भारतीय अंग्रेजी लेखन में मलयाली भाषी कमला दास (31 March 1934 – 31 May 2009) एक युग का प्रतिनिधित्व करती हैं. अपनी आत्मकथा के लिए वह ख़ासी चर्चित रहीं, स्त्री यौनिकता पर उनकी मुखरता को उस समय विचलित कर देने वाला लेखन समझा जाता था.
अंग्रेजी में उनके ग्यारह कविता संग्रह प्रकाशित हैं और १९८४ में साहित्य के नोबेल पुरस्कार के लिए भी उन्हें नामित किया गया था. मलयालम में निर्देशक कमल ने ‘Aami’ शीर्षक से कमला दास के जीवन पर एक बायोपिक का निर्माण किया है जिसमें दास की भूमिका Manju Warrier ने निभाई है।
रंजना मिश्रा शास्त्रीय संगीत में गति रखती हैं और हिंदी अंग्रेजी में लिखती हैं. उनकी कुछ कविताएँ आपने समालोचन पर भी पढ़ी हैं. कमला दास की इन आठ कविताओं का अनुवाद रंजना ने किया है जो आज ख़ास आपके लिए. साथ में मूल कविताएँ भी दी जा रहीं हैं.
कमला दास की कविताएँ
अनुवाद रंजना मिश्रा
(एक)
परिचय
मैं राजनीति नहीं समझती पर वे नाम जानती हूँ जो सत्ता में हैं
सप्ताह और महीनों के नामों की तरह उन्हें दुहरा सकती हूँ
जो नेहरु से शुरू होते हैं
मैं हिन्दुस्तानी हूँ, सांवली त्वचा वाली जिसका जन्म मालाबार में हुआ
में तीन भाषाएँ बोलती हूँ, दो लिख सकती हूँ, एक में सपने देखती हूँ.
उन्होंने कहा अंग्रेजी में मत लिखो अंग्रेजी तुम्हारी मातृभाषा नहीं
मुझे अकेला क्यों नहीं छोड़ देते मेरे आलोचकों, दोस्तों और घर आनेवाले रिश्तेदारों, तुम सब ?
मुझे उस भाषा में कहने क्यों नहीं देते जो मुझे पसंद है ?
जो भाषा मैं बोलती हूँ वह मेरी हो जाती है
इसकी विकृतियाँ इसकी असंगतियाँ सब मेरी हैं सिर्फ मेरी.
यह आधी अंग्रेजी है, आधी हिन्दुस्तानी, शायद अजीब, पर यह ईमानदार है
यह उतनी ही मानवीय है जितनी मैं, तुम्हें दिखाई नहीं देता?
यह मेरे आनंद, तड़प और मेरी आशाओं का स्वर है
और यह मेरे लिए उतनी ही उपयोगी है जैसे कौवों को कांव कांव या शेरों को दहाड़ना
यह मानवीय भाषा है, उस मन की भाषा जो यहाँ हैं वहां नहीं
वह मन जो देखता, सुनता और सोचता है, सचेत है, वह तूफ़ान के समय पेड़ों की, बारिश के बादलों की या बारिश की बहरी और अंधी भाषा नहीं, न ही जलती चिताओं की बेतुकी बुदबुदाहट
मैं बच्ची थी, फिर उन्होंने मुझसे कहा मैं बड़ी हो गई हूँ
क्योंकि मैं लम्बी हो गई थी मेरे अंग भर आए थे और दो एक जगहों पर रोम उग आए थे
न जानते हुए कि क्या माँगना है जब मैंने प्यार माँगा
उसने सोलह वर्ष के यौवन को शयनकक्ष का रास्ता दिखाया और दरवाज़ा बंद कर दिया
उसने मुझे पीटा नहीं
पर मेरा दुखी स्त्री शरीर पिटा हुआ सा महसूस करता रहा
मेरे स्तनों और कोख के भार ने मुझे कुचल डाला
मैं घृणित रूप से सिकुड़ती चली गई
तब मैंने एक शर्ट पहनी और अपने भाई की पतलून
अपने बाल छोटे कटवा दिए और अपनी स्त्रियोचित्तता को नज़रअंदाज़ कर दिया
साड़ियाँ पहनों, लड़की की तरह रहो, पत्नी बनो, उन्होंने कहा
कढाई करो, रसोई पकाओ, नौकरों के साथ झगड़ो, खांचे में समाओ
ओह, जुडी रहो, खांचे बनाने वाले चीखे
दीवार पर मत बैठो और लेस लगी खिडकियों के पर्दों के भीतर मत झांको
एमी बनो या फिर कमला, सबसे अच्छा माधवीकुट्टी बनो
यह कोई एक नाम चुनने का समय है, एक भूमिका चुनने का समय
अनजान होने का नाटक मत करो
उन्मादी मत बनो और अति कामुक भी नहीं
प्रेम में ठुकराए जाने पर बेशरमी से ऊंची आवाज़ में रोओ मत
मैं एक मर्द से मिली, उसे प्यार किया
उसे किसी नाम से मत पुकारो, वह हर मर्द है
जो एक औरत को चाहता है जैसे कि मैं वह हर औरत हूँ
जो प्रेम ढूंढती है
उसमें नदियों की जल्दबाज भूख, मुझमें समंदर की अनथक प्रतीक्षा
तुम कौन हो, मैं हर एक से और सभी से पूछती हूँ
जवाब है, वह मैं हूँ कहीं भी और हर कहीं
मैं उसे देखती हूँ जो इस दुनिया में खुद को मैं कहता है
जो इस दुनिया में म्यान में कैद तलवार की तरह है, वह मैं हूँ जो बारह बजे रात को अजनबी शहरों के होटलों में अकेलेपन के प्याले पीती है, वह मैं हूँ जो हंसती है, सम्भोग करती है और फिर शर्मिंदा होती है, वह मैं हूँ जो मरणासन्न पड़ी रहती है गले में खडखडाहट लिए, मैं पापी हूँ, मैं संत हूँ, मैं प्रेमी हूँ, मैं छली गई हूँ, मेरे कोई हर्ष नहीं जो तुम्हारे नहीं, कोई वेदना नहीं जो तुम्हारी नहीं
मैं भी खुद को मैं पुकारती हूँ !
____
An Introduction
I don\’t know politics but I know the names
Of those in power, and can repeat them like
Days of week, or names of months, beginning with Nehru.
I amIndian, very brown, born inMalabar,
I speak three languages, write in
Two, dream in one.
Don\’t write in English, they said, English is
Not your mother-tongue. Why not leave
Me alone, critics, friends, visiting cousins,
Every one of you? Why not let me speak in
Any language I like? The language I speak,
Becomes mine, its distortions, its queernesses
All mine, mine alone.
It is half English, halfIndian, funny perhaps, but it is honest,
It is as human as I am human, don\’t
You see? It voices my joys, my longings, my
Hopes, and it is useful to me as cawing
Is to crows or roaring to the lions, it
Is human speech, the speech of the mind that is
Here and not there, a mind that sees and hears and
Is aware. Not the deaf, blind speech
Of trees in storm or of monsoon clouds or of rain or the
Incoherent mutterings of the blazing
Funeral pyre. I was child, and later they
Told me I grew, for I became tall, my limbs
Swelled and one or two places sprouted hair.
WhenI asked for love, not knowing what else to ask
For, he drew a youth of sixteen into the
Bedroom and closed the door, He did not beat me
But my sad woman-body felt so beaten.
The weight of my breasts and womb crushed me.
I shrank Pitifully.
Then … I wore a shirt and my
Brother\’s trousers, cut my hair short and ignored
My womanliness. Dress in sarees, be girl
Be wife, they said. Be embroiderer, be cook,
Be a quarreller with servants. Fit in. Oh,
Belong, cried the categorizers. Don\’t sit
On walls or peep in through our lace-draped windows.
Be Amy, or be Kamala. Or, better
Still, be Madhavikutty. It is time to
Choose a name, a role. Don\’t play pretending games.
Don\’t play at schizophrenia or be a
Nympho. Don\’t cry embarrassingly loud when
Jilted in love … I met a man, loved him. Call
Him not by any name, he is every man
Who wants. a woman, just as I am every
Woman who seeks love. In him . . . the hungry haste
Of rivers, in me . . . the oceans\’ tireless
Waiting. Who are you, I ask each and everyone,
The answer is, it is I. Anywhere and,
Everywhere, I see the one who calls himself I
In this world, he is tightly packed like the
Sword in its sheath. It is I who drink lonely
Drinks at twelve, midnight, in hotels of strange towns,
It is I who laugh, it is I who make love
And then, feel shame, it is I who lie dying
With a rattle in my throat. I am sinner,
I am saint. I am the beloved and the
Betrayed. I have no joys that are not yours, no
Aches which are not yours. I too call myself I.
(दो)
कैडल रोड की अगरबत्तियां
समंदर के करीब कैडल रोड के पीछे
वे अगरबत्तियों की तरह जलते हैं
गरीब लोगों के शरीर
वे काले, दुर्बल शव
सारे रजनीगंधा और गेंदे के सुन्दर फूलों से बंधे हुए
हमने उन्हें एक को लाते हुए देखा, पिछले रविवार
हमारे चाय के समय के घंटे भर बाद,
ग़रीब युवा लड़की के सस्ते इत्र सा महकता
जबकि कुछ बूढ़ियाँ सपाट और एक सुर में रोतीं पीछे चली आईं
सिर्फ गरीब और नितांत आशाहीन ही जानते हैं किस तरह रोया जाए
जब उन्होंने शरीर को आग के हवाले किया
जानवरों की तरह गुर्राती आग और ऊंची उठी
तब शव लानेवालों ने मालाएं समंदर में फेंक दी
समुद्री चिड़ियों की एक कतार लहरों की सवारी करती रही
मेरे पति ने कहा मुझे थोड़ी बीयर चाहिए
आज गर्मी है, बहुत अधिक गर्मी
और मैंने सोचा
मुझे जल्दी से ड्राइव करते हुए शहर जाना चाहिए
अपने मित्र के करीब घंटे भर सो जाने के लिए
मुझे आराम की सख्त ज़रुरत है.
The Joss Stick at Cadell Road
Near the sea behind Cadell road
The burn as joss-sticks
The poor men’s bodies
Those dark, thin corpses
All bound with strings of tuberose
and the brilliant marigold.
We saw them bring one, last Sunday
An hour after our
Tea time, scented up
To smell like a low-paid
Street girl, while some crones followed
Wailing flatly and
Monotonously
As only the poor
And absolutely
Hopeless know how to wail. When
They fed the body
To the fire, the fire
Leapt high, snarling beast like, Then
The corpse bearers threw
The garlands into
The sea. A queue of
Sea-gulls rode the waves.
My husband said, I think I shall
Have a beer, its hot
Too hot today.
And I thought, I must
Drive fast to town and
Lie near my friend for an hour. I
Badly need some rest.
(तीन)
शब्द
मेरे चारों ओर शब्द, शब्द, और शब्द हैं
वे मुझपर पत्तों की तरह उगते हैं
ऐसा लगता है वे कभी मेरे भीतर धीमे धीमे उगना बंद नहीं करते
पर मैं खुद से कहती हूँ, शब्द
वे एक मुसीबत हैं, उनसे सावधान रहो, वे
कई चीज़ें हो सकते हैं, जैसे कि खाई
जहाँ तेज़ी से चलते क़दमों को ठहरना चाहिए
देखो, वे समुद्र की पंगु बनाने वाली लहरें हो सकते हैं
गर्म हवाओं का भूचाल या तुम्हारे सबसे अच्छे मित्र का गला
काटने को उद्धत चाक़ू
शब्द रुकावट हैं
पर वे मुझपर इस तरह उगते हैं जैसे पेड़ों पर पत्ते
लगता है वे कभी उगना बंद नहीं करते
गहरे मेरे भीतर,एक चुप्पी से.
Words
All round me are words, and words and words,
They grow on me like leaves, they never
Seem to stop their slow growing
From within… But I tell my self, words
Are a nuisance, beware of them, they
Can be so many things, a
Chasm where running feet must pause, to
Look, a sea with paralyzing waves,
A blast of burning air or,
A knife most willing to cut your best
Friend\’s throat… Words are a nuisance, but.
They grow on me like leaves ona tree,
They never seem to stop their coming,
From a silence, somewhere deep within…
(चार)
कीड़े
सूर्यास्त की बेला, नदी किनारे, कृष्ण ने
उससे अंतिम बार प्रेम किया और चले गए
उस रात अपने पति की बाहों में राधा
इतनी निस्पंद थी कि उसके पति ने पूछा क्या बात है?
तुम्हें मेरे चुम्बन बुरे लग रहे हैं, प्रिये ? और उसने कहा
नहीं, बिलकुल नहीं, पर सोचा, मृत देह को
क्या फर्क पड़ता है अगर कीड़े मुंह मारे तो !
The Maggots
At sunset, on the river ban, Krishna
Loved her for the last time and left…
That night in her husband\’s arms, Radha felt
So dead that he asked, What is wrong,
Do you mind my kisses, love? And she said,
No, not at all, but thought, What is
It to the corpse if the maggots nip?
दोपहर तीन बजे
सिर्फ नींद में ही वह
अपना नन्हे लड़के वाला अकेलापन दिखाता था
जिससे मैं एक दोपहर एकाएक ही मिली
और उसे जगाने की हिम्मत न कर सकी
हालांकि हमारे साथ का समय सीमित था उन दिनों
मैं बैठी उधेडबुन में उसे देखती रही
सपनों की किन पेचीदी गलियों में वह घूम रहा था
वह मासूम, अपनी लालसा में कितना किंकर्तव्यविमूढ़.
Three P.M.
It was only in sleep that he
Showed his little-boy loneliness.
And, coming upon it one afternoon
I could not bear to wake him, even though
Our private hours were rationed
Then. But sat, watching , wondering
In what torturous lanes of dream he walked, this
Innocent, so bewildered by his lust.
(छह)
आइना
एक मर्द से खुद को प्यार करवाना आसान है
सिर्फ अपनी स्त्रियोचित इच्छाओं के बारे ईमानदार हो जाओ
आईने के सामने उसके साथ नग्न खडी रहो
ताकि वह खुद को अधिक ताकतवर देख सके और इसपर विश्वास करे और तुम्हें अधिक कोमल, युवा और प्यारी देख पाए
अपनी प्रशंसा स्वीकार करो
उसके अंगों की सुगढ़ता पर ध्यान दो, झरने के नीचे उसकी लालिमा युक्त आँखें, बाथरूम के फर्श पर उसकी लजीली चाल, गिरते तौलिये और पेशाब के बाद उसका हलके से झटकना
वे सारी तफसीलें, जो उसे मर्द, तुम्हारा इकलौता मर्द बनाती हैं
उसे सबकुछ दो
वह सब कुछ जो तुम्हें औरत बनाती है
लम्बे बालों की सुगंध, स्तनों के बीच के पसीने की कस्तूरी सुगंध
माहवारी के गर्म खून का अचम्भा और तुम्हारी अंतहीन स्त्रियोचित भूख
ओह हाँ, एक मर्द से खुद को प्यार करवाना आसान है
पर उसके बाद उसके बिना जीना स्वीकार करना होता है
जीवन विहीन जीवन, जब तुम भटकते हो, अजनबियों से मिलते, अपनी उन आँखों के साथ जिनमें कोई तलाश नहीं
उन कानों के साथ जिन्होंने उसे आखिरी बार तुम्हारा नाम पुकारते सुना और उस शरीर के साथ जो कभी उसकी छुअन तले पीतल सा दमकता था
जो अब बेजान और मोहताज़ है
The Looking Glass
Getting a man to love you is easy
Only be honest about your wants as
Woman. Stand nude before the glass with him
So that he sees himself the stronger one
And believes it so, and you so much more
Softer, younger, lovelier. Admit your
Admiration. Notice the perfection
Of his limbs, his eyes reddening under
The shower, the shy walk across the bathroom floor,
Dropping towels, and the jerky way he
Urinates. All the fond details that make
Him male and your only man. Gift him all,
Gift him what makes you woman, the scent of
Long hair, the musk of sweat between the breasts,
The warm shock of menstrual blood, and all your
Endless female hungers. Oh yes, getting
A man to love is easy, but living
Without him afterwards may have to be
Faced. A living without life when you move
Around, meeting strangers, with your eyes that
Gave up their search, with ears that hear only
His last voice calling out your name and your
Body which once under his touch had gleamed
Like burnished brass, now drab and destitute.
(सात)
पुराना खिलौनाघर
तुमने अबाबील को पालतू बनाने का इरादा किया
अपने प्रेम की लम्बी गर्मियों में जकड़े रखने के लिए
ताकि वह न सिर्फ अनगढ़ मौसमों को, उस घर को जो वह पीछे छोड़ आई है, बल्कि अपने स्वभाव को, उड़ान की लालसा और आकाश की अनंत पगडंडियों को भी भूल जाए
एक और मर्द के बारे जानने मैं तुम तक नहीं आई थी
अपितु यह जानने कि मैं क्या थी और यह जानकर पल्लवित होने के लिए आई थी
पर तुमने मुझे जो सिखाया वह तुम्हारे बारे था, तुम मेरे शरीर के जवाब से, उसके मौसमों से, इसकी सामान्य तुच्छ सी ऐंठन से खुश हुए और मेरा मुंह अपने लार से भर दिया
तुमने खुद को मेरे शरीर के हर हिस्से में बहा दिया
तुमने मेरी तुच्छ सी भूख को अपने कडवे मीठे रस से संलेपित कर दिया, तुमने मुझे पत्नी कहा
मैंने तुम्हारी चाय में सैकरीन मिलाना सीखा और सही समय पर तुम्हें विटामिन देना भी, तुम्हारे विशाल अहम के समक्ष कायर होते हुए मैंने जादुई रोटी का एक टुकड़ा चखा और बौनी हो गई
मैं अपनी इच्छा और अपने कारण भूल गई
तुम्हारे सारे सवालों के जवाब मैंने असम्बद्ध बुदबुदाहट से दिए
गर्मियां नीरस होने लगीं, मुझे पतझड़ की वे सूखी हवाएं याद हैं
और सूखे पत्तों के जलने का धुंआ भी
तुम्हारा कमरा हमेशा कृत्रिम रौशनी से चमकता है
तुम्हारी खिड़कियाँ हमेशा बंद, एयर कंडीशनर भी कितनी कम मदद करता है
हर ओर तुम्हारे साँसों की पुरुष गंध, फूलदान के कटे फूल इंसानी पसीने की महक से तरबतर हैं
कहीं संगीत नहीं, कहीं कोई नृत्य नहीं है, मेरा दिमाग एक पुराना खिलौनाघर है जिसकी सारी बत्तियां बुझी हुई हैं.
ताकतवर इंसान की तरकीब हमेशा एक सी होती है
वह अपना प्यार हमेशा घातक मात्र में देता है
कि प्यार पानी के किनारे खुद से डरा अकेला शापग्रस्त प्रेत है
जिसे निष्कलुष, पूरी आजादी से अपना अंत अंततः स्वयं ढूंढना होता है
उन शीशों को तोड़ने का इरादा करना होता है
दयालू रात जिसके पानी को पोंछ देगी
The Old Playhouse
You planned to tame a swallow, to hold her
In the long summer of your love so that she would forget
Not the raw seasons alone, and the homes left behind, but
Also her nature, the urge to fly, and the endless
Pathways of the sky. It was not to gather knowledge
Of yet another man that I came to you but to learn
What I was, and by learning, to learn to grow, but every
Lesson you gave was about yourself. You were pleased
With my body\’s response, its weather, its usual shallow
Convulsions. You dribbled spittle into my mouth, you poured
Yourself into every nook and cranny, you embalmed
My poor lust with your bitter-sweet juices. You called me wife,
I was taught to break saccharine into your tea and
To offer at the right moment the vitamins. Cowering
Beneath your monstrous ego I ate the magic loaf and
Became a dwarf. I lost my will and reason, to all your
Questions I mumbled incoherent replies. The summer
Begins to pall. I remember the rudder breezes
Of the fall and the smoke from the burning leaves. Your room is
Always lit by artificial lights, your windows always
Shut. Even the air-conditioner helps so little,
All pervasive is the male scent of your breath. The cut flowers
In the vases have begun to smell of human sweat. There is
No more singing, no more dance, my mind is an old
Playhouse with all its lights put out. The strong man\’s technique is
Always the same, he serves his love in lethal doses,
For, love is Narcissus at the water\’s edge, haunted
By its own lonely face, and yet it must seek at last
An end, a pure, total freedom, it must will the mirrors
To shatter and the kind night to erase the water.
एक घर है अब भी बहुत दूर जहाँ कभी
मैंने प्यार पाया था ……वह स्त्री अब मृत है
घर चुप्पी में डूब गया, किताबों के बीच सांप
घूमने लगे, मैं तब बहुत छोटी थी पढने के लिए
और मेरा खून चाँद की तरह ठंडा हो गया
कई बार मैं वहां जाने की सोचती हूँ
उन अंधी खिडकियों की आँखों से झांकने
या ठहरी हुए हवाओं को सुनने की खातिर
या फिर आदिम निराशा में बाहों में अँधेरा भर यहाँ ले आने को ताकि वह मेरे शयनकक्ष के दरवाजे के पीछे विचारमग्न कुत्ते की तरह लेटा रहे
तुम विश्वास नहीं करोगे, प्रिय
क्या तुम विश्वास करोगे कि मैं कभी ऐसे घर में रहती थी
और गर्व करती थी, मुझे प्यार किया जाता था ….मैं जो अपनी राह भूल गई हूँ और अब अजनबियों के द्वार पर प्रेम की याचना करती हूँ
थोड़े से प्रेम के बदले ?
My Grand mothers house
There is a house now far away where once
I received love……. That woman died,
The house withdrew into silence, snakes moved
Among books, I was then too young
To read, and my blood turned cold like the moon
How often I think of going
There, to peer through blind eyes of windows or
Just listen to the frozen air,
Or in wild despair, pick an armful of
Darkness to bring it here to lie
Behind my bedroom door like a brooding
Dog…you cannot believe, darling,
Can you, that I lived in such a house and
Was proud, and loved…. I who have lost
My way and beg now at strangers\’ doors to
रंजना मिश्रा
शिक्षा वाणिज्य और शास्त्रीय संगीत में.
आकाशवाणी, पुणे से संबद्ध.
कथादेश में यात्रा संस्मरण, इंडिया मैग, बिंदी बॉटम(अँग्रेज़ी) में निबंध/रचनाएँ प्रकाशित, प्रतिलिपि कवितासम्मान (समीक्षकों की पसंद) २०१७.
ranjanamisra4@gmail.com
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