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Home » तरुण भटनागर: भविष्य के सपनों का कथाकार: निशांत

तरुण भटनागर: भविष्य के सपनों का कथाकार: निशांत

समकालीन प्रमुख कथाकार तरुण भटनागर के उपन्यासों- ‘लौटती नहीं जो हँसी’, ‘राजा, जंगल, और काला चाँद’ तथा ‘बेदावा’ पर आधारित सुपरिचित कवि-लेखक निशांत का यह आलेख विस्तार से इन उपन्यासों की कथाभूमि की चर्चा करते हुए इनकी विशिष्टता को रेखांकित करता है, कथाकार के सरोकारों की विवेचना करता है. प्रस्तुत है.

by arun dev
December 27, 2021
in आलेख
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तरुण भटनागर: भविष्य के सपनों का कथाकार: निशांत
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तरुण भटनागर

भविष्य के सपनों का कथाकार

निशांत

इतिहास वही नहीं होता जो हम खुली आंखों से पढ़ते हैं. इतिहास वह भी होता है जो हम महसूस करते हैं. जो चाहे अनचाहे हमारी शिराओं में बहता है जो हमें विरासत में पूर्वजों द्वारा मिलता तो है पर जिसे हम जान पाते हैं जब हमारे ही बीच का आदमी एक दिन उन्हें लिखने लगता है. किताब छपवाने लगता है. वह भी इतिहास की शक्ल में नहीं, किस्सों की शक्ल में. किस्से इतिहास की कोख में समय के हिस्से हैं. शांत चित्त सोते हुए किसी अफसाना निगार के इंतजार में. कोई इबनबतूता, व्हेनसांग, राहुल सांकृत्यायन आये और उन्हें नींद की कैद से आजाद कराए. उनके अफसानों को सरेआम करें. तरुण भटनागर का कथा संसार इन्हीं तवारीख किस्सों को अफसाने की शक्ल में सरेतन्हा से सरेआम हमारे सामने पेश करता है. पेश ही नहीं करता, उनकी खुसूसियत को साया भी करता है.

तरुण भटनागर इतिहास के विद्यार्थी हैं और इतिहास का विद्यार्थी प्रियवंद के शब्दों में कहूं तो हमेशा जानता है-

“यू  ऑल हैव गाट ए प्रिविलेज… प्रिविलेज आफ हेविंग ए थर्ड आई… एक तीसरी आंख होने का विशेषाधिकार है तुम्हारे पास. यह तीसरी आंख सिर्फ इतिहास देता है. बहुत कुछ ऐसा है जो इतिहास खुद नहीं बोलता पर उसके अंदर होता है. उसे ढूंढना पड़ता है और वही मनुष्य का सबसे बड़ा सत्य होता है. यह सत्य तीसरी आंख से दिखता है.”

यह तीसरी आंख तरुण भटनागर के पास है. तीसरी आंख हमेशा ऊपरी  तह को भेदकर अंदर की सच्चाई तक पहुँचती है. तीसरी आंख ही व्यक्ति से रचनाकार तक की यात्रा कराती है. इस तीसरी आंख को ही संस्कृत में कहा गया है कि-

“अपारे काव्य संसारे कविरेव प्रजापति:l
यथा वै रोचते विश्व तथेन्द परिवर्तते ll”

इस विश्व के समानांतर कवि अर्थात लेखक ही एक अलग विश्व बना सकता है. यह जो अलग विश्व बनाने की बात है, यह बिना तीसरी आंख के संभव नहीं है. यह तीसरी आंख ही इतिहास है. भारतीय इतिहास और वर्तमान को जानने समझने के लिए आज तीसरी आंख की बेहद जरूरत है. बिना तीसरी आंख के सच्चाई को आप न जान सकते हैं,न समझ सकते हैं और न व्याख्यायित कर सकते हैं. तरुण भटनागर के उपन्यास हो या कहानियां,वे इतिहास को इस तीसरी आंख से ही देखती हैं.

वास्तव में भविष्य इस बात पर निर्भर करता है कि आप इतिहास को देखते कैसे हैं? आप जैसा इतिहास देखना चाहते हैं, आप वैसा ही भविष्य बनाना चाहते हैं या और स्पष्टता से कहा जाए तो इतिहास की नींव पर भविष्य का सपना पलता है. एक बेहतर भविष्य का सपना देखना ही लेखक का गुणधर्म होता है पर सच्चाई के साथ. झूठ के पर होते हैं पर पैर नहीं. इसलिए झूठ उड़ता है पर सच्चाई चलती है. सच्चाई जहां पहुंचती हैं, झूठ वहां से उड़ जाता है. तरुण भटनागर सच्चाई के पैरों से चलकर किससे तक पहुंचते हैं. तो पहला किस्सा ‘हंसी’ का है.

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Tags: तरुण भटनागरनिशांत
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Comments 2

  1. Jitendra tiwari says:
    3 years ago

    History का student ek अच्छा prashasak होता है. क्यों कि History व्यक्ति को बुद्धिमान बनाती है. कुशल और अच्छा प्रशासन राजा राम के जिले को मिलेगा. मेरी तरफ से हार्दिक शुभकामनाएं

    Reply
  2. Devendra verma says:
    3 years ago

    History की नींव पर भविष्य का सपना पलता है!! वास्तव में यह सच है ओर एक अच्छे लेखक के गहराई से आत्मिक रूप से किये गये चिंतन मनन एवं अनुभव अध्ययन का नतीजा है आप एक अच्छे लेखक के साथ साथ एक कुशल प्रशासक भी है।
    देवेन्द्र वर्मा निवाड़ी मप्र

    Reply

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