किस बारे में बात की.”
“और इसलिए, आप देखिए, मैं कभी कोई सम्पत्ति नहीं रखूँगा”…
और “यह अ-संवै-धा-निक है,” सैन्दिनो कहते थे.
“नेशनल गार्ड असंवैधानिक है.”
“एक अपमान!” सोमोजा ने अमरीकी मंत्री से
21 फरवरी को शाम 6:00 बजे कहा.
“एक अपमान! मैं सैन्दिनो को रोकना चाहता हूँ.”
चार कैदी गड्ढा खोद रहे हैं.
“कौन मरा है?” एक कैदी ने पूछा
“कोई नहीं,” गार्ड ने कहा.
“तो गड्ढा किस लिए?”
“इससे तुम्हारा कोई लेना-देना नहीं है,”
गार्ड ने कहा, “खुदाई करते रहो.”
अमरीकी मंत्री मोनकाडा के साथ भोजन कर रहा है.
“आप कॉफ़ी लेंगे, सर?”
मोनकाडा बैठा खिड़की से बाहर देख रहा है.
“आप कॉफ़ी लेंगे, सर?
बहुत अच्छी कॉफ़ी है, सर.”
“क्या?” मोनकाडा खिड़की से ध्यान हटा
नौकर की ओर देखा- “अरे हाँ, मैं कॉफ़ी लूँगा.”
और वह हँसा, “बिलकुल.”
एक बैरक में पाँच आदमी हैं एक बन्द कमरे में
जिसके दरवाज़ों और खिड़कियों पर पहरेदार हैं.
इनमें से एक आदमी सिर्फ़ एक हाथ वाला है.
मेडलधारी थुलथुल अधिकारी अन्दर आता है और उनसे कहता है- “हाँ.”
उस रात एक और आदमी खाना खाने जा रहा है राष्ट्रपति के साथ
(वही आदमी जिसके लिए वे गड्ढा खोद रहे थे)
और वह अपने दोस्तों से कहता है- “चलो चलते हैं. समय हो गया.”
और वे निकारागुआ के राष्ट्रपति के साथ खाना खाने चले जाते हैं.
तभी कार रुकी और एक गार्ड ने उनसे कहा-
“बाहर निकलो.” वे तीनों बाहर निकले,
और एक हाथ वाला आदमी चिल्लाया- “फायर!”
“मैं एक संगीत कार्यक्रम में था,” सोमोज़ा ने कहा.
और यह सच था, वह एक संगीत कार्यक्रम में गया था
या किसी भोज में या किसी नर्तकी का नाच देखने
या कोई और बेहूदी हरकत.
और उस रात 10 बजे सोमोज़ा डर गया.
अचानक वहाँ फ़ोन की घंटी बजी.
“सैन्दिनों फ़ोन पर है!”
और वह डर गया. उसके एक दोस्त ने कहा-
“बेवकूफ़ मत बनो, कमबख्त तुम मूर्ख हो!”
सोमोज़ा ने कहा कि फ़ोन का जवाब न दे.
नर्तकी हत्यारे के आगे नाचती रही.
और वहाँ अँधेरे में फ़ोन बजता रहा, बजता रहा.
फ्लड लैंप की रोशनी में
चार गार्ड एक गड्ढा भर रहे हैं.
फ़रवरी के चाँद की रोशनी में.
यह वह समय है जब चोंटेल्स में मकई का सरताज
मूलनिवासी छोटी लड़कियों को लाता है
मकई का दाना निकालने के लिए, और
चुइंगम-विक्रेता, लकड़ी-विक्रेता और जड़-विक्रेता आते हैं,
केले के बाग अभी भी चाँदनी में चमक रहे होते हैं,
लोमड़ी और शहद भालू की चीख़और उल्लू की आवाज़ के बीच.
पाका चूहा और अगौटी खरहा अपने बिलों से बाहर आते हैं
और किलनी चिड़िया और कैडेजो अपने बिलों में छिप जाते हैं.
रोअन्तु बन्दर नदी के किनारे रोता हुआ जाता है-
“क्या तुमने उसे खोज लिया?” “नहीं!”
“क्या तुमने उसे खोज लिया?” “नहीं!”
एक पक्षी चहचहाता है पेड़ की चरमराहट की तरह,
फिर खड्ड शांत हो जाता है जैसे कि कुछ सुन रहा हो,
और अचानक एक चीख़सुनाई देती है…
पक्षी वही उदास शब्द बोलता है, वही उदास शब्द.
खेत मजदूर अपनी गायों को चराना शुरू करते हैं-
टू-टू-टू; टू-टू-टू-टू; टू-टू-टू-टू;
नाविक अपनी नावों के पाल फहराते हैं;
सैन राफेल डेल नॉर्टे में टेलीग्राफ क्लर्क तार देता है-
सुप्रभात सैन राफेल डेल नॉर्टे में सब ठीकठाक है
और जुइगाल्पा का टेलीग्राफ क्लर्क- जुइगाल्पा में सब ठीक है.
और टूका स्क्वास (मूलनिवासी औरतें) हिडन नदी से नीचे आती रहती हैं
बत्तखें क्वैक-क्वैक-क्वैक करती हैं, और उनकी गूँज,
गूँज, जबकि टगबोट टूका स्क्वास को लेकर
नदी की हरी चमकीली सतह पर रेंगती हुई जाती है
अटलांटिक की ओर …
और इस बीच राष्ट्रपति भवन के ड्राइंग रूम में
और जेल के प्रांगणों में और बैरकों में
और अमरीकी दूतावास में और पुलिस स्टेशन में
उस रात पहरा देने वालों का एक दूसरे से भुतहे भोर में सामना हुआ
हाथ और चेहरे ऐसे मानो खून से सने हों.
“मैंने ऐसा किया.” सोमोजा ने बाद में कहा,
“मैंने निकारागुआ की भलाई के लिए ऐसा किया.”
और जब वे उसे फांसी देने जा रहे थे, तो विलियम वॉकर ने कहा-
“निकारागुआ का राष्ट्रपति निकारागुआ निवासी है.”
अप्रैल के महीने में, निकारागुआ में खेत सूखे हैं.
यह झाड़ियाँ जलाने का महीना है,
गर्मी का, और अंगारों से ढके चरागाहों का,
कोयले के रंग की पहाड़ियों का;
गर्म हवाओं का, और हवा में जली हुई गंध का,
और धुएँ से नीले हो चुके खेतों का,
और पेड़ों को उखाड़ रहे ट्रैक्टरों के धूल के गुबार का;
नदियों के तल सड़कों की तरह सूखे हुए
और जड़ों की तरह नंगी शाखाएँ;
धुँधला और रक्त-लाल सूरज
और सूरज की तरह विशाल और लाल चाँद का
और रात में दूर जलती झाड़ियों की सितारों जैसी आग का.
मई में पहली बारिश होती है.
कोमल घास राख से दुबारा जन्म लेती है.
कीचड़ से सने ट्रैक्टर धरती को जोतते हैं.
सड़कें तितलियों और कीचड़ से भर जाती हैं,
और रातें ठंडी और कीड़ों से भरी होती हैं,
और पूरी रात बारिश होती है.
मई में मानागुआ की सड़कों पर लाल-लाल मालिन्चे खिलते हैं.
लेकिन निकारागुआ में अप्रैल मौत का महीना है.
उन्होंने अप्रैल में उन्हें मार डाला था.
मैं अप्रैल के विद्रोह में उनके साथ था
और मैंने राइजिंग मशीनगन चलाना सीखा था.
और एडोल्फो बाएज़ बोन मेरा दोस्त था-
उन्होंने उसका शिकार किया हवाई जहाज़ों से,
ट्रकों से, फ्लडलाइट्स से, आंसू गैस के गोलों से,
रेडियो, कुत्तों और पुलिस के जरिये,
और मुझे राष्ट्रपति भवन के ऊपर लाल बादल याद हैं,
जैसे खून से लाल रुई के फाहे,
और राष्ट्रपति भवन के ऊपर लाल चाँद.
भूमिगत रेडियो कहता रहा कि वह जीवित है.
लोगों को विश्वास नहीं हुआ कि वह मर गया है.
(और वह मरा नहीं है.)
क्योंकि कभी-कभी ही कोई आदमी किसी भूमि पर जन्म लेता है
और यह वही भूमि है.
और उस भूमि में जिस आदमी को दफनाया जाता है
यह वही आदमी है.
और जो लोग बाद में उस भूमि पर जन्म लेते हैं
वे यही आदमी होते हैं.
और एडोल्फो बैक्स बोन यही आदमी था.
“अगर वे मुझसे मेरी क़िस्मत चुनने के लिए कहें”
(बेज़ बोन ने तीन दिन पहले मुझसे कहा था)
“सन्दिनो की तरह मारे जाने या
सन्दिनो के हत्यारे की तरह राष्ट्रपति बनने
के बीच चुनने के लिए
तो मैं सन्दिनो की क़िस्मत चुनूँगा.”
और उसने अपनी क़िस्मत चुन ली.
गौरव वह नहीं जो इतिहास की किताबें सिखाती हैं-
यह किसी मैदान में गिद्धों का झुंड और असह्य दुर्गन्ध है.
लेकिन जब कोई वीर नायक मरता है
तो वह मरता नहीं है-
क्योंकि वह नायक एक राष्ट्र में
दुबारा जन्म लेता है.
इसके बाद यू.एस.ए. ने सोमोज़ा को और हथियार भेजे;
हथियारों को पहुँचने में लगभग आधी सुबह लग गयी;
हथियारों की पेटी से लदे ट्रक के ट्रक
सभी पर मेड इन यू.एस.ए. लिखा हुआ,
हथियार ज़्यादा से ज्यादा कैदियों को पकड़ने, किताबों की तलाशी लेने,
जुआन पोटोस्मे से पाँच पिसो चुराने के लिए थे.
मैंने उन हथियारों को रूजवेल्ट एवेन्यू जाते देखा.
और सड़कों पर चुपचाप खड़े लोग उन्हें जाते हुए देख रहे थे-
दुबली-पतली, नंगे पाँव वाली, साइकिल वाली.
काली, फूले हुए होंठों वाली, पीले कपड़े पहने लड़की
लम्बे, गोरे, गंजे, बड़ी मूंछों वाले लोग,
छोटी नाक वाले, सीधे बाल वाले, घुंघराले बाल वाले,
दुबले-पतले लोग,
और उन सभी लोगों के चेहरे
एक मृत पूर्व लेफ्टिनेंट के चेहरे थे.
मम्बो संगीत मानागुआ तक आया करता था.
उसकी आँखें शार्क की आँखों की तरह लाल और धुंधली थीं
लेकिन एक ऐसा शार्क जिसके पास अंगरक्षक और हथियार थे
(निकारागुआ निवासी शार्क)
सोमोज़ा नाच रहा था मम्बो की धुन पर
मम्बो मम्बो
मजेदार मम्बो
जब वे उन्हें मार रहे थे.
और उसका बेटा टैचिटो सोमोजा राष्ट्रपति भवन जाता है
खून से सनी कमीज बदलकर साफ़ कमीज पहनने के लिए.
खून और मिर्च से दागदार.
जेल के कुत्ते रहम खाकर भौंकते हैं.
बैरक के पास रहने वाले लोग चीख़ें सुनते हैं.
सबसे पहले आधी रात को एक चीख़सुनाई दी,
और फिर और भी चीख़ें सुनाई देने लगीं
और फिर सन्नाटा छा गया… फिर एक गोलाबारी
और एक गोली दागने की आवाज़. उसके बाद फिर सन्नाटा,
और एक एम्बुलेंस.
और जेल में कुत्ते फिर से भौंकने लगे हैं!
आपके पीछे लोहे के दरवाज़े के बन्द होने की आवाज़
और फिर सवाल शुरू होते हैं
और आरोप, साजिश का आरोप
और क़बूलनामा, और फिर मतिभ्रम,
आपके सामने स्पॉटलाइट की तरह चमकती आपकी पत्नी की तस्वीर
और चीख-पुकार और शोर और ख़ामोशी से
भरी रातें, कब्र जैसा सन्नाटा,
और फिर वही सवाल, वही सवाल,
और उसी शोर का दोहराव और आपकी आँखों में स्पॉटलाइट
और फिर उसके बाद के लम्बे महीने.
ओह, आज रात अपने बिस्तर पर सो पाने के लिए
बिस्तर से खींचे जाने और घर से बाहर ले जाए जाने से डरे बिना,
रात में दरवाज़े पर दस्तक या घंटी बजने के डर के बिना!
रात में गोलियों की आवाज़ आती है,
या ऐसा लगता है कि गोलियाँ चल रही हैं.
भारी ट्रक गुजरते हैं, रुकते हैं, और आगे बढ़ते हैं.
आपने उनकी आवाज़ें सुनी हैं.
यह उस कोने की बात है. वे पहरेदार बदल रहे होंगे.
तुमने उनकी हँसी और उनके हथियारों की आवाज़ सुनी होगी.
सड़क के उस पार दर्ज़ी ने अपनी बत्ती जला दी है.
और ऐसा लग रहा है जैसे उन्होंने वहाँ दस्तक दी हो. या दर्ज़ी के यहाँ.
शायद आज रात उनकी फ़ेहरिस्त में तुम हो!
और रात गुजरती रहती है. और अभी बहुत रात बाकी है.
और दिन सिर्फ़ धूप वाली रात होगी.
चिलचिलाती धूप में रात की शांति.
अमरीकी मंत्री मिस्टर व्हेलन
राष्ट्रपति भवन में आयोजित पार्टी में शामिल हुआ.
हवेली की रोशनी पूरे मानागुआ में देखी जा सकती है.
पार्टी का संगीत जेल की कोठरियों तक भी पहुँचता है
मार्शल लॉ के अधीन मानागुआ की धीमी हवा में.
अपनी कोठरियों में बन्द कैदी किसी तरह संगीत सुन लेते हैं
कैदियों को बिजली के झटके लगने की चीख़ों के बीच.
हवेली में मिस्टर व्हेलन कहता है-
“शानदार पार्टी!”
जैसा कि कमीने रूजवेल्ट ने सुमनर वेल्स से कहा था-
“सोमोज़ा एक कमीना है
लेकिन वह हमारा है.”
विदेशियों का गुलाम
और अपने लोगों के लिए तानाशाह
दख़्लंदाज़ी करके थोपा गया
और बगैर दख़्लंदाज़ी सत्ता में बनाए रखा गया
सोमोज़ा हमेशा के लिए
जासूस दिन में बाहर निकलते हैं
एजेंट रात में बाहर निकलते हैं
और रात में गिरफ़्तारी होती है-
वे लोग जेल में बन्द हैं
बस में बात करने
या ख़ुशी से चिल्लाने
या मजाक करने की वजह से.
“महामहिम राष्ट्रपति के ख़िलाफ़ बोलने का आरोप..”
और वे जिनका फैसला मेंढक जैसे चेहरे वाले एक जज ने किया
या कुत्ते जैसे चेहरे वाले गार्ड ने जिनका कोर्ट मार्शल किया;
और वे जिन्हें पेशाब पीने और टट्टी खाने के लिए मजबूर किया गया
(जब आप सभी को संविधान मिल जाए, तो उन्हें याद रखें)
वे लोग जिनके मुँह में संगीन और आँख में सुई होती है.
बिजली के झटके और आँखों में स्पॉटलाइट.
“वह एक कमीना है, मिस्टर वेल्स, लेकिन वह हमारा है.”
और ग्वाटेमाला में, कोस्टा रिका में, मेक्सिको में,
निर्वासित लोग रात में चीखते हुए जागते हैं,
सपने देखते हैं कि उन्हें फिर से “छोटी मशीनगन” मिल रही है,
या कि वे एक बार फिर बंधे हुए हैं,
टैचिटो को सुई लेकर अपने पास आते हुए देखते हैं.
और आप जानते हैं कि वह देखने में अच्छा था,
(एक कैम्पेसिनो ने कहा).
“हाँ, वह वही था. और अच्छा दिखने वाला, आप जानते हैं…
गोरी चमड़ी, छोटी आस्तीन वाली उसकी छोटी पीली शर्ट.
अच्छा दिखने वाला हरामी.”
जब निकारागुआ में रात होती है तो राष्ट्रपति भवन
परछाइयों से भर जाता है. और चेहरे दिखाई देते हैं.
अंधेरे में चेहरे.
खून से लथपथ चेहरे.
एडोल्फो बेज़ बोन; पाब्लो लील बिना जीभ के;
मेरे सहपाठी लुइस गबुआर्डी जिसे उन्होंने जिंदा जला दिया
और वह सोमोजा मुर्दाबाद चिल्लाते हुए मर गया!
सोलह वर्षीय टेलीग्राफ क्लर्क का चेहरा
(हमें उसका नाम भी नहीं मालूम)
जिसने रात में गुप्त संदेश भेजे कोस्टा रिका को,
रात भर काँपते हुए टेलीग्राम, ताचो के अंधेरे निकारागुआ से
(और उस लड़के का इतिहास की किताबों में कहीं नाम नहीं होगा)
और वह पकड़ा गया, और वह ताचिटो की और देखते हुए मर गया;
उसका चेहरा अभी भी उसे देख रहा है. वह बच्चा
जिसे उन्होंने रात में पोस्टर चिपकाते हुए पकड़ा
सोमोजा एक चोर है
और कुछ हँसते हुए पहरेदार उसे जंगल में खींच ले जाते हैं
और बहुत सी दूसरी परछाइयाँ, बहुत सी दूसरी परछाइयाँ;
विलविली में गिद्धों के झुंड की परछाइयाँ;
एस्ट्राडा की परछाई; उमानज़ोर की परछाई;
सुकरात सन्दिनो की परछाई;
और महान परछाई, महान अपराध की परछाई,
ऑगस्टो सेसर सन्दिनो की परछाई .
मानागुआ में हर रात राष्ट्रपति भवन
परछाइयाँ से भर जाता है.
लेकिन वीर नायक तब पैदा होता है जब वह मर जाता है
और हरी घास राख से दुबारा जन्म लेती है.
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अर्नेस्तो कार्देनाल अर्नेस्तो कार्देनाल (जन्म 20 जनवरी, 1925, ग्रेनेडा, निकारागुआ – मृत्यु 1 मार्च, 2020, मानागुआ, निकारागुआ) निकारागुआ के एक क्रांतिकारी कवि और रोमन कैथोलिक पादरी थे. उन्होंने पहले निकारागुआ के जेसुइट स्कूलों में, फिर मैक्सिको और कोलंबिया विश्वविद्यालय में शिक्षा प्राप्त की. धार्मिक रूपांतरण से गुजरने के बाद, 1957 में उन्होंने केंटकी, मैक्सिको और कोलंबिया में धर्मशास्त्र का अध्ययन किया और उसके बाद, 1965 में निकारागुआ में पादरी नियुक्त हुए. एक राजनीतिक कार्यकर्ता और सृजनशील चिंतक के रूप में, कार्देनाल ने सान्दिनिस्ता छापामारों के साथ मजबूत संबंध बनाए रखा, और साथ ही निकारागुआ के एक द्वीप पर अवर लेडी ऑफ़ सोलेंटिनाम की अपनी इसाई बस्ती में ईसाई धर्म प्रचारक के रूप में, मुक्ति धर्मशास्त्र (रिवोल्यूशन थियोलोजी) को व्यवहार में उतारते रहे. 1977 के अंत में, बढ़ती नागरिक हिंसा के बीच, वे निकारागुआ से भागकर पड़ोसी देश कोस्टा रिका चले गए, जहाँ उन्होंने क्रांतिकारी आंदोलन की ओर से अपने प्रयास जारी रखे. कार्देनाल ने सान्दिनिस्ता क्रांति में सक्रिय रूप से भाग लिया, और जुलाई 1979 में अनास्तासियो सोमोज़ा की तानाशाही के अंतिम पतन के बाद, वे अपने देश निकारागुआ लौट आए और नई सरकार में संस्कृति मंत्री बने. इस पद पर उन्होंने कविता और रंगमंच की लोकप्रिय कार्यशालाओं का आयोजन किया और सान्दिनिस्ता के राजनीतिक विचारों को प्रचार-प्रसार किया. 1985 में पोप जॉन पॉल द्वितीय ने मार्क्सवाद-प्रभावित सान्दिनिस्ता सरकार में उनकी भागीदारी और, जाहिरा तौर पर, मुक्ति धर्मशास्त्र के उनके समर्थन के लिए कार्देनाल और कई अन्य पादरियों को निलंबित कर दिया. 1994 में कार्देनाल ने सान्दिनिस्ता फ्रंट से इस्तीफा दे दिया. आखिरकार 2019 में पोप फ्रांसिस ने बीमार कार्देनाल के ख़िलाफ़़ सभी प्रतिबंधों को हटा दिया, प्रभावी रूप से उन्हें एक सक्रिय पादरी के रूप में बहाल कर दिया. एपिग्रामस (1961) में संकलित उनकी शुरुआती कविताएँ निकारागुआ में सोमोज़ा शासन की अनर्थकारी हिंसा की निंदा करती हैं, जबकि व्यंग्य की बेहतरीन भावना के साथ लिखी गई कुछ प्रेम कविताएँ हैं. बाद की रचनाओं में कार्देनाल ने एक अलागावग्रस्त दुनिया के प्रतीक के रूप में सरल वाक्यांशों और सोदेश्य नारों का उपयोग करना शुरू कर दिया. साल्मोस (1964; संघर्ष और मुक्ति के सुविचार) की कविताएँ डेविड के बाइबिल के सुसमाचारों का कार्देनाल द्वारा पुनर्लेखन का संकलन हैं जिनमें आधुनिक समय की बुराइयों की आलोचना की गयी है. ये कविताएँ, उनकी कई अन्य कविताओं की तरह, उनके क्रांतिकारी राजनीतिक उत्साह और उनके धार्मिक विश्वास के बीच अंतरसंबंध को व्यक्त करती हैं. ओरासिओन पोर मर्लिन मुनरो, वाई ओट्रोस पोयमास (1965; प्रेयर फॉर मर्लिन मुनरो, एंड अदर पोयम्स) में, पहले के भविष्यसूचक स्वर को समकालीन घटनाओं से जोड़ा गया है: फिल्म अभिनेत्री मर्लिन मुनरो की मृत्यु एक उदाहरण है जिसे कार्देनाल पूंजीवादी व्यवस्था के अमानवीय भ्रष्टाचार के रूप में देखते हैं. उनकी कविता के अन्य संकलनों में “द डाउटफुल स्ट्रेट”, होमेज टू द अमेरिकन इंडियंस, और “ओरेकल्स अबाउट मानागुआ” शामिल हैं. टू लिव इज़ टू लव, दार्शनिक निबंधों की एक पुस्तक, और इन क्यूबा, 1970 में वहां की उनकी यात्रा वृत्तांत, उनकी गद्य रचनाएँ हैं. उनकी कविताओं का सभी प्रमुख यूरोपीय भाषाओं में अनुवाद किया गया है. उन्हें कई पुरस्कार और सम्मान प्राप्त हुए. रूबेन डारियो के बाद उनको निकारागुआ का दूसरा सबसे महत्वपूर्ण कवि माना जाता है. टाइम्स लिटरेरी सप्लीमेंट में उन्हें “स्पेनिश अमेरिका में अपनी पीढ़ी का सामाजिक रूप से प्रतिबद्ध उत्कृष्ट कवि” बताया गया है. |
दिगम्बर बिहार के एक कस्बे दाउदनगर (औरंगाबाद) में जन्म. शुरूआती पढ़ाई वहीं पर. मगध विश्वविद्यालय से स्नातक विज्ञान और गोरखपुर विश्वविद्यालय से हिंदी में स्नातकोत्तर. कई साहित्यिक और राजनीतिक किताबों का अंगरेजी से हिंदी अनुवाद. इंगलैंड में मजदूर वर्ग की दशा– फ्रेडरिक एंगेल्स, आधुनिक मानव का अलगाव- फ्रित्ज पापेनहाइम, अफ़्रीकी साहित्य सृंखला में तीन उपन्यास, फिरदौस– नवल अल सदावी, एक बहुत लम्बा ख़त- मरियामा बा और रात में चहलकदमी– अलेक्स लागुमा तथा एक कविता संग्रह गाँव की आवाज़ – नीयी ओसुन्दरे का अनुवाद. इसके अलावा लू शुन की गद्य कवितायें- जंगली घास, नाजिम हिकमत की तीन लम्बी कविताएँ- शेख बदरेद्दीन का फतहनामा, मास्को सिम्फनी और मोनालिषा और उसका चीनी महबूब का अनुवाद. मंथली रिव्यू प्रेस की चर्चित किताबें- अन्तहीन संकट, वित्तीय महासंकट, पारिस्थितिकी: पूँजीवाद के ख़िलाफ़, क्या मजदूर वर्ग दुनिया को बदल सकता है?, हाड़तोड़ मेहनत इत्यादि का अनुवाद. देश-विदेश पत्रिका का संपादन और गार्गी प्रकाशन का संचालन. सांस्कृतिक-राजनीतिक कार्यकर्ता. |
Aadaraniya Digambar sir ko Salam. Main aapka rachana aur anudit lekh , kabita ka pathak hun. yeh kabita ke liye aapko bahut bahut dhanyabad. Samalochan ka main Niyamit pathak hu. Dhanyabad Samalochan..
स्तब्ध कर देने वाली कविता. यह केवल निकारागुआ की ही नहीं, भारत के सन्दर्भ में भी है जहाँ ऐसा करने वाले अपने ही हैं, सत्ता और धनपिशाचों के गठजोड़ वाले. यह किसी भी विकासशील/ग़रीब किन्तु खनिज सम्पदा, वन सम्पदा, सस्ते श्रम से सम्पन्न देश की कविता है. सही ही मुक्तिबोध की ‘अन्धेरे से’ तुलना की है.
विदेशी नाम याद नहीं होते । परंतु निकारागुआ में जन्म लेने वाले इस महान रचनाकार उन परिस्थितियों का वर्णन किया जिसमें पूँजीवाद अमेरिका का शोषक चेहरा क्रूर है । आज़ादी से पहले भारत में भारतीय शोषकों ने दस्तक दे दी थी । अमेरिका में स्पेशल इकनॉमिक ज़ोन जैसा कुछ, गिरोह नाम देना ग़लत नहीं, भारत में फल-फूल गया है । अमेज़न, वालमार्ट, रिलायंस पॉइंट [हमारे 1.15 लाख की आबादी] के दो सेल सेंटर हैं । मुझे मालूम है कि चंडीगढ़ के सेक्टर 17 B के चौक में बड़े परचून विक्रेताओं की भरमार थी । वह उजड़ गया । चौक के बाईं तरफ़ सीधी लाइन में ख़रीदारी के चमकदार शोरूम । एक सिनेमा घर और कुछ आगे जाकर इंडियन कॉफ़ी हाउस । यहाँ के सस्ते खाद्य पदार्थ, कॉफ़ी और दक्षिण भारतीय व्यंजन मज़े से खाये जाते । तब हमारे पंजाब नेशनल बैंक का क्षेत्रीय प्रशिक्षण केंद्र सेक्टर 8 में तथा सेक्टर 18 में किराये की दो बड़ी कोठियों में निवास था । प्रशिक्षण केंद्र तक एक-डेढ़ किमी पैदल दल जाना पड़ता ।
लेकिन सायंकाल इंडियन कॉफ़ी हाउस जाने की इच्छा होती । CUT Chandigarh Union Territory की बस में सवार होकर सवारों से थोड़ी थोड़ी दूर जाकर कहाँ उतरना है पूछते । बहुधा अकेला जाता । 700 से 2000 रुपये की तनख़्वाह में सस्ता लेकिन उम्दा खाना वहीं मिलता ।
मैं हमेशा परचून किराना [तब दिल्ली जाने के लिये बाइपास नहीं बने थे] तो गाँवों और रोहतक और बहादुरगढ़ से होकर बसें दिल्ली पहुँचतीं और लगभग सभी किराना की दुकानों पर किरयाणा लिखा होता । दवाइयों की दुकानों पर दवाईयों की दुकान । ये हालात बरक़रार हैं । हिसार ज़िला केंद्र 30 किमी दूर है । पंजाब केसरी, दैनिक जागरण और दैनिक भास्कर के हाँसी के पत्रकारों को जानता हूँ । उन्हें कई दफ़ा कह चुका कि दुकानदारों के लिये अपनी तरफ़ से मुफ़्त में एक महीने तक हर रोज़ किराना और दवाइयों लिखने का अभियान चलाया जाये । “सबसे अहम सवाल, सबसे बचकाने ठहरा दिये जाते हैं” । हमेशा परचून की दुकानों से किराना, बिस्कुट और दवाइयाँ ख़रीदता हूँ । किताबें ऑनलाइन । कल ही कलकत्ता के यतीश कुमार जी की तीन पुस्तकों के सेट का दाम पूछा था । उन्होंने एक साइट बतायी । वहाँ से 30 % छूट और बिना डाक ख़र्च 749/ रुपये गूगल पे से भेजे ।
मैं युवा दिनों में अर्नेस्तो कार्देनाल की कविताएँ पढ़ता था। यह वे दिन थे जब मैं मार्क्सवाद और मार्क्सवादी आन्दोलन और उसके इतिहास का गम्भीर अध्येता था, जिसके परिणामस्वरूप Violence and Marxism नाम से मेरी एक पुस्तक भी प्रकाशित है। तब मैं वाम आन्दोलन से जुड़ा हुआ था, बल्कि क्षेत्रीय स्तर पर उसका एक्टिव मेम्बर था। कार्देनाल वाकई एक बड़े और क्रान्तिकारी समझ वाले कवि थे। (हिन्दी में वैसी क्रान्तिकारी कविताएँ नहीं लिखी गयी हैं जैसी लातिनी अमरीका में कई कवियों ने लिखी हैं। यहाँ केवल “प्रतिबद्ध” या “प्रगतिशील” या “जनवादी” कविताएँ ही लिखी गयी हैं। लेकिन इनमें तथा क्रान्तिकारी कविताओं में फ़र्क होता है।) तब भी कार्देनाल की इस लम्बी कविता को सम्पादित किया जा सकता है। इसके कई हिस्सों में जबरदस्त कविता है और शेष हिस्सों में कविता कम और ब्यौरे ज़्यादा हैं। वहाँ कविता शिथिल पड़ जाती है।
अर्नेस्तो कार्देनाल की यह कविता गद्य और पद्य के बीच आवाजाही करती हुई उस एतिहासिक संघर्ष का जीवंत साक्ष्य रचती है।निश्चय यह मुक्तिबोध की ‘अंधेरे में’ की भाँति अनेक संस्तरों पर वाज़िब कार्यवाही का ज़रूरी दस्तावेज़ है।दिगम्बर जी ने जिस धैर्य और निष्ठा से इसका अनुवाद किया है,इसके लिए वे बधाई के पात्र हैं।
2014 के बाद का भारत , कविता को पढ़ने के बाद और अच्छे से समझ आने लगा ।
दिगंबर यह कठिन काम तुमने सम्भव किया.
इस कविता को बार बार पढ़ने की जरूरत है
वे मेरे प्रिय कवि है. उनकी वैचारिकी उनकी
कविताओं में दिखाई देती हैं.
mushkil kavita hai… baar baar padhna padega… kadi mehnat aur jabardast dhairye….
shukriya Digamber ji aur samalochan…
बेहतरीन कविता इसे जरूर से कई बार पढा जाना चाहिए।