• मुखपृष्ठ
  • समालोचन
  • रचनाएँ आमंत्रित हैं
  • वैधानिक
  • संपर्क और सहयोग
No Result
View All Result
समालोचन
  • साहित्य
    • कविता
    • कथा
    • अनुवाद
    • आलोचना
    • आलेख
    • समीक्षा
    • मीमांसा
    • संस्मरण
    • आत्म
    • बहसतलब
  • कला
    • पेंटिंग
    • शिल्प
    • फ़िल्म
    • नाटक
    • संगीत
    • नृत्य
  • वैचारिकी
    • दर्शन
    • समाज
    • इतिहास
    • विज्ञान
  • लेखक
  • गतिविधियाँ
  • विशेष
  • साहित्य
    • कविता
    • कथा
    • अनुवाद
    • आलोचना
    • आलेख
    • समीक्षा
    • मीमांसा
    • संस्मरण
    • आत्म
    • बहसतलब
  • कला
    • पेंटिंग
    • शिल्प
    • फ़िल्म
    • नाटक
    • संगीत
    • नृत्य
  • वैचारिकी
    • दर्शन
    • समाज
    • इतिहास
    • विज्ञान
  • लेखक
  • गतिविधियाँ
  • विशेष
No Result
View All Result
समालोचन

Home » प्रमोद पाठक की कविताएँ

प्रमोद पाठक की कविताएँ

डिजिटल माध्यम में हिंदी साहित्य को सुरुचि के साथ समृद्ध करने वालों में मनोज पटेल प्रमुखता से शामिल हैं. छोटे से कस्बे में अपने सीमित संसाधनों से विवादों और साहित्य की कूटनीति से दूर रहकर वह कविताओं और सार्थक गद्य को करीने से  प्रस्तुत करने का कार्य अनथक करते रहे. यह बड़ी बात है. अनका असमय […]

by arun dev
August 13, 2017
in Uncategorized
A A
फेसबुक पर शेयर करेंट्वीटर पर शेयर करेंव्हाट्सएप्प पर भेजें



डिजिटल माध्यम में हिंदी साहित्य को सुरुचि के साथ समृद्ध करने वालों में मनोज पटेल प्रमुखता से शामिल हैं. छोटे से कस्बे में अपने सीमित संसाधनों से विवादों और साहित्य की कूटनीति से दूर रहकर वह कविताओं और सार्थक गद्य को करीने से  प्रस्तुत करने का कार्य अनथक करते रहे. यह बड़ी बात है. अनका असमय अवसान भारी क्षति है. 
युवा कवि  प्रमोद पाठक की ये कविताएँ मनोज पटेल को समर्पित हैं. 

“मैं इन कविताओं को मनोज पटेल को समर्पित करना चाहता हूँ. उन्होंने  दुनिया भर  की कविताओं से परिचय करवाया था. आज सुबह मुझे उनके न रहने की खबर मिली तब से मन बेचैन है. ऐसा कम ही होता है कि आप अनजाने किसी  के लिए  इतने बेचैन हों. लेकिन  कुछ था जो उनका मुझ पर देय था. शायद यह दुनियाभर की कविता का धागा था जो उनसे बांधता था. ऋणी होने की एक बैचेनी है जि‍सका कुछ अंश अदा करना चाहता हूँ. उनके अनुवादों से कविता व भाषा को लेकर बहुत कुछ सीखने को मिला है.”

प्रमोद पाठक


प्रमोद पाठक की कविताएँ

जिद जो प्रार्थना की वि‍नम्रता से भरी है 

आसमान को हरा होना था

लेकिन उसने अपने लिए नीला होना चुना

और हरा समंदर के लिए छोड़ दिया

समंदर ने भी कुछ हरा अपने पास रखा

और उसमें आसमान की परछाई का नीला मिला

बाकी हरा सारा घास को सौंप दिया

घास ने एक जिद की तरह उसे बचाए रखा

एक ऐसी जिद जो प्रार्थना की वि‍नम्रता से भरी है

मकड़ी


मनुष्य ने बहुत बाद में जाना होगा ज्यामिति को

उससे सहस्राब्दियों पहले तुम उसे रच चुकी होगी

कताई इतनी नफीस और महीन हो सकती है

अपनी कारीगरी से तुमने ही सिखाया होगा हमें
तुम्हें देख कर ही पहली बार आया होगा यह खयाल

कि अपने रहने के लिए रचा जा सकता है एक संसार

अंत में तुम्हीं ने सुझाया होगा यह रूपक कि संसार एक माया जाल है.

 रेल– 1.

इस रेल में उसी लोहे का अंश है

जिससे मेरा रक्त बना है

मैंने तुम्हारी देह का नमक चखा

उस नमक के साथ तुम्हारा कुछ लोहा भी घुल कर आ गया

अब इस रक्त में तुम्हारी देह का नमक और लोहा घुला है

इस नमक से दुनिया की चीजों में स्वाद भरा जा चुका है और लोहे से गढ़ी जा चुकी हैं इस रेल की तरह तमाम चीजें

मैं तुम्हारे नमक का ऋणी हूँ और लोहे का शुक्रगुजार

अब तुम इस रेल से गुजरती हो जैसे मुझसे गुजरती हो

अपने नमक के स्वाद की याद छोड़ जाती

अपना लोहा मुझे सौंप जाती

मेरा बहुत कुछ साथ ले जाती.


रेल- 2.

रेल तुम असफल प्रेम की तरह मेरे सपनों में छूट जाती हो हर रोज…




नागफनी –1

(के. सच्चिदानंदन की कविता \’कैक्‍टस \’ को याद करते हुए )


रेगिस्‍तान में पानी की

और जीवन में प्‍यार की कमी थी

देह और जुबान पर काँटे लिए

अब नागफनी अपनी ही कोई प्रजाति लगती थी

कितना मुश्किल होता है इस तरह काँटे लिए जीना

कभी इस देह पर भी कोंपलें उगा करती थी

नर्म सुर्ख कत्‍थई कोंपलें

अपने हक के पानी और प्‍यार की माँग ही तो की थी हमने

पर उसके बदले मिली निष्‍ठुरता के चलते ना जाने कब ये काँटों में तब्‍दील हो गईं  


आज भी हर काँटे के नीचे याद की तरह बचा ही रहता है

इस सूखे के लिए संचित किया बूँद-बूँद प्‍यार और पानी

और काँटे के टूटने पर रिसता है घाव की तरह.


  

नागफनी –2

समय में पीछे जाकर देखो तो पाओगे

मेरी भाषा में भी फूल और पत्तियों के कोमल बिंब हुआ करते थे

मगर अब काँटों भरी है जुबान 


ऐसे ही नहीं आ गया है यह बदलाव

बहुत अपमान हैं इसके पीछे

अस्तित्‍व की एक लंबी लड़ाई का नतीजा है यह

बहुत मुश्किल से अर्जित किया है इस कँटीलेपन को


अब यही मेरा सौंदर्य है

जो ध्‍वस्‍त करता है सौंदर्य के पुराने सभी मानक.



चाँद

रात के सघन खेत में खिला फूल है पूनम का चाँद
अपना यह रंग सरकंडे के फूल से उधार लाया है

______________________________________


प्रमोद जयपुर में रहते हैं. वे बच्‍चों के लिए भी लि‍खते हैं. उनकी लि‍खी बच्‍चों की कहानियों की कुछ किताबें बच्‍चों के लिए काम करने वाली गैर लाभकारी संस्‍था \’रूम टू रीड\’ द्वारा प्रकाशित हो चुकी हैं. उनकी कविताएँ चकमक, अहा जिन्‍दगी, प्रतिलिपी, डेली न्‍यूज आदि पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुकी हैं. वे बच्‍चों के साथ रचनात्‍मकता पर तथा शिक्षकों के साथ पैडागोजी पर कार्यशालाएँ करते हैं. वर्तमान में बतौर फ्री लांसर काम करते हैं.
सम्पर्क :
27 ए, एकता पथ, (सुरभि लोहा उद्योग के सामने),
श्रीजी नगर, दुर्गापुरा, जयपुर, 302018, /राजस्‍थान

मो. : 9460986289

___
प्रमोद पाठक  की कुछ कविताएँ यहाँ  पढ़ें, और यहाँ  भी

ShareTweetSend
Previous Post

मीमांसा : संत ज्ञानेश्वर और संत तुकाराम : तुषार धवल

Next Post

प्रवास में कविताएँ : सीरज सक्सेना

Related Posts

सहजता की संकल्पगाथा : त्रिभुवन
समीक्षा

सहजता की संकल्पगाथा : त्रिभुवन

केसव सुनहु प्रबीन : अनुरंजनी
समीक्षा

केसव सुनहु प्रबीन : अनुरंजनी

वी.एस. नायपॉल के साथ मुलाक़ात : सुरेश ऋतुपर्ण
संस्मरण

वी.एस. नायपॉल के साथ मुलाक़ात : सुरेश ऋतुपर्ण

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

समालोचन

समालोचन साहित्य, विचार और कलाओं की हिंदी की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है. डिजिटल माध्यम में स्तरीय, विश्वसनीय, सुरुचिपूर्ण और नवोन्मेषी साहित्यिक पत्रिका की जरूरत को ध्यान में रखते हुए 'समालोचन' का प्रकाशन २०१० से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है. विषयों की विविधता और दृष्टियों की बहुलता ने इसे हमारे समय की सांस्कृतिक परिघटना में बदल दिया है.

  • Privacy Policy
  • Disclaimer

सर्वाधिकार सुरक्षित © 2010-2023 समालोचन | powered by zwantum

No Result
View All Result
  • समालोचन
  • साहित्य
    • कविता
    • कथा
    • आलोचना
    • आलेख
    • अनुवाद
    • समीक्षा
    • आत्म
  • कला
    • पेंटिंग
    • फ़िल्म
    • नाटक
    • संगीत
    • शिल्प
  • वैचारिकी
    • दर्शन
    • समाज
    • इतिहास
    • विज्ञान
  • लेखक
  • गतिविधियाँ
  • विशेष
  • रचनाएँ आमंत्रित हैं
  • संपर्क और सहयोग
  • वैधानिक